साक्षी मलिक – Sakshi Malik एक भारतीय फ्रीस्टाइल रेसलर है। 2016 के रिओ ओलंपिक्स में साक्षी में 58 किलो की वजन केटेगरी में ब्रोंज मेडल जीता है और इसके साथ ही ओलंपिक्स में ब्रोंज मेडल जीतने वाली पहली महिला रेसलर बनी और साथ ही देश की तरफ से ओलंपिक्स में मेडल जीतने वाली चौथी महिला बनी।
इससे पहले 2014 में महिल ने ग्लासगो के कॉमनवेल्थ खेलो में भी सिल्वर और 2015 में दोहा की एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रोंज मेडल जीता था।
साक्षी मलिक फ्रीस्टाइल रेसलर – Wrestler Sakshi Malik Biography Hindi
साक्षी मलिक Sakshi Malik फ़िलहाल भारतीय रेल्वे के दिल्ली डिवीज़न के उत्तरी रेल्वे जोन में कमर्शियल डिपार्टमेंट में कार्यरत है। रिओ ओलंपिक्स में ब्रोंज मेडल जीतने के बाद उनका प्रमोशन कर उन्हें ऑफिसर रैंक का अधिकारी घोषित किया गया था। रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से उन्होंने शारीरिक शिक्षा प्राप्त की थी।
साक्षी मलिक का प्रारंभिक जीवन – Wrestler Sakshi Malik Early Life
साक्षी मलिक का जन्म 3 सितम्बर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले में हुआ था। उनके पिता के अनुसार अपने दादा बध्लू राम से उन्हें रेसलिंग की प्रेरणा मिली थी, उनके दादाजी भी एक रेसलर ही थे।12 साल की उम्र में ही उन्होंने एक कोच के साथ रेसलिंग का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। रोहतक के छोटू राम स्टेडियम में एक अखाड़े में वह इश्वर दहिया से प्रशिक्षण लेती थी। उनके कोच और उन्हें दोनों को ही स्थानिक लोगो की आलोचनाओ का काफी सामना कर पड़ा था क्योकि स्थानिक लोगो के अनुसार रेसलिंग जैसा खेल महिलाओ के लिये नही है।
प्रोफेशनल रेसलर के रूप में मलिक को पहली सफलता 2010 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिली उसमे उन्होंने 58 किलो की वजन केटेगरी में ब्रोंज मेडल जीता था। 2014 में दवे स्चुल्त्ज़ इंटरनेशनल टूर्नामेंट में उन्होंने 60 किलो की वजन केटेगरी में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था।
साक्षी मलिक Sakshi Malik ने अपने अभियान की शुरुवात 2014 में ग्लासगो कामनवेल्थ खेल में कैमरून की एड्वीग न्गोनो एयिया को 4-0 से हराकर क्वार्टरफाइनल मैच जीता था। सेमीफाइनल में उनका सामना कनाडा के ब्रक्सटोन स्टोन से हुआ था जिसमे उन्होंने उसे 3-1 से पराजित किया था। फाइनल मैच में उनकी विरोधी नाइजीरिया की अमिनत अदेनीयी थी जिन्होंने उन्होंने 4-0 से जीत हासिल की। 2014 में तश्केंट की वर्ल्ड चैंपियनशिप में उनका सामना 16 के राउंड में सेनेगल के सम्बोऊ से हुआ था और उन्होंने बाउट को 4-1 से जीता था।इसके बाद फ़िनलैंड की पत्र ओल्ली से उन्हें 1-3 की हार का सामना करना पड़ा।
2015 में दोहा में हुई एशियन चैंपियनशिप में 60 किलो की वजन केटेगरी में मलिक ने दो राउंड लढकर जीतने के बाद तीसरे स्थान पर काबिज रही और उन्होंने ब्रोंज मेडल हासिल किया। पहले राउंड में उनका सामना चाइना के लुओ क्सिओजुँ से हुआ जिसमे उन्हें 4-5 की हार का सामना करना पड़ा। लेकिन दुसरे राउंड में उन्होंने तेज़ी से वापसी की और मंगोलिया के मुन्ख्तुया तुन्गलग को 13-0 से हराया लेकिन बाद में तीसरे राउंड में उन्हें जापान की योशिमी कायमा से हार का सामना करना पड़ा।
2016 समर ओलंपिक्स –
मई 2016 में ओलंपिक्स वर्ल्ड क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में 58 किलो की वजन केटेगरी में उन्होंने सेमिनल में चाइना की जहाँग लं को हराकर 2016 रिओ ओलंपिक्स के लिये क्वालीफाई किया था। ओलंपिक्स में उन्होंने अपने 32 बाउट का राउंड स्वीडन की जोहना मत्तास्सों और 16 बाउट का राउंड माल्डोवा के मरिआना चेर्दिवारा को पराजीत कर जीता था। बाद में अपने पहले ही बाउट में मंगोलिया के पुरेवदोरजिन ओर्खों को पराजीत किया। इसके बाद कज्रिस्तान की एशियन चैंपियन ऐसुलू त्यन्य्बेकोवा को 8-5 से हराकर ब्रोंज मेडल जीता था। एक समय 0-5 से पिछड़ने के बाद भी उन्होंने वापसी की थी और मैच जीता था। और साथ ही ओलंपिक्स में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनी।
मेडल जीतने के बाद भारतीय रेल्वे ने साक्षी का प्रमोशन भी किया। भारतीय रेल्वे की तरफ से उन्हें बहुत से इनाम भी मिले जिसमे 5 करोड़ का नगद इनाम भी शामिल है, इसके साथ ही उन्हें भारतीय ओलंपिक्स एसोसिएशन, दी मिनिस्ट्री ऑफ़ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट, दी गवर्नमेंट ऑफ़ दिल्ली, राज्य सरकार (हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश) की तरफ से भी कई पुरस्कार मिले।
अपने अंतिम मैच में साक्षी ने आखिरी के 6 मिनट में जीत की नई कहानी लिख दी, जिस खेल को देखकर यह कह पाना मुश्किल था की वो उसे जीत सकेंगी, उसे आखिरी पलो में बदलकर रख दिया साक्षी ने। रेसलिंग, जिसे आमतौर पर लडको का खेल कहा जाता है, ऐसे में इस खेल को चुनना और 12 साल लगन से सीखना किसी भी लड़की के लिये आसान नही होता। क्योकि ऐसे समय में आपको एक लढाई खुद से लढनि होती है और दूसरी समाज से। और आज यह हैरान कर देने वाली बात है की लोग अपने रवैये को कैसे बदलते है। शुरू में जो लोग उनका साथ नही देते थे आज वही लोग उन्हें सहायता कर रहे है। साक्षी से जब उनके बेहद सुखद पल के बारे में पूछा गया था तब उन्होंने जवाब दिया की मेडल मिलने के बाद तिरंगा लहरा रहा था तब वही उनका सबसे खुशनुमा पल था। 23 वर्षीय महिला रेसलर ने आज पुरे देश का नाम रोशन किया है।
साक्षी मलिक – Sakshi Malik के मेडल जीतने के बाद रिओ ओलंपिक्स में मेडल का इंतज़ार कर रहे भारतीय खेल प्रेमियों के चेहरे पर वो मुस्कान आ ही गई थी जिसका उन्हें इंतज़ार था।
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