वर्गाल सरस्वती मंदिर | Wargal Saraswati Temple

वर्गाल सरस्वती मंदिर – Wargal Saraswati Temple

हमारे आसपास हमें बहुत से देवी देवताओं मंदिर देखने को मिलते हैं लेकिन देवी सरस्वती के मंदिर हमें अधिक संख्या में देखने को नहीं मिलते। इसके पीछे की असली वजह यह है की देवी सरस्वती के बहुत ही कम मंदिर बनाये जाते है।

इसीलिए हमे देवी सरस्वती के दर्शन करने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। एक ऐसा ही मंदिर जो देवी सरस्वती को समर्पित है उसकी जानकारी हम आपको बताने जा रहे है। तो चलिए जानते है तेलंगाना जैसे छोटे से राज्य में बसे वर्गाल सरस्वती मंदिर की जानकारी।

Wargal Saraswati Temple

वर्गाल सरस्वती मंदिर – Wargal Saraswati Temple

वर्गाल सरस्वती मंदिर तेलंगाना के मेदक जिले में स्थित है। इस मंदिर को कुछ लोग श्री विद्या सरस्वती मंदिर भी कहते है।

हिन्दू धर्म में देवी सरस्वती को विद्या की देवता माना जाता है। इस मंदिर की सारी देखभाल करने का काम कांची शंकर मठ का है। इस मंदिर परिसर के निर्माण का सारा श्रेय यायावाराम चंद्रशेखर को दिया जाता है। वह देवी सरस्वती के बड़े भक्त थे।

सन 1989 में वसंत पंचमी के दिन श्री विद्या देवी सरस्वती मंदिर में भूमि पूजा की गयी।

सन 1992 मे इस मंदिर में त्रयोदशी के दिन माघ शुद्ध महीने में इस मंदिर में देवी श्री सरस्वती देवी और शनिदेव की मूर्ति की स्थापना की गयी थी। पुष्पगिरी पीठाधिपति श्री श्री श्री विद्या न्रुसिम्हा भारती स्वामी के द्वारा इन मूर्तियों की स्थापन की गयी थी।

1998 में सत्य पतम समिति ने इस पहाड़ी पर मंदिर की नयी ईमारत बनाने की शुरुवात की, क्यों की इस पहाड़ी पर पहले भी 400 साल पहले मंदिर हुआ करते थे। कांची पीतम के श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती ने इस मंदिर में 1999 में वेदों की पाठशाला की भी शुरुवात की।

जहापर बच्चो को वेदों का अमूल्य ज्ञान दिया जाता है। यहापर करीब 300 छात्रों के लिए रहने सुविधा की गयी है। सरस्वती देवी कला, संगीत, ज्ञान, और बुद्धिमत्ता की देवता है। हिन्दू धर्म के अनुसार देवी सरस्वती सृष्टि के रचयिता ब्रहमदेव की पत्नी है। देवी सरस्वती सभी तरह के चिंता, निराशा और भ्रम से हमें मुक्ति दिलाती है।

देवी सरस्वती का यह मंदिर अक्षराभ्यासम के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। बहुत से लोग अपने बच्चो को इस मन्दिर में ‘अक्षराभ्यासम’ की पूजा के लिए साथ में लाते है । इस मंदिर में जितने भी भक्त आते है उनके लिए यहापर मुफ्त में खाने की सुविधा की गयी है जिसे ‘नित्य आनंदम’ भी कहा जाता है।

इस मंदिर में वसंत पंचमी, नवरात्रि महोत्सव और शनि त्रयोदशी बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है।

वर्गाल गाव की इस पहाड़ी पर शनि देवी मंदिर, लक्ष्मी गणपति मंदिर, भगवान शिव मंदिर और भगवान विष्णु के भी कुछ मंदिरे है। लेकिन अब इन मंदिरों का हालत काफी ख़राब हो चुकी है और इनमे देवताओ की मुर्तिया भी ठीक से दिख नहीं पाती। इन सभी मंदिरों का निर्माण काकतीया शासको से भी पहले किया गया था।

देवी सरस्वती का यह मंदिर एक छोटेसे गाव में स्थित है। मगर यह मंदिर इस गाव में स्थित नहीं है। क्यों की यह मंदिर गाव के परिसर की पहाड़ी में बसा है।

मगर इस पहाड़ी पर केवल देवी सरस्वती का ही मंदिर नहीं बल्की इस पहाड़ी पर अन्य देवता के भी मंदिर है। इस मंदिर में लोग विशेष रूप से अपने बच्चो को साथ में लाते है ताकी उनके बच्चे अच्छे से पढाई कर सके। यहापर उसके लिए विशेष पूजा का भी प्रावधान किया जाता है।

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