केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई से जुड़ी अहम बातें…

Some Interesting facts about the CBI

भारत में दूसरे देशों की ही तरह अपनी जाचं एंजेसियां है जो देश में होने वाले अपराधों की जांच करते है। और उनकी तह तक जाकर असल अपराधी को पकड़ते है। भारत की सभी जांच एंजसियो में सीबीआई (CBI) सबसे प्रमुख है। सीबीआई देश में सभी आपराधिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलो की जांच करती है। सीबीआई की फुल फॉर्म केंद्रीय अन्वेषण ब्यरो यानी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिंगेशन (Central Bureau of Investigation) है।

भारत में सीबीआई ने समय समय पर देश के सबसे बड़े चर्चित केसों को सुलझा कर अहम भूमिका निभाई है लेकिन सीबीआई कैसे काम करता है, इसके क्या नियम है इन सब बातों के बारे में बहुत कम लोग जानते है। आज हम आपको सीबीआई से संबंधित कुछ अहम बातों की जानकारी देने वाली है। जिनके बारे में शायद ही आपको पता होगा।

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई से जुड़ी अहम बातें – Some Interesting facts about the CBI

(CBI) सीबीआई यानी सेंट्रल ब्योर ऑफ इन्वेंस्टीगेशन (Central Bureau of Investigation) की स्थापना आजादी से पहले साल 1941 में विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रुप में की गई थी। जिसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से सालाना 695.62 करोड़ का बजट दिया जाता है।

साल 1941 में इस संस्था का गठन उस समय चल रहे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश विभागों में चल रहे घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए किया गया था।

साल 1946 में दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद प्रशासन को एक केंद्रीय सरकारी जांच एजेंसी की जरुरत महसूस हुई। जिस वजह से सन् 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम लागू किया गया।

सीबीआई कार्मिक एंव प्रशिक्षण विभाग के अंतर्गत काम करती है। जिस वजहसे सीबीआई को फेडरल ब्यरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन की तरह माना जाता है हालांकि सीबीआई के अधिकार बीआई की तुलना में काफी सीमित है।

दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को सीबीआई नाम गृह मंत्रालय की तरफ से साल 1963 में दिया गया।

साल 1969 से पहले सीबीआई (CBI) के दायरे केवल केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच आती थी। लेकिन 1969 में बैकों के राष्ट्रीयकरण के बाद सार्वजनिक बैक और उनके कर्मचारी भी सीबीआई के दायरे में आ गए।

सीबीआई का नेतृत्व एक निदेशक, एक पुलिस महानिदेशक या पुलिस के आयुक्त के रैंक  के आईपीएस अधिकारी दारा किया जाता है।

सीबीआई(CBI) अक्सर विवादों से भी घिरी रहती है ऐसा इसलिए क्योंकि ये संस्था पूर्ण रुप से स्वतंत्र होने के बजाय केंद्र के अंतर्गत आती है। जिस वजह से कई बार इस पर पक्षपात के आरोप भी लगते हैं।

सीबीआई के संदर्भ में सीबीआई के पूर्व निदेशकों ने सीबीआई की शक्ति लोकपाल को दी जाने का सुझाव दिया है।

सीबीआई की ताकतें कई मामलों में सीमित है जिस वजह से सीबीआई की ये भी मांग रही है कि अपनी फाइल और वकीलों की नियुक्ति की शक्ति दी चाहिए हालांकि सीबीआई की इस अपील को ठुकरा दिया।

सीबीआई(CBI) के केस की जांच के लिए सीबीआई कोर्ट है जो सीबीआई के मामलों पर कार्रवाई करती है।

बहुत सारे लोग सीबीआई यानी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सीआईडी से जोड़कर देखते है लेकिन आपको बता दें ये दोनों ही जांच एजेंसियां अलग – अलग है जिनके काम और दायर भी अलग – अलग स्तर पर सीमित है।

सीबीआई देश में सभी अहम मुद्दों की जाचं करती है लेकिन इसका अर्थ ये बिल्कुल नहीं है कि सीबीआई से कोई गलती नहीं हो सकती या उसमें कमी की गुंजाइश नहीं है। हालांकि एक सर्वोच्च जांच एंजेसी होने के नाते उम्मीद की जाती है कि वो बिना किसी पक्षपात और लालच के देश के सभी मामलों की जांच करें।

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