प्राचीन ईरान के पारसी धर्म के संस्थापक Zoroaster – जोरास्टर जिसे हम ज़रथुष्ट्र स्पितामा और आशु ज़रथुष्ट्र के नाम से भी जानते है, वो एक भविष्यद्वक्ता थे जिन्होंने एक आन्दोलन की शुरुवात की थी। जिसने बाद में एक धर्म का रूप धारण कर लिया।
पारसी धर्म के संस्थापक ज़रथुश्त्र – Zoroaster History
यदि उनके जनम स्थान और समय के बारे किसी को जानकारी नहीं फिर भी ऐसा माना जाता है की ईसापूर्व 1500 और 500 के बिच पूर्वी ईरान में रहते थे। खानाबदोश जनजाति में जनम लेने के बाद लगभग 7 वर्ष की आयु में उन्होने पुजारी का प्रशिक्षण लेना आरंभ कर दिया। करीब 15 साल की उम्र में वे पुजारी बन चुके थे।
ग्रंथो के अनुसार, 20 साल कि उम्र में उन्होंने मातापिता को छोड़ दिया और अन्य शिक्षको और अपने खुद के अनुभवों से उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति की। 30 साल की उम्र में वसंत महोत्सव के दौरान उन्हें एक रहस्य का अनुभव हुआ। एक नदी के किनारे उन्हें एक चमकदार शक्ति नजर आयी, जिसने स्वयं को वोहू मनः (अच्छा उद्देश) संबोधित किया और उसे अहुरा मजदा ( बुद्धिमान आत्मा ) और अन्य पाच उज्ज्वल आकड़ो के बारे में शिक्षा दी।
जोरास्टर को जल्द ही दो मूल आत्मा के अस्तित्व का भी अहसास हुआ। दूसरी जो थी वो अन्ग्र मैन्यु ( प्रतिकूल आत्मा) थी। उसके साथ आशा (सच) और द्रुज ( झूठ बोलना) ये दो विरोधी संकल्पनाए भी थी।
इसलिए उन्होंने तय किया की लोगों को आशा की खोज करने के लिए अपना सारा जीवन बिताएंगे। उन्हें एक और खुलासे का अनुभव हुआ और उस खुलासे में उन्हें और सात अमेशा स्पेन्ता के दर्शन हुए। ग्रंथो और अवेस्ता में उनकी शिक्षा संग्रहित है।
उन्होंने मुक्त इच्छा की शिक्षा दी। अनुष्ठानोमे भ्रामक होमा वनस्पति का इस्तेमाल, बहुदेववाद, धार्मिक अनुष्ठानो का अनुष्ठान, प्राणियों का बलिदान का उन्होंने विरोध किया। और यही नहीं उन्होंने दमनकारी वर्ग व्यवस्था की भी कड़ा विरोध किया जिसके लिए उन्हें स्थानीय अधिकारियो के विरोध सहन करना पड़ा।
आखिरकार 42 साल की उम्र में उन्हें रानी हुतोसा और राजा विश्तास्पा का संरक्षण प्राप्त हुआ।( शाहनामा के अनुसार ये बक्ट्रिया के थे।) ये दोनों ज़ोरोस्त्रिंवाद के प्रारंभिक अनुयार्यी थे।
जो धर्म उन्होंने सिखाया वो चारो तरफ़ फ़ैल चूका था और 77 की आयु में उनकी मृत्यु हुई। उस धर्म का प्रसार सारे पर्शिया में हो चूका था। आज विश्व के सबसे पुराने धर्मो में से एक धर्म माना जाता है। ज़ोरोआस्टर एक ऐसे भविष्यद्वक्ता है जिन्होंने मानव जाती को अधिक उचाई तक पहुचाने का कार्य किया है।
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ज्ञानी पण्डित जी , आपने पारसी धर्म की बहुत अच्छी जानकारी दी है , और ये एक बहुत ही शांतिप्रिय धर्म के लोग होते है ,
अग्नि इनका पवित्र देव है , और भारत मे तो ये काफी कम संख्या में ही है ,
लेकिन भारत के बड़े उद्योग भी इनके ही हाथों में है ,
और आपने बहुत ही गहराई वाली जानकारी दी है , जो कि सभी के लिए सीखने योग्य है ।
Good , बहुत अच्छे , मुझे काफी जानकारी आपके इस आर्टिकल से मिली।।