what is JPC (Joint parliamentary committee)
इन दिनों भारतीय राजनीति में राफेल का मुद्दा छाया हुआ है। राफेल विमान का नाम है जो भारत फ्रांस से खरीद रहा है। इस डील की कीमत को लेकर विपक्षी पार्टियों और सरकार के बीच मतभेद है। वो मतभेद क्या है ये तो आप न्यूज चैनल पर सुन ही रहें होगें।
लेकिन इस मामले में आपको इन दिनों जेपीसी का नाम भी कई बार सुने को मिल रहा है। दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने JPC जेपीसी से राफेल डील मुद्दे की जांच कराने की मांग की है। लेकिन क्या है जेपीसी( JPC) और कैसे काम करता है इसके बारे में बहुत कम लोग जानते है।
आख़िर क्या है जेपीसी – what is JPC (Joint parliamentary committee)
जेपीसी की फुल फॉर्म ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी है। ज्वाइंट पार्लिमेंटरी कमेटी संसद की वो समिति है जिसमें पार्लियमेंट में मौजूद सभी दलों को समान भागीदारी का मौका मिलता है। यहां पर ये मायने नहीं रखता कि कौन सा दल सत्ता में है और कौन सा नहीं। क्योंकि जेपीसी में सभी दलों की भागीदारी बराबर होती है।
साथ ही जेपीसी को ये अधिकार होता है कि वह उस व्यक्ति या संगठन को अपने पक्ष बुलाकर मामले को सुन सकता है जिसे लेकर जेपीसी का गठन किया गया है। लेकिन अगर वो व्यक्ति या संस्था जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होते है इसे संसद की अवहेलनना माना जाता है साथ ही इस संदर्भ में व्यक्ति और संस्था से लिखित या मौखिक जवाब या दोनों मांग सकती है।
जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियमेंटरी कमेटी से जुड़ी अहम बातें – Fact about JPC
पहली बार ज्वांइट पार्लिमेंटरी कमेटी का गठन साल 1987 में किया गया था। उस समय इस कमेटी का गठन बोफोर्स घोटाले की तहकीकत के लिए किया गया था। इसके अब तक पांच ओर बार जेपीसी कमेटी का गठन किया जा चुका है।
दूसरी बार जेपीसी का गठन 6 अगस्त साल 1992 को किया गया। इस कमेटी का गठन हर्षद मेहता के शेयर घोटाले की जांच केलिए हुआ था।
इसके बाद साल 2001 में भी शेयर बाजार में एक बड़ा घोटाला हुआ। जिसके लिए भी जेपीसी के गठन की बात उठी। और जेपीसी का गठन कर इस मामले की जांच की गई।
शेयर घोटाले के बाद जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियमेंटरी कमेटी गठन उस समय हुआ जब साल 2003 में भारत में बनने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स और दूसरे पेय पर्दाथों में कीटानशक होने की बात उठी। इसकी जांच करने के लिए इस कमेटी का गठन किया।
चौथी बार जेपीसी का गठन साल 2011 में हजारों करोड़ के 2जी सेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए जेपीसी का गठन किया गया था।
पांचवी और आखिरी बार साल 2013 में वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटले को लेकर किया गया।
जेपीसी के गठन से विपक्ष को फायदे – Advantage of JPC
जेपीसी के गठन के जरिए विपक्षी पार्टियां अक्सर जनता के बीच सरकार विरोधी मौहल बनाने की कोशिश करती है। जेपीसी के गठन से किसी कथित मामले को लेकर हुए स्कैम पर अधिकारिक मुहर लग जाती है। यानी कि इसके बाद कोई भी इस मामले को स्कैम यानी घोटाला कह सकता है। साथ ही जेपीसी में सभी दल होते है इसलिए पक्ष पात नहीं होता। लेकिन इस तरह की समितियों का फायदा तभी होता है जब राजनीतिक पार्टियां इसे अपने वोट बैंक के लिए नहीं बल्कि जनता के हित के लिए उपयोग करती है।
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