Women Empowerment Speech in Hindi
दुनिया के सबसे बड़े संविधान, भारतीय संविधान में महिलाओं को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर पुरुषों के बराबर अधिकार दिए गए हैं। इसके अलावा अभिव्यक्ति की आजादी समेत उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हैं, जो कि पुरुषों को हैं। बाबजूद इसके आज महिलाओं को अपने ही अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है।
आज भी महिलाओं की जिंदगी से जुड़े अहम फैसले पुरुष ही कर रहे हैं। वहीं एक तरफ जहां हमारा देश विकास की तरफ अग्रसर हो रहा हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे देश में घट रही बेटियों की संख्या वाकई में काफी चिंताजनक है।
आज भी देश मे ‘आधी आबादी’ की हालत बेहद दयनीय है, कई जगह तो बेटियों को जन्म लेने से पहले कोक में ही मार दिया जाता है तो भारत के कई गांव ऐसे भी हैं जहां बेटियों की शिक्षा पर जोर नहीं दिया जाता और उन्हें मानसिक तौर पर टॉर्चर किया जाता है।
इसके साथ ही महिलाओं को लाड़, प्यार और दर्जा नहीं दिया जाता है, जो बेटों को दिया जाता है। इसलिए इस पर ध्यान देने की बेहद जरूरत है वहीं देश में लैंगिंग असमानता होने, महिलाओं को बराबरी का हक नहीं देने की वजह से ही महिला सशक्तिकरण की जरूरत पड़ी।
वहीं महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को न सिर्फ सशक्त बनाने की जरूरत है, बल्कि लड़कियों के प्रति समाज की दकियानूसी सोच में परिवर्तन लाने की भी जरूरत है।
हालांकि महिला सशक्तिकरण के लिए समय-समय पर कई योजनाएं चलाई जाती हैं, और अभियान का आयोजन किया जाता है, वहीं आज महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाने और उन्हें सशक्त दिलवाने के लिए भी कई प्रयास किए जा रहे हैं, इसी दिशा में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का भी आय़ोजन किया जाता है।
इसके साथ ही महिलाओं को उनकी शक्ति का एहसास दिलवाने और उनके सम्मान में कई तरह के क्रायक्रमों का भी आयोजन होता है, जिसमें महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर भाषण दिए जाते हैं, इसी कड़ी में आज हम इस लेख में आपको महिला सशक्तिकरण के विषय पर अलग-अलग भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका आप अपनी जरूरत और पसंद के मुताबिक चयन कर सकते हैं –
महिला सशक्तिकरण पर भाषण – Women Empowerment Speech
महिला सशक्तिकरण पर भाषण नंबर 1- Nari Shakti Speech in Hindi
माननीय प्रधानाचार्य, सभी अध्यापक, और भाई-बहनों और यहां मौजूद सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार, मै…. आप सभी का आभार व्यक्त करती हूं कि आपने आज मुझे इस कार्यक्रम में अपने विचार रखने का मौका दिया। मै इस मौके पर आज महिला सशक्तिकरण पर भाषण देना चाहती हूं।
महिला सशक्तिकरण से कुछ बोलने से पहले मै आपको महिला सशक्तिकरण का अर्थ समझाना चाहूंगी, दरअसल महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिला की क्षमता से होता है, जिसमें महिलाएं उतनी मजबूत और शक्तिशाली होती हैं, जिसमें वह अपनी जिंदगी से जुड़े निर्णय खुद ले सकती हैं अर्थात नारियों को अपने खुद के फैसले लेने और उनकी सोच को बदलना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि भारत हमेशा से ही पुरुष प्रधान देश रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को आज भी खुद को साबित करने के लिए और सशक्त बनने के लिए आज भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
हां लेकिन इतना जरूर है कि महिलाओं के संघर्ष में कुछ कमी आई है अर्थात महिलाओं की स्थिति में पहले से तो सुधार हो गया है, लेकिन फिर भी देश के आज ऐसे कई राज्य हैं, जहां महिलाओं को कोक में ही मार दिया गया है, यानि कि कन्या भ्रूण हत्या के मसले आजकल आम हो गए हैं।
हालांकि इसके लिए कई नियम-कानून भी बनाए गए हैं। वहीं महिलाओं के अधिकारों के लिए और उनको सशक्त बनाने के लिए आज न सिर्फ महिलाएं लड़ रही हैं, बल्कि हमारी सरकारें भी कई ऐसी योजनाएं बना रही हैं जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और उन्हें अपना अपना हक मिल सके और वे विकास कर सके।
वहीं महिलाएं देश की आधी आबादी और समाज की आधी शक्ति कही जाती हैं, अगर आज महिलाओं को भी पुरुषों की तरह तवज्जों दी जाए, उन्हें पुरुष के बराबर अधिकार दिए जाएं और उन्हें अपनी शक्ति का इस्तेमाल करने का मौका मिले तो आज हमारा देश एक विकिसत देश बन जाएगा साथ ही देश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, साथ ही हमारा देश विश्व का सबसे शक्तिशाली देश बन जाएगा।
वहीं आज भी हमारे देश में महिलाओं की जिंदगी से जुड़े फैसले करने का अधिकार पुरुष ही लेते हैं, जैसे कि लड़की की शादी, पढ़ाई-लिखाई और जॉब से संबंधित कई फैसले परिवार में लड़की के पिता-भाई या फिर पति ही करते हैं।
आज भी महिला परिवारिक बंधन में बंधी हुईं हैं और पूरी तरह अपनी मर्जी से फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है।
क्योंकि घर के कामकाज और सभी जिम्मेदारियां सिर्फ महिलाओं को ही दी गई हैं, वहीं अगर पुरुष भी घर से जुडे़ कामकाज और अपनी जिम्मेदारियों को समझने में सहयोग करेंगे तो महिलाएं भी अपनी जीवन से जुड़े अहम निर्णय ले सकेंगी, इसके साथ ही आर्थिक रुप से सशक्त और मजबूत बन सकेंगी।
इसलिए महिलाओं के विकास में सभी भारतीय पुरुषों को समान रुप से सहयोग करना चाहिए और महिलाओं के महत्व को समझते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि महिलाएं स्वतंत्र रुप से आगे बढ़ सके और देश के विकास में अपना सहयोग कर सकें।
हालांकि, महिला सशक्तिकरण के लिए भारत में लैंगिग समानता लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हमारे देश में कई तरह के कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन अभी भी कोई भी कानून इतना प्रभावशाली नहीं है, जिससे इस दिशा में पूरी तरह सुधार हो सके।
हालांकि, सिर्फ सरकार के नियम-कानून बनाने से या फिर योजनाएं बनाने से ही महिला सशक्तिकरण नहीं होगा, इसके लिए देश और समाज के हर पुरुष को अपनी सोच बदलने की जरूरत है, और महिलाओं को आगे बढ़ने में उनका सहयोग करने की जरूरत है।
वहीं जब तक देश के सभी पुरुष व्यक्तिगत रुप से महिलाओं को आगे बढ़ने में उनकी मद्द नहीं करेंगे तब तक महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा और तब तक देश में महिला सशक्तिकरण सही मायने में नहीं होगा, और न ही महलाओं को उनकी असली जगह मिल पाएगी,जिसकी वो असल मायने में हकदार है। आज महिला सशक्तिकरण विषय पर बस इतना ही, मै अपने इस भाषण पर मैं एक आखिरी पंक्ति के साथ विराम देना चाहूंगी –
सम्मान, प्रतिष्ठा और प्यार, यही हैं महिला सशक्तिकरण का आधार।
धन्यवाद।
नारी शक्ति पर अगले पेज पर और भी भाषण…
It is very helpful..