प्रख्यात निदेशक वि. शांताराम | V. Shantaram

V. Shantaram – शांताराम राजाराम वणकुद्रे जिन्हें वि शांताराम या शांताराम बापू भी कहते है,एक मराठी फ़िल्म निर्माता और अभिनेता भी थे। डॉ. कोटनिस की अमर कहानी (1946), अमरभूपाली (1951), झनक झनक पायल बाजे (1955), दो आखे बारह हाथ (1957), नवरंग (1959), दुनिया ना माने (1937), पिंजरा (1972), चानी, इए मराठीची नगरी और झुंज इन फिल्मो के लिए वि. शांताराम जाने जाते है।

V. Shantaram
प्रख्यात निदेशक स्वर्गीय वि. शांताराम – V. Shantaram

कोल्हापुर के मराठी जैन परिवार में शांताराम का जन्म हुआ और उन्होंने तीन बार शादी की। उनकी पहली पत्नी विमला को तीन बच्चे थे बेटा प्रभात कुमार,बेटीया सरोज और चारुशीला।

उसके बाद शांताराम ने अभिनेत्री जयश्री(नी कमुलकर)से विवाह किया। उन्हें तीन संतान थे। मराठी फ़िल्म निर्देशक और निर्माति किरण, अभिनत्री राजश्री और तेजश्री।

उनकी तीसरी पत्नी अभिनेत्री संध्या थी(नी विजया देशमुख)। वो उनकी सहकलाकार थी। साथ ही वो झनक झनक पायल बाजे,नवरंग,जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली और सेहरा में मुख्य नायिका भी थी।

वि शांताराम करिअर – V. Shantaram Career

शांताराम, जिन्हें प्यार से अन्नासहेब कह के बुलाया जाता है, उनका छे दशको का फ़िल्मी सफ़र काफ़ी शानदार रहा है। वि. शांताराम ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुवात कोल्हापुर में बाबुराव पेंटर के महाराष्ट्र फ़िल्म कंपनी में अजीब काम कर के की थी। 1921 में उन्होंने मूक फ़िल्म “सुरेखा हरण” में बतौर अभिनेता के रूप में आगमन किया था।

वो शुरुवाती फ़िल्म निर्माताओं में से एक है जिन्होंने समाज में परिवर्तन लाने के लिए फ़िल्मी माध्यम का काफ़ी प्रभावशाली तरीक़े से एक साधन के रूप में इस्तेमाल कर मानवतावाद का समर्थन किया। और दूसरी तरफ़ कट्टरता और अन्नाय का पर्दाफाश भी किया।

वि. शांताराम को संगीत में काफ़ी रूचि थी। ऐसा कहा जाता है की उन्होंने अपने संगीत निर्देशको के लिए “भुत लिखा” संगीत दिया था और वो संगीत के निर्माण में बहुत सक्रियता से शामिल होते थे।

1927 में उन्होंने “नेताजी पालकर” नामक पहली फ़िल्म निर्देशित की। सन 1929 में उन्होंने विष्णुपंत दामले,एस फतेलाल, के आर ढिबर और एस बी कुलकर्णी के साथ मिलकर प्रभात फ़िल्म कंपनी की स्थापना की। इन्होने साथ में मिलकर सन 1932 में वि. शांताराम के निर्देशन में “अयोध्येचा राजा” नामक मराठी फ़िल्म बनाई।

मुंबई में “राजकमल कलामंदिर” की स्थापना के लिए उन्होंने सन 1942 में प्रभात कंपनी छोड़ दी। समय के साथ,राजकमल देश के अत्यधिक परिष्कृत स्टूडियो में से एक स्टूडियो बन चुका था।

उनकी मराठी फ़िल्म “माणूस” के लिए चार्ली चैपलिन ने उनकी प्रशंसा की। चैपलिन को बहुत हद तक ये फ़िल्म पसंद आयी थी।

31 मार्च 2016 को प्रख्यात निदेशक स्वर्गीय वि. शांताराम की मराठी फ़िल्म “पिंजरा” को फिर से डिजिटल प्रारूप में रिलीज़ किया गया। 1972 में रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने इसी दिन इस फ़िल्म ने रिलीज़ के 44 साल भी पुरे कर लिए। यह फ़िल्म अपने समय की सबसे ज्यादा सफ़ल होने वाली फिल्मो में से एक है और 1972 की मराठी की सर्वश्रेष्ट फीचर फ़िल्म के लिए इसे राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी मिला।

उनका आत्मचरित्र “शांताराम” हिंदी और मराठी में प्रकाशित किया गया।

वि. शांताराम की मृत्यु – V. Santaram Death

मुंबई में 30 अक्तूबर 1990 में शांताराम की मृत्यु हुई।

केंद्रीय सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने मिलकर वि. शांताराम पुरस्कार की स्थापना की। सन 1993 में स्थापित वि शांताराम मोशन पिक्चर वैज्ञानिक अनुसंधान और सांस्कृतिक फाउंडेशन फ़िल्म निर्माताओ को पुरस्कार प्रदान करता है। 18 नवम्बर के दिन पुरस्कार दिए जाते है। 17 नवम्बर 2001 को उनके सम्मान में भारतीय डाक ने उनके ऊपर एक डाक टिकेट जारी किया।

वि. शांताराम को मिले हुए पुरस्कार – V Shantaram Awards

  • 1957 – हिंदी में सर्वश्रेष्ट फीचर फ़िल्म के लिए राष्ट्रपति का रजत पदक –दो आखे बारह हाथ
  • 1958- बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव, रजत बेयर (विशेष पुरस्कार )-दो आखे बारह हाथ
  • 1985- दादासाहेब फालके पुरस्कार
  • 1992- पद्म विभूषण
  • 1995 – झनक झनक पायल बाजे के लिए राष्ट्रपति का रजत पदक सर्वश्रेष्ट फीचर फ़िल्म हिंदी

Read More:

I hope these “V. Shantaram Biography in Hindi” will like you. If you like these “V. Shantaram Biography” then please like our facebook page & share on whatsapp. and for latest update download : Gyani Pandit free Android app.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here