जाकिर हुसैन की जीवनी | Ustad Zakir Hussain Biography In Hindi

Zakir Hussain – जाकिर हुसैन तबला वादक और संगीत दोनों ही क्षेत्रो के अंतरराष्ट्रिय महारथी है. वे एक शास्त्रीय तबला वादक है जो उत्कृष्ट तरीके से तबला बजाते है, बेहतर तरीके से तबला बजाने की उनकी इस कला ने उन्हें अपने देश भारत में ही नही बल्कि विश्व प्रसिद्धि दिलवाई. जब भी वे तबला बजाते थे तो उससे निकलने वाले संगीत और धुन से काफी अंतर्बोध होता था. वे पूरी निपुणता से अपना तात्कालिक प्रदर्शन करते हुए, अपने तबले की धुन से लोगो के दिलो को छू जाते थे. तबला बजाने की उनकी कला, उनके ज्ञान और अभ्यास को देखकर सभी अचंभित है.

Ustad Zakir Hussain

 

उस्ताद जाकिर हुसैन की जीवनी – Ustad Zakir Hussain Biography In Hindi

जाकिर हुसैन अपने जीवन में भारतीय फिल्म जगत के कई महान गायन, नृतक और अभिनेताओ के साथ प्रदर्शन किया है. भारतीय शास्त्रीय संगीत के विकास में उनके योगदान को कोई नही भूल सकता, उन्होंने अपने हुनर से भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई. उनके इस योगदान में उनका इतिहासिक योगदान ‘शक्ति’ भी शामिल है, जिसकी स्थापना उन्होंने जॉन मैकलौघ्लीन और एल.शंकर के साथ मिलकर की थी. संगीत और तबला वाद्य के क्षेत्र में उनके इस महान योगदान को देखते हुए अप्रैल 2009 में उन्हें सम्मानित भी किया गया था.

भारत सरकार द्वारा उन्हें 1988 में पद्म श्री और 2002 में उन्हें पद्म भुषण से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1990 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. यही नहीं बल्कि 1999 में उन्हें यूनाइटेड स्टेट नेशनल एंडोमेंट द्वारा कला के क्षेत्र में भी पुरस्कृत किया गया था, जो की किसी भी कलाकार और संगीतकार को मिलने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है.

जाकिर हुसैन का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा – Zakir Hussain Early Life & Education

जाकिर हुसैन का जन्म महान तबला वादक अल्लाह रखा के घर में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल हाई स्कूल, महिम से ग्रहण की और सेंट ज़ेवियर कॉलेज, मुंबई से वे ग्रेजुएट हुए.

जाकिर हुसैन बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा पाने वाले बच्चे के रूप में उभरे थे. 3 साल की आयु से ही उनके पिता उन्हें पखावज पढ़ाने लगे थे. 11 साल की अल्पायु से ही वे यात्रा करने लगे थे. 1970 में वे अपना अंतरराष्ट्रिय करियर शुरू करने के उद्देश से यूनाइटेड स्टेट गये थे.

जाकिर हुसैन का करियर – Zakir Hussain Career

Zakir Hussain का पहला प्लेनेट ड्रम एल्बम 1991 में रिलीज़ किया गया था. जिसके लिए उन्हें 1992 में बेस्ट म्यूजिक एल्बम के लिए ग्रैमी अवार्ड भी मिला था. उस समय उनके क्षेत्र में यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले भारतीय थे. बाद में उनकी प्रतिभा को देखते हुए ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट एल्बम एंड टूर ने मिक्की हार्ट, जाकिर हुसैन, सिकिरू अडेपोजू और गिओवान्नी हिडैल्गो को अपनी 15 वी एनिवर्सरी के मौके पर प्लेनेट ड्रम एल्बम के लिए खरीद लिया था. ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट एल्बम ने उस समय वैश्विक स्तर पर 8 फेब्रुअरी 2009 को 51 वे ग्रैमी अवार्ड्स सेरेमनी में ग्रैमी अवार्ड भी जीता था.

मलयालम फिल्म वनाप्रस्थं के लिए उन्होंने एक संगीतकार, कार्यकर्त्ता और भारतीय संगीत सलाहकार के रूप में भी काम किया था. 1999 के AFI Los Angeles International Film Festival में इस फिल्म का ग्रैंड जूरी पुरस्कार के लिए नामनिर्देशन भी किया गया था. लेकिन 2000 में उन्हें इस्तानबुल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जरुर दिया गया, बाद में 2000 में ही मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और 2000 में ही नेशनल फिल्म अवार्ड्स भी उन्होंने जीते. बहोत सी फिल्मो के लिये उन्होंने गाने भी गाये तथा बहोत सी फिल्मो को उन्होंने संगीत भी दिया है. सिर्फ इतना ही नही, यहाँ तक की उनकी तबले की धुन का प्रयोग लिटिल बुद्धा जैसी दुसरी कई फिल्मो में भी किया गया है.

उन्होंने काफी फिल्मो में एकल संगीत और विविध बैंड के साथ भी संगीत दिया है. उन्होंने एकल और ग्रुप दोनों ही तरह के प्रदर्शन अपने जीवन में किये है. और उनके दोनों ही प्रदर्शन ख्याति और आर्थिक रूप से सफल भी साबित हुए है. उनके द्वारा किये गये सामूहिक और एकल प्रदर्शन में 1998 का, “जाकिर एंड हिज फ्रेंड” और दी स्पीकिंग हैण्ड: जाकिर हुसैन” भी शामिल है.

जाकिर हुसैन बिल लास्वेल के “वर्ल्ड म्यूजिक सुपरग्रूप” के तबला विज्ञान के सदस्य भी है.

जाकिर हुसैन का व्यक्तिगत जीवन – Zakir Hussain Personal Life

जाकिर हुसैन – Zakir Hussain का विवाह अन्टोनिया मिन्नेकोला के साथ हुआ, जो रक कत्थक नर्तकी एवं शिक्षिका थी, साथ ही वह जाकिर की मेनेजर भी थी. उन्हें दो बेटिया भी है, अनीसा कुरैशी और ल्सबेल्ला कुरैशी. अनीसा UCLA से ग्रेजुएट हुई और विडियो निर्माण और फिल्म निर्मिती में अपने प्रयास कर रही है. जबकि दूसरी बेटी ल्सबेल्ला मेनहट्टन में डांस की पढाई कर रही है.

जाकिर 2005-06 में प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी के म्यूजिक डिपार्टमेंट के प्रोफेसर भी रह चुके है. और साथ ही वे स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके है. फिलहाल वे सेन फ्रांसिस्को में रह रहे है.

1988 में जब उन्हें पद्म श्री का पुरस्कार मिला था तब वह महज 37 साल के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी थे.

जाकिर हुसैन ने अपनी तबला बजाने की कला से पुरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया था. उनके लाइव प्रदर्शन को देखने लोग दूर-दूर से आया करते थे और उनके संगीत की धुन में खो जाते थे. भारत को ऐसे महान पुरुषो पर सदैव गर्व रहेगा.

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