SC-ST Act
पूरे देश में पिछले कुछ समय से एससी एसटी एक्ट को लेकर काफी विवाद देखने को मिल रहा है केंद्र सरकार की दखल अंदाजी के बाद सुप्रीम कोर्ट दारा एससी एसटी एक्ट में किया गया बदलाव बहाल हो जाएगा इसी को लेकर कुछ लोग इसके पक्ष में नजर आ रहे है तो कई लोग इसके विपक्ष में नजर आ रहे हैं।
और कई लोग इस फैसले का विरोध करे या फिर इसके पक्ष में है लेकिन उन्हें इस एक्ट के बारे में पूरी जानकारी नहीं है केवल आधी अधूरी खबरों को सुनकर वो पक्ष या विरोध में हो गए है लेकिन इसकी कानून का विरोध करने से पहले उसके बारे में पूर्ण जानकारी होना बहुत जरुरी है तभी आपको अपने अधिकारों का सही फायदा मिल पाएगा तो चलिए आपको बताते है एससी एसटी एक्ट – SC ST Act के बारे में।
क्या आप जानते हैं एससी एसटी एक्ट क्या हैं – SC-ST Act
एससी एसटी के पुराने नियम – SC-ST Old Act
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 के अनुसार ये कानून था कि अगर देश में कोई भी व्यक्ति जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए गाली गलौच करता है उसे उसी समय एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया जाएगा। एससी एसटी एक्ट के पुराने नियम के तहत इस मामले में केवल हाइकोर्ट से ही जमानत का प्रवाधान था साथ ही इस एक्ट से जुड़े किसी भी केस की जांच का अधिकार इंस्पेक्टर पद के अधिकारी को था।
एससी एसटी एक्ट के नए नियम – SC-ST New Act
लेकिन इस साल सुप्रीम कोर्ट ने इसमें बदलाव करने का फैसला किया। दरअसल इस साल एससी एसटी एक्ट के दुरुपयोग के कारण सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने का फैसला किया था।
इस साल महाराष्ट्र के एक केस की सुनावई करते हुए सुप्रीम कोर्ट को एहसास हुआ कि एससी एसटी एक्ट के तहत कई फर्जी केस भी दर्ज कराए जाते है और इस कानून के दुरुपयोग के कारण कई लोगों की जिंदगी खराब हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट उस समय इस पर चिंता भी जताई थी और एससी एसटी एक्ट में बदलाव करते हुए इसमें कुछ नियम लागू किए थे ताकि इस कानून का गलत उपयोग न किया जा सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी एक्ट में बदलाव करते हुए इस एक्ट से जुड़े केस में तुरंत गिरफ्तारी के प्रवाधान को खत्म कर दिया था साथ ही इस एक्ट से जुड़े केस की जांच का अधिकार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या एससपी पोस्ट के अधिकारी के हाथ में दे दिया था। इसके अलावा सरकारी कर्मचारी द्वारा इस एक्ट के दुरुपयोग किए जाने पर विभाग के अधिकारी की अनुमति के बाद गिरफ्तारी के प्रवाधान के निर्देश दिए थे।
साथ ही जमानत को लेकर निचली अदालतों को फैसला लेने की ताकत दी थी यानी की आरोपी को जमानत देनी है या नही ये फैसला अब निचली अदालतें कर सकती थी। इसके अलावा आरोप सिद्ध होने तक व्यक्ति को गिरफ्तार न किए जाने का प्रावधान भी नए नियमों में शामिल था।
सुप्रीम कोर्ट के नए नियमों को क्यूँ रद्द किया गया – Why the Supreme Court SC-ST New Rules were Canceled
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि एससी एक्ट में बदलाव की बड़ी वजह ये है कि इस एक्ट के तहत पिछले कई सालों में कई झूठे केस दर्ज किए गए जिसे लोगों की जिंदगी में काफी बुरा प्रभाव पड़ा है।
लेकिन इसके बाद एससी एसटी एक्ट में किए संशोधन के खिलाफ एससी एसटी समुदाय ने विरोध जताया उनका कहना था कि एक्ट में बदलाव के बाद उन पर आत्याचार बढ़ेगा। जिस वजह से केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 18ए जोड़ने का फैसला किया जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया फैसला रद्द कर दिया जाएगा।
और अब पुराने नियम दोबारा से लागू हो जाएंगे। यानी कि अब फिर से एससी एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी होगी, आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी, केवल हाइकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल पाएगी। साथी ही इसकी जांच पुलिस इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी ही करेगा। और इस पर तुंरत मामला दर्ज होगा।
अब आप पूरी तरह समझ चुके होंगे कि एससी एसटी एक्ट क्या है और इसका उपयोग या दुरुपयोग क्या है?
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