Why We Celebrate Teachers Day
“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”
अर्थात् गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; ऐसे गुरु का मैं नमन करता हूँ।
5 सितंबर पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिन हम सभी अपने जीवन में जिसके मार्गदर्शन से आगे बढ़े हैं और जिनसे भी हमें कुछ सीखने को मिला हैं उन सबसे प्रति सम्मान जताते हैं।
हमारे यहां प्राचीनकाल से ही गुरु-शिष्य परंपरा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। वैसे भी कहा गया है कि अशिक्षित मनुष्य अपूर्ण होता है और समाज में खड़े रहने लायक नहीं होता अर्थात शिक्षा बेहद अहम है, जाहिर है कि इसे प्रदान करने वाला या शिक्षक और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
फिलहाल एक शिक्षक अपने शिष्य के भविष्य को निखारने के साथ-साथ समाज को सही दिशा देने का काम करता है। जिससे एक सभ्य समाज का निर्माण होता है।
शिक्षक दिवस गुरु और शिष्यों के लिए बेहद खास दिन होता है इस दिन गुरु और शिष्य अपने बीच के रिश्तों की भावनाओं को प्रकट करते हैं और इस रिश्ते को मजबूत बनाते हैं। इस दिन शिष्य गुरुओं को याद कर अपनी जिंदगी की आधारशिला रखने के लिए धन्यवाद करते हैं।
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस? – Why We Celebrate Teachers Day?
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, 5 सितंबर, 1888 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। वहीं 1962 डॉ. राधाकृष्णन को देश का राष्ट्रपति बनाया गया था जिसके बाद उनके सम्मान में लोगों ने 5 सितंबर के दिन को ‘राधाकृष्णन दिवस’ के तौर पर मनाने का फैसला किया।
हालांकि, खुद राष्ट्रपति ने इसे मनाने से मना कर दिया और कहा कि 5 सितंबर को उनकी बर्थडे की बजाय ‘टीचर्स डे’ के तौर पर मनाए जाए जिसके बाद से हर साल इस दिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। वे एक महान दार्शनिक, शिक्षक विद्वान, भारतीय संस्कृति के संवाहक और प्रख्यात शिक्षाविद थे। वे पूरी दुनिया को ही एक ही स्कूल मानते थे।
उनका कहना था कि
“शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें!”
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक आदर्श शिक्षक थे और अपने सुविचारों से लोगों को प्रभावित करते थे। उनका मानना था कि जहां से कुछ अच्छा सीखने को मिले उसे अपने जिंदगी में जरूर अपना लेना चाहिए। इसके अलावा वे पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे।
तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में जन्मे डॉ.राधाकृष्णन सर्वपल्ली ने राजनीति में आने से पहले उन्होंने अपने जीवन के 40 साल शिक्षक के रूप में काम किया था। राधाकृष्णन का मानना था कि
“शिक्षा विहीन मनुष्य कभी भी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता है इसलिए इंसान के जीवन में एक शिक्षक का होना बेहद जरूरी है।”
कौन थे डॉक्टर राधाकृष्णन? – Who was Dr. Radhakrishnan ?
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में हुआ था। वे बचपन से ही होनहार छात्र थे उनकी प्रतिभा देख हर कोई हैरान रहता है।
आपको बता दें कि राधाकृष्णन के पिता अंग्रेजी शिक्षा के खिलाफ थे और वे नहीं चाहते थे कि उनका बेटा अंग्रेजी सीखे, वे चाहते थे कि राधाकृष्णन मंदिर के पुजारी बने। लेकिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन में सीखने की ललक बचपन से ही थी और पढाई के प्रति खासी रुचि थी इसलिए उन्होनें अपनी पिता की बातों पर ध्यान नहीं दिया और वे तिरुपति और वेल्लोर में उच्चशिक्षा हासिल करने चले गए।
उनकी आरंभिक शिक्षा तिरूवल्लुर के गौड़ी स्कूल और तिरूपति मिशन स्कूल में हुई थी। फिर मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की थी। 1916 में उन्होंने दर्शन शास्त्र में एम.ए. किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के सहायक प्रिंसिपल का पद संभाला। 16 साल की उम्र में उनकी शादी 1903 में सिवाकामु के साथ हो गई।
इसके बाद डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी पूरी जिंदगी शिक्षा को ही समर्पित करने का फैसला लिया। यही नहीं वे महान दार्शनिक और एक अच्छे शिक्षक के रूप में जाने जाने लगे जिसके बाद उन्हें मैसूर, कोलकाता, ऑक्सफोर्ड और बाद में शिकागो भी शिक्षा विशेषज्ञ के तौर पर बुलाया भी गया।
आपको बता दें कि जिस समय राधाकृष्णन को विदेशों में शिक्षा पर लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था उस समय किसी भी भारतीय का इस तरह विदेशों में आमंत्रित किया जाना बहुत गौरावान्वित करने वाला था।
डॉ. राधाकृष्णन को ब्रिटिश सरकार ने सर की उपाधि से भी सम्मानित किया था।
भारत की आजादी के बाद राधाकृष्णन को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनैतिक कार्यों की पूर्ति करने का आग्रह किया। 1952 तक वह इसी पद पर रहे और उसके बाद उन्हें उपराष्ट्रपती नियुक्त किया गया। राजेन्द्र प्रसाद का कार्यकाल 1962 में समाप्त होने के बाद उनको भारत का दूसरा राष्ट्रपति बनाया गया। 17 अप्रैल 1975 में लंबे समय तक बीमार रहने के बाद उनका निधन हो गया
शिक्षक दिवस का महत्व – Importance of Teacher’s Day
शिक्षक दिवस पूरे देश में बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों शिष्य-गुरु के बीच संवाद कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें छात्र अपनी भावनाओं को अपने गुरुओं के सामने प्रकट करते हैं और अपने गुरुओं को सही मार्गदर्शन दिखाने के लिए धन्यवाद करते हैं।
पुराने समय में गुरुओं का विशेष स्थान था क्योंकि बिना गुरु के ज्ञान के एक इंसान का जीवन हमेशा अधूरा ही रह जाता है। कोई भी व्यक्ति गुरु से ज्ञान प्राप्त कर सफलता के शिखर तक पहुंच सकता है।
भारत में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है – How Teachers Day is celebrated in India
भारत में शिक्षक दिवस को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखा जाता है वे कई दिन पहले से ही अपने टीचर्स के लिए कुछ खास करने की तैयारी में जुट जाते हैं। इस दिन स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती हैं, और कई कार्यक्रमों का आय़ोजन किया जाता है।
साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी होती है जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों ही हिस्सा लेते है और गुरु-शिष्य परम्परा को कायम रखने का संकल्प लेते हैं। इस दिन बच्चे अपने सम्मान के रूप में अपने टीचर्स को चॉकलेट, गिफ्ट या अपने हाथों से बनाया हुआ ग्रीटिंग कार्ड भी देते हैं। और अपने गुरु-शिष्य के रिश्तों की डोर को मजबूत रखने की कोशिश करते हैं।
यह दिन शिक्षक और छात्रों के लिए बेहद अहम होता है। कोई भी व्यक्ति बिना गुरु के अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता है। शिक्षा का असली ज्ञान सिर्फ एक शिक्षक ही दे सकता है।
शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों और गुरूओं को समर्पित है। इस दिन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है।
शिक्षक के बिना सही रास्तों पर नहीं चला जा सकता है। वह बच्चों को सही दिशा प्रदान करते है। तभी शिक्षक छात्रों को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए अपने नियमों में बांधकर रखता है जिससे वह अनुशासित रहे और मार्ग से नहीं भटके। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि जन्म दाता से बढ़कर महत्व एक शिक्षक का होता है क्योंकि ज्ञान ही एक इंसान को सफल व्यक्ति बनाता है।
मुझे ये आर्टिकल पढ़ क्र मे बहुत अच्छा लगा इसमे अपने ना केवल ये बताया की शिक्षक दिवस मनाया जाता है बल्कि अपने इसका महत्व. Thank you Shivangi
शिक्षक दिवस बारे में बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है आपने