विजयनगरम किले का इतिहास | Vizianagaram Fort History

Vizianagaram Fort

विजयनगरम का किला आन्ध्रप्रदेश के उत्तर पूर्वी दिशा में बना हुआ काफ़ी पुराना और प्रसिद्ध किला है जो 18 वी शताब्दी में बना हुआ हैं। यह विजयनगरम किला विजयनगरम के राजा महाराजा के गौरवशाली इतिहास का जिंदा सबूत है।

विजयनगरम किले को गौर से देखा जाये तो इसमें बहुत ही प्रसिद्ध वास्तुकला का नजारा देखने को मिलता है।

Vizianagaram Fort

विजयनगरम किले का इतिहास – Vizianagaram Fort History

इस किले को यहाँ के राजा विजय रामा राजू ने सन 1713 में बनवाया था।

आंध्र प्रदेश केवल विज़िअनगरम का किला आज भी अच्छे हालात में है। इस किले की देखभाल का काम पुरातात्विक और पर्यटन विभाग को सौपा गया है। इस किले को पूरी तरह से गोथिक वास्तुकला में बनाया गया है।

विजयनगरम किला इसके युद्धपोत के लिए जाना जाता है जो बहुत ही चौड़ा और मजबूत है की कोई भी युद्ध हुआ तब भी किला पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। किले के द्वार पर एक घडी का स्तंभ है। वो आज भी शुरू है।

जिस व्यक्ति को इतिहास और किले को देखने का शौक है ऐसे व्यक्ति ने तो सबसे पहले इस किले को देखना चाहिए। किले की चारो तरफ़ हरियाली फैली हुई दिखाई देती है।

विजयनगरम किले की विशेषताएँ – Features of Vizianagaram Fort

किले के चारो कोने में गढ़ के रूप में तगड़ा पहरा दिया हुआ है। सारे गढ़ पत्थरो से बने हुए है। किले में आने के लिए दो मुख्य प्रवेश द्वार है। किले में पूर्व की ओर से आनेवाले द्वार को नगरखाना कहते है जिस पर बहुत ही सुंदर वास्तुकला दिखाई देती है।

पश्चिम दिशा में जो मुख्य द्वार है वो पूर्व द्वार की तुलना में छोटासा है। किले के चारो तरफ़ से एक बड़ी सी खाई दिखायी देती हैं।

दो मुख्य द्वार के अलावा भी किले में कई सारे मंदिर और स्मारक दिखाई देते है जैसे:

औध खाना – Oudh Khana

विजयनगरम के राजा का सबसे भव्य महल औध खाना ही है। औध खाना का सबसे अहम हिस्सा राजा के अष्टकोनी नहाने का स्थान ही था और उसके बाजु में फूल बाग महल था।

अलकनंदा महल – Alakananda Palace

अलकनंदा महल को महमानों के रहने के लिए बनाया गया है। महल में महमान रह सके इसीलिए उसे आलीशान शैली में बनाया गया है।

कोरुकोंडा महल – Korukonda Palace

अलकनंदा महल के बाजु में ही कोरुकोंडा महल है। महल 1000 एकर से ज्यादा ज़मीन में फैला हुआ है। महल की बड़ी जमीन में कई सारे शिक्षा की संस्थाने बनाई गयी है और जिन्हें सेना में भरती होना है उनके लिए यहाँ पर प्रशिक्षण दिया जाता है।

घंटा स्तंभ – Korukonda Palace

लन्दन के बिग बेन की तरह यहाँ का घंटा स्तम्भ बनाया गया है जो हर दम समय दर्शाता है। 1885 में निर्माण किए गए अष्टकोणी स्तंभ 68 फीट (21मीटर) है।

मोती महल – Moti Mahal

मोती महल एक दरबार की तरह ही था जिसे विजय रामा राजू 3 ने 1869 में बनवाया था। इस महल में आते वक्त दो संगमरमर के पुतले दिखाई देते है। महल में एक वस्तुसंग्रहालय भी है जिसमे राजा के ज़माने की वस्तुए रखी गयी है।

अन्य स्मारक

किले की बाहरी इलाके में देवी पिदिथाल्ली अम्मावारू का मंदिर है। लोग बड़ी श्रद्धा से देवी के मंदिर में जाते है।

मंदिर में देवी की स्थापना 1752 को विजयादशमी के दिन की गयी थी। और उसी कारण 21 और 22 अक्तूबर के दिन मंदिर में जत्रा का आयोजन किया जाता है।

परला होम जिसे ‘परला वारी’ कहा जाता है उसका निर्माण 1895 में हुआ था। यह पहली इमारत है जिसमे बिजली की व्यवस्था है और साथ में यहापर सोने के कमरे की सुविधा भी उपलब्ध है। यहाँ पर जो पुस्तकालय है वो आज भी शुरू है। यूरोप में जो वस्तुए होती है वो सभी उस पुस्तकालय में दिखाई देती है।

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