Unsolved Mysteries of India
भारत हमेशा से ही रहस्यों, और अद्भुत चमत्कारों और अदृश्य शक्तियों से से भरा देश है। यहां ऐसे रहस्य हैं जिनका अभी तक कोई खुलासा नहीं किया जा सका है। मॉडर्न तकनीक और विज्ञान काफी कोशिशों के बाबजूद भी ऐसे रहस्यों का खुलासा नहीं कर सकी।
ऐसे रहस्य ही हमारे दिमाग में बड़े प्रश्न बनकर घूमते हैं और जिनकी व्याख्या करना बड़ी मुश्किल हैं। ऐसी घटनाएं और संयोग संभवत: कोई स्पष्टीकरण नहीं देती हैं।
हम आपको इस लेख के जरिए भारत के रोमांचक और अनसुलझे रहस्यों के बारें में बताएंगे जो कि आपको हैरत में डाल देंगे और इन अद्भुद चमत्कारों पर यकीन करना आपकी मजबूरी बन जाएगी।
भारत के रोमांचक और अनसुलझे रहस्य – Unsolved Mysteries of India
जुड़वा लोगो के गांव का रहस्य – Twins village of India
भारत के केरल राज्य में बसा कोडिन्ही गांव ‘जुड़वां गांव’ के नाम से मशहूर है। जी हां आपको ये जानकर हैरानी हो सकती है कि एक गांव में इतने जुड़वां कैसे हो सकते हैं लेकिन हकीकत में इस गांवों में करीब 200 लोगों की आबादी और जिसमें सभी जोड़ी जुड़वां हैं।
यह हैरानी की बात जरूर है लेकिन हकीकत यही है कि यहां जुड़वां बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
लेकिन इसका रहस्य क्या है इस बात का खुलासा आज तक मेडिकल साइंस भी नहीं कर सकी है। वहीं डॉक्टरों की माने तो यहां के कुछ ऐसा खाते हैं या फिर आनुवांशिक क्रिया होने की वजह से यहां सिर्फ जुड़वा बच्चे ही जन्म लेते हैं।
यही नहीं केरल के रहस्यमयी कोडिन्ही गांव के बारे में यह भी कहा जाता है कि जो भी इस गांव को छोड़कर किसी दूसरे गांव में बच्चे को जन्म देते हैं तो उन्हें जुड़वां बच्चे नहीं होते। अभी तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं होने से यह गांव अभी भी जुड़वा होने के रहस्यों से भरा पड़ा है।
हैंगिंग टेम्पल (रहस्यमयी लेपाक्षी मंदिर) हवा में झूलते हैं इस मंदिर के खंभे – Lepakshi Temple
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर के पास लेपाक्षी मंदिर पिछले कई सालों से वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। जिसके रहस्य को सुलझाने में विज्ञान घुटने टेकता नजर आ रहा है।
इस चमत्कारी मंदिर में कई खंभे मौजूद हैं, पर इसमें से एक खंभा ऐसा है जो हवा में झूलता नजर आता है। ऐसा क्यों होता है इस विषय में आज तक किसी को कुछ नहीं पता चल पाया है।
यह मंदिर दक्षिण भारत का मुख्य आस्था का केंद्र है। जहां रोजाना हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं, पर जब वे इस झूलते हुए खंभे को देखते हैं तो दंग रह जाते हैं। इसके पीछे कौन सी चमत्कारी शक्ति काम कर रही है, इस बारे में किसी को भी कोई जानकारी अभी तक नहीं है।
हैंगिंग टेम्पल की पूरी जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: Lepakshi Temple History
तैरते पत्थरों का रहस्य: “रामसेतु पुल” रामेश्वरम – Ram Setu (Adam’s Bridge)
भारत मंदिरों का देश है यहां के मंदिरों से एक तरफ जहां लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है वहीं दूसरी तरफ कुछ मंदिरों में होने वाले अद्भुत चमत्कारों और रहस्यों का खुलासा विज्ञान भी नहीं कर सकी है उन्हीं में से एक है रामेश्वरम् में तैरते हुए पत्थरों के रहस्य जिनका खुलासा आज तक नहीं किया गया है।
कई बार वैज्ञानिकों ने इसकी वजह पता लगाने की कोशिश की लेकिन वैज्ञानिकों को इस अद्भुत और रहस्यमयी चमत्कार के आगे हार माननी पड़ी।
आपको ये सुनने में अटपटा लग सकता है कि कोई पत्थर पानी में कैसे तैर सकते है। आपने देखा होगा जब भी आप कोई पत्थर को पानी में डालते हैं तो पत्थर पानी के नीचे बैठ जाता है बल्कि पानी में नहीं तैरता है।
लेकिन रामेश्वरम के तैरते पत्थरों से कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुईं हैं इसके साथ ही इस पत्थरों को चमत्कारिक मानकर बड़ी संख्या में लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। और लोग इन पत्थरों को चमत्कारिक मानकर इनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि रामसेतु पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था वह पत्थर पानी में फेंकने के बाद समुद्र में नहीं डूबे। बल्कि पानी की सतह पर ही तैरते रहे। ऐसा क्या कारण था कि यह पत्थर पानी में नहीं डूबे ? कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देते हुए ईश्वर का चमत्कार मानते हैं लेकिन साइंस इसके पीछे क्या तर्क देता है यह बिल्कुल विपरीत है।
लेकिन इससे ऊपर एक बड़ा सवाल यह है कि ‘क्या सच में रामसेतु नामक कोई पुल था’। क्या सच में इसे हिन्दू धर्म के भगवान श्रीराम ने बनवाया था ? और अगर बनवाया था तो अचानक यह पुल कहां गया।
- तैरते पत्थरों से जुड़ी पौराणिक कथा:
हिन्दू पौराणिक कथाओं की माने तो राक्षस रावण से अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए, भगवान राम ने रामेश्वरम से एक फ्लोटिंग पुल का निर्माण पाक स्ट्रेट में श्रीलंका तक किया था। यह पुल राम सेतु एडम ब्रिज के रूप में जाना जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र के आसपास पाए गए कुछ पत्थर सामान्य पत्थरों की उपस्थिति में होते हुए भी पानी में डालते समय तैरते हैं। वहीं इस तरह के फ्लोटिंग पत्थरों की घटना के पीछे की वजह अभी तक वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके हैं।
- रामसेतु पुल का निर्माण:
हिन्दू धर्म की मान्यता के मुताबिक जब शक्तिशाली रावण, माता सीता का अपरहण कर उन्हें अपने साथ लंका ले गया था, तब श्रीराम ने वानरों की सहायता से समुद्र के बीचो-बीच एक पुल का निर्माण किया था। और यही आगे चलकर रामसेतु कहलाया था। कहते हैं कि यह विशाल पुल वानर सेना द्वारा केवल 5 दिनों में ही तैयार कर लिया गया था। यह भी मान्यता है कि निर्माण पूर्ण होने के बाद इस पुल की लम्बाई 30 किलोमीटर और चौड़ाई 3 किलोमीटर थी।
- पत्थरों के बारे में विज्ञान क्या कहता है?
इन चमत्कारी पत्थरों के रहस्य का खुलासा करने की वैज्ञानिकों ने कई बार कोशिश की और कई सालों तक रिसर्च की। इस रिसर्च में विज्ञान ने यह पता लगाया है कि रामसेतु पुल के निर्माण में जिन पत्थरों का इस्तेमाल हुआ था वे कुछ खास तरीके के पत्थर हैं जिन्हें ‘प्यूमाइस स्टोन’ कहा जाता है।
- प्यूमाइस स्टोन क्या है?
प्यूमाइस स्टोन ज्वालामुखी के लावा से निकलते हैं। वहीं जब लावा की गर्मी वातावरण की कम गर्म हवा या फिर पानी से मिलती है तो वे खुद को कुछ कणों में बदल देती है। कई बार यह कण एक बड़े पत्थर को निर्मित करते हैं। वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि जब ज्वालामुखी का गर्म लावा वातावरण की ठंडी हवा से मिलता है तो हवा का संतुलन बिगड़ जाता है।
- रामसेतु पुल को नासा ने खोज निकाला:
रामसेतु का पुल बनाने में प्यूमाइस स्टोन का इस्तेमाल किया गया है जिनमें एक ऐसी खास तरह की क्रिया होती है जिसमें कई सारे छेद होते हैं। वैज्ञानिकों की माने तो छेदों की वजह से इस पत्थरों का आकार और वजन भी बाकी पत्थरों की तुलना में कम होता है। इन पत्थरों में हवा भरी होने की वजह से ये पत्थर पानी में जल्दी नहीं डूबते हैं क्योंकि हवा इन पत्थरों को पानी के सतह के ऊपर ही रोके रखती है।
लेकिन कुछ समय के बाद जब धीरे-धीरे इन छिद्रों में हवा के स्थान पर पानी भर जाता है तो इनका वजन बढ़ जाता है और यह पानी में डूबने लगते हैं। यही कारण है कि रामसेतु पुल के पत्थर कुछ समय बाद समुद्र में डूब गए और उसके भूभाग पर पहुंच गए। दुनिया की सबसे मशहूर वैज्ञानिक संस्था नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस, नासा ने सैटलाइट की मदद से रामसेतु पुल को खोज निकाला था।
नासा ने इस पुल को तस्वीरों में दिखाया है जो कि भारत के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक पहुंचता है। लेकिन कुछ कारणों के चलते अपने शुरु होने से कुछ दूरी पर ही ये समुद्र में समा गया है।
आपको बता दें कि रामेश्वरम् में कुछ समय पहले लोगों को समुद्र तट पर कुछ वैसे ही पत्थर मिले जिन्हें प्यूमाइस स्टोन कहा जाता है। लोगों का मानना है कि यह पत्थर समुद्र की लहरों के साथ बहकर किनारे पर आए हैं। बाद में लोगों के बीच यह मान्यता फैल गई कि हो ना हो यह वही पत्थर हैं, जिन्हें श्रीराम की वानर सेना ने रामसेतु पुल बनाने के लिए इस्तेमाल किया था।
आपको बता दें कि बाद में वैज्ञानिकों ने गए एक और रिसर्च में माइस स्टोन के सिद्धांत को भी गलत साबित किया है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सच है कि प्यूमाइस स्टोन पानी में नहीं डूबते और ऊपर तैरते हैं और यह ज्वालामुखी के लावा से बनते हैं। लेकिन उनका यह भी मानना है कि रामेश्वरम में दूर-दूर तक सदियों से कोई भी ज्वालामुखी नहीं देखा गया है। ऐसे में इन पूरी तरह से प्यूमाइस स्टोन कहना गलत होगा और इसके पीछे का रहस्य अभी तक नहीं सुलझा है।
महाबलीपुरम की बैलेंसिंग चट्टान (तमिलनाडु) – Krishna’s Butterball
तमिलनाडु के महाबलीपुरम में बेलेसिंग की एक चट्टान है। जिसका ढ़लान के किनारे पर रखे जाने का रहस्य का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है इस चट्टान को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है। ये हैरत में डालने वाली बात तो है ही कि कैसे इतनी विशाल चट्टान एक तीव्र ढ़लान के किनारे पर रखी हुई है वहीं इसके रहस्य की खोज करने में विज्ञान ने भी घुटने टेक दिए हैं।
- महाबलीपुरम में बेलेसिंग की चट्टान की धार्मिक मान्यता:
आपको बता दें कि धार्मिक मान्यता के मुताबिक यह पत्थर भगवान श्री कृष्ण के मक्खन का मटका था जो आसमान से गिरा था और अब यह महाबलीपुरम में एक विशाल चट्टान के रूप में इस तरह ढलान पर रखा है। इस विशाल चट्टान को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और इसे देख आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
इस तरह तीव्र ढ़लान पर रखे होने की वजह से देखने पर लगता है कि यह पत्थर कभी भी लुढ़क सकता है वहीं ये चट्टान करीब 20 फीट ऊंची होने का अनुमान है। ऐसा नहीं है कि इस विशाल चट्टान को हटाने की कोशिश नहीं की गई है। साल 1908 में अंग्रेज हुकूमत ने इस विशालकाय चट्टान से किसी अनहोनी होने के डर से हटाने की भी कोशिश की थी लेकिन वे इस चट्टान का बाल भी बांका नहीं कर सके और ये चट्टान आज भी ऐसे ही रखी है। इस तरह के कोण पर ये पत्थर किस तरह स्थिर है ये वाकई चौकाने वाला रहस्य है।
महाबलीपुरम की विशाल चट्टान को कृष्ण की बटर बॉल भी कहा जाता है। जो कि आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। एक अजब कोण पर स्थिर रहने की वजह से यह चट्टान वाकई रहस्यों से भरी हैं। आपको बता दें कि कई बार इस डर से चट्टान को हटाने की कोशिश भी की गई कि ये चट्टान आस-पास के घरों को नष्ट कर सकती हैं। लेकिन सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए।
निराश पक्षियों का रहस्य: जतिंगा (असम) – Jatinga Bird Mystery
क्या आजाद परिंदे भी खुदकशी कर सकते हैं ? ये सोचा भी नहीं जा सकता है लेकिन असम में जटिंगा वैली में पक्षियों की मौत एक रहस्य बन चुकी है। जो कि हर किसी को हैरत में डाल देती है। हर कोई इन परिंदों की मौत से आश्चर्यचकित रह जाता है।
भारत के पूर्वोत्तर में असम के जातींगा गांव रहस्यों से भरा है। ये गांव जितना शांत और देखने में सुंदर हैं लेकिन इस शांत गांव में परिंदों के मौत का रहस्य छिपा है जिसका आज तक कोई खुलासा नहीं हो सका है। ये आपको हैरत में जरूर डाल देगा लेकिन सच्चाई यही है कि यहां नवंबर-दिसंबर में परिंदे इस गांव में आकर खुदखुशी कर लेते हैं यहां तक कि कोई अप्रवासी पक्षी भी आकर यहां नहीं ठहर सकता है।
पक्षियों की आत्महत्या को यहां के लोग कुछ रहस्यमयी ताकतवर शक्तियों से जोड़ते हैं। वहीं असम के जातींगा गांव के स्थानीय और प्रवासी पक्षियों में एक अजीब व्यवहार परिवर्तन भी देखने को मिलता है। घाटी के सारे परिंदे उस समय विचलित हो जाते हैं जब गांव में अजीव घटना होती है।
आपको बता दें कि इस अजीबो-गरीब घटना के लिए मशहूर असम के जातींगा वैली में परिंदे सामूहिक रूप से आत्महत्या करते हैं जिसकी वजह का आज तक खुलासा नहीं हो पाया है। यहां मानसून बीत जाने के बादे परिंदों की लाश सड़कों पर बिछी रहती हैं।
यहां सैकड़ों स्थानीय और प्रवासी पक्षी उड़ते हैं और ये इमारतों और पेड़ों में खुद को दुर्घटनाग्रस्त नहीं भी करते हैं लेकिन फिर भी इनकी मौत रहस्य की एक पहेली बनी हुई है।
वहीं यह घटना अभी भी वैज्ञानिकों द्वारा हल की जा रही है जबकि स्थानीय लोग अभी भी मानते हैं कि यह दुष्ट आत्माओं का हस्तशिल्प है। इस घटना को लोग एक आश्चर्य मानते हैं। जबकि वैज्ञानिकों ने इसके पीछे यह तर्क भी दिया है कि इस घाटी में मूसलाधार बारिश से पक्षी गीले हो जाते हैं और फिर ये उड़ने में असमर्थ हो जाते हैं और इनकी मौत हो जाती है फिलहाल अभी इस रहस्य का कोई खुलासा नहीं हुआ है।
आपको बता दें कि हर साल असम के जटिंगा गांव बर्ड मिस्ट्री की अनोखी घटना का साक्षी बनता है यहां हर साल सितंबर और नवंबर के बीच पक्षियों की रहस्यमयी घटना होती है। इन महीनों में बड़े पैमाने पर प्रवासी और स्थानीय पक्षी आत्महत्या करते हैं।
आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि सूर्यास्त के ठीक बाद, 7 से 10 बजे के बीच, सैकड़ों पक्षियों आकाश से उतरते हैं, जो कि बड़ी इमारतों और पेड़ों में दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है।
वहीं ये जटिंगा गांव को पक्षियों का सुसाइट प्वाइंट भी कहा जाता है। पक्षियों की आत्महत्या को ग्रामीण रहस्य के तौर पर लेते हैं उनका मानना है कि आकाश में रहने वाली दुष्ट आत्माएं पक्षियों की मौत की जिम्मेदार है।
वैज्ञानिक रिसर्च में ये साबित किया गया है कि आत्महत्या करने वाले पक्षी लंबी दूरी के माइग्रेटर्स नहीं हैं। 44 प्रजातियों को ‘आत्मघाती’ के रूप में पहचाना गया है जिनमें से ज्यादातर पक्षी पास के घाटियों और पहाड़ी ढलानों से आते हैं। इनमें किंगफिशर, ब्लैक बिटरर्न, टाइगर बिटरर्न और पॉन्ड हेरन्स शामिल हैं।
वैज्ञानिकों और पक्षी निरीक्षकों की तरफ से कुछ और दिलचस्प खोज किए गए थे । ऐसा लगता है कि मॉॉनसून के मौसम में बाढ़ के चलते ज्यादातर आत्मघाती पक्षियों ने अपने प्राकृतिक आवास खो दिए हैं। इसलिए वे अन्य स्थानों पर प्रवास कर रहे हैं, और जेटा अपने प्रवासी मार्ग में हैं। लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पक्षी रात में उड़ते हैं, और क्यों वे हर साल एक ही स्थान पर स्वेच्छा से फंस जाते हैं।
भानगढ़ का किला (राजस्थान) – Bhangarh Fort
राजस्थान में भानगढ़ का नाम सुनते ही हर किसी की रूह कांप जाती है क्योंकि इस किले के रहस्य हर किसी को हैरत में डाल देता है। इस किले में होने वाली गतिविधियां आपके दिमाग में कई सवाल पैदा कर सकती हैं और इन सवालों का जवाब आज तक विज्ञान भी नहीं दे सकी है क्योंकि ये किला अपने आप में एक मिस्ट्री है। वैज्ञानिको ने इस किले के रहस्य को पता लगाने के कई प्रयास किए लेकिन सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए यहां तक की इस किले के अजीबो-गरीब और अद्भुत चमत्कारों के बारे में रिसर्च भी की गई लेकिन अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है।
भानगढ़ का ये रहस्यमयी किला राजस्थान में जयपुर और अलवर के बीच स्थित है। इस किले में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद प्रवेश नहीं करने दिया जाता है ऐसा माना जाता है कि इस किले में और आस-पास के क्षेत्रों में भूत-प्रेतों का बसेरा है।
भानगढ़ के किले में होने वाली गतिविधियों को लेकर यहां के क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक रात के समय इस किले से कई तरह की भयानक आवाजें आती हैं इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस किले के अंदर सूर्यास्त होने के बाद जिसने भी इस ताकतवर शक्ति से लड़ने के रहस्य को जानने की कोशिश की वो अभी लौट कर कभी वापस नहीं आ सका है।
आपको बता दें कि रहस्यों और अद्भुत चमत्कारों से भरा भानगढ़ का किला सुंदर वास्तुकला, हवेली, मंदिर, खंडहर और बागों से सुसज्जित है, ये किला यात्रा के लिए सामान्य जनता के लिए भी खुला है। हालांकि, कई पर्यटकों ने ये भी स्वीकार किया है कि इसके वातावरण में एक कुछ संदिग्ध मौजूद है। कई लोगों ने तो इसमें सीधे आत्माओं की रहस्यमयी आहट सुनने की बात भी कही है। और तो और इस किले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने चेतावनी बोर्ड भी लगाया है जिस पर लिखा है कि सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले भानगढ़ किले में जाना प्रतिबंधित है।
खौफनाक और रहस्यमयी भानगढ़ के किले की रोमांचक कहानी हर किसी के मन को इस कदर भयभीत कर देती हैं कि कोइ भी व्यक्ति रात के वक्त इस किले के आस-पास फटकने की हिमाकत भी नही कर सकता। लेकिन इस भुतहा किले का रहस्य जो लोगों के लिए भय और आतंक का कारण बना हुआ है उसका अभी तक कुछ खुलासा नहीं हो सका है। इस किले से संबंधित कई किस्से कहानियां प्रचलित हैं।
भानगढ़ किले की पूरी जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें: Bhangarh Fort History
बुलेट बाबा कें मंदिर का रहस्य, यहां होती है चमत्कारी बाइक बुलेट की पूजा – Bullet Baba
जैसे की हम सभी जानते हैं कि लोग अपने धर्म की मान्यता के मुताबिक मंदिर-मस्जिद पर माथा टेक अपनी जिंदगी की खुशहाली की खुदा से फरियाद करते हैं लेकिन ये सुनने में काफी अटपटा है कि लोग अपनी मुराद पूरी करने की कामना के लिए किसी बाइक की पूजा करेते हैं।
जी हां हमारा भारत देश कई अदभुद चमत्कारों से भरा पड़ा है उन्हीं में से एक है ये राजस्थान के पाली में स्थित बुलेट बाबा का मंदिर। जहां की करिश्माई बाइक को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और तो और लोगों की इस बाइक से धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई हैं।
लोग इस बाइक को भगवान का दर्जा देते हैं और इसकी पूजा-आराधना कर अपनी जिंदगी की सलामती की दुआ करते हैं।
इस अदभुद, चमत्कारी बाइक के पीछे कई रहस्य जुड़े हुए हैं। आपको बता दें कि यह चमत्कारी बाइक राजस्थान से अहमदाबाद जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर पाली से करीब 20 किलोमीटर दूर रोहित थाना क्षेत्र में इस चमत्कारी बुलेट मोटरसाइकिल का मंदिर स्थित है।
पूरी जानकारी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे: Om Banna Story
ऐसे रहस्यों से तो यही साबित होता है कि भारत रोमांचक और अनसुलझे रहस्यों से भरा पड़ा है जिनका खुलासा आज तक विज्ञान भी नहीं कर सकी है।
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