महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी तुलजा भवानी मंदिर | Tulja Bhavani Temple Tuljapur

तुलजा भवानी मंदिर – Tulja Bhavani Temple

देवी आदि शक्ती के कुल इक्यावन शक्ती पीठ है जिसमे से साडे तीन शक्ती पीठ अकेले महाराष्ट्र में स्थित है। देवी के हर शक्ती पीठ में स्थापन होने के पीछे कोई ना कोई लीला या कहानी छिपी होती है जो बड़ी आसानी से किसीके भी समझ में नहीं आती।

जब भी देवी ने कभी अवतार लिया है तो वहापर देवी के शक्ती पीठो की स्थापना हुई है। इन शक्ती पीठ में Tuljapur – तुलजापुर का माता भवानी का मंदिर भी शामिल है। इसी तुलजापुर की भवानी मंदिर की सारी जानकरी हम आपके नीचे दे रहे हैं।

Tulja Bhavani Temple Tuljapur

महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी तुलजा भवानी मंदिर – Tulja Bhavani Temple Tuljapur

तुलजापुर की भवानी देवी महाराष्ट्र की कुलस्वामिनी है। कुलस्वामिनी का मतलब होता महाराष्ट्र के लोगो की सबसे प्रमुख देवता। तुलजापुर के इस तुलजा भवानी मंदिर की एक खास बात यह है की यह मंदिर दक्षिण की दिशा की तरफ़ मुख बनाये दिखाई देता है।

महाराष्ट्र में अधिकतर लोगो की माता तुलजा भवानी परिवार की मुख्य देवता है और ऐसी देवता को महाराष्ट्र में कुलदेवता कहते है। इस राज्य के सबसे महान और शूरवीर राजा छत्रपति शिवाजी महाराज भी इसी माता तुलजा भवानी के बड़े भक्त थे और यह देवी उनके भोसले वंश की कुलदेवता भी थी।

माता तुलजा भवानी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को आशीर्वाद देकर एक अद्भुत तलवार दी थी जिसकी मदत से शिवाजी महाराज ने लड़ाई में जीत हासिल कर हिन्दवी स्वराज की स्थापना की थी।

तुलजा भवानी मंदिर की कहानी – Story of Tulja Bhavani Temple

कृतयुग में ऋषि कर्दम की पत्नी तपस्वी अनुभूति एक बार कड़ी तपस्या कर रही थी। लेकिन उसकी तपस्या भंग करने लिए वहापर एक कुकुर नाम का राक्षस आ गया और तपस्वी अनुभूति को सताने की कोशिश करने लगा।

उस समय तपस्वी अनुभूति ने देवी भगवती की प्रार्थना की, उस राक्षस से बचाने के लिए विनती की। उनकी प्रार्थना और विनती सुनकर देवी भगवती वहापर प्रकट हुई और देवी और राक्षस में लड़ाई हुई और देवी ने उस राक्षस को मार डाला।

उसके बाद तपस्वी अनुभूति ने देवी को वहा के पर्वत पर रहने की विनती की और देवी ने उनकी बात को सुनकर वहापर रहने का फैसला किया।

जब भी कोई भक्त पवित्र मन से देवी को मदत करने के लिए बुलाता है तो देवी आती है और उसकी हर इच्छा पूरी करती है। इसीलिए भी इस देवी को त्वरिता-तुरजा-तुलजा भवानी देवी कहा जाता है।

देवी जिस गाव में है वह गाव बालाघाट सीमा पर स्थित है। इस मंदिर का कुछ हिस्सा हेमाडपंथी शैली में बनाया गया है। राष्ट्रकूट और यादव के शासनकाल से यह मंदिर है। कुछ लोगो को लगता है की यह मंदिर 17 वी या फिर 18 वी सदी में बनाया गया था।

तुलजा भवानी मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Tulja Bhavani Temple

देवी का मंदिर का प्रवेशद्वार दक्षिण दिशा की ओर मुख बनाये दिखाई देता है और इस दरवाजे को ‘परमार’ कहा जाता है। जगदेव परमार देवी का एक महान भक्त था उसने सात बार अपना शीश काटकर देवी को अर्पण किया था।

इस घटना का वर्णन इस मंदिर के दरवाजे पर लिखे एक कविता में बताया गया है। इस मंदिर के मुख्य भवन में देवी के मंदिर का जो गुबंद है वह भी दक्षिण की तरफ़ ही है। इस मंदिर में माता तुलजा भवानी की जो मूर्ति है वह गण्डकी पत्थर से बनायीं गयी है और माता की मूर्ति चांदी के पत्थर पर स्थापित की गयी है।

अष्टभुजावाली माता तुलजाभावानी को महिषासुरमर्दिनी नाम से भी जाना जाता है। माता की इस मूर्ति को एक जगह से दूसरी जगह पर भी ले जाया सकता है। इस मंदिर के मुख्य भवन के पूर्व में शयनकक्ष है जिसमे सोने के लिए चांदी से बनाया हुआ पलंग है।

साल में तीन बार माता इस शयनकक्ष में विश्राम करती है। इस तरह की परमपरा केवल इसी मंदिर है अन्य किसी भी जगह पर इस तरह की प्रथा नहीं। इस मन्दिर के गुबंद पर सुन्दर नक्काशी बनायीं गयी है।

माता तुलजाभवानी की पवित्र मूर्ति – Holy Statue of Tuljabhavani

ऐसा कहा जाता है की माता की मूर्ति की स्थापना श्रीयंत्र पर आदि शंकराचार्य ने की थी। देवी की इस मूर्ति की सबसे खास बात यह है की माता की मूर्ति केवल एक ही जगह पर स्थापित नहीं की गयी। इसका मतलब देवी की इस मूर्ति को दूसरी जगह पर भी रखा जा सकता है, देवी की मूर्ति किसी भी दिशा में रखी जा सकती है।

इसलिए इस मूर्ति को चल मूर्ति भी कहा जाता है। साल में तीन बार देवी की मूर्ति को मंदिर के बाहर निकाला जाता है क्यों की साल के तीन दिन काफी विशेष माने जाते है और इन अवसर पर देवी को परिक्रमा करने लिए मंदिर के बाहर निकाला जाता है और मंदिर के चारो तरफ़ माता की मूर्ति को घुमाया जाता है।

देवी तुलजा भवानी अपने हर भक्त की इच्छा पूरी करती है। जब भी कोई भक्त सच्चे मन से माता को याद करता है और प्रार्थना करता है तो देवी उसकी हर इच्छा पूरी करती है। देवी ने हर युग में अपने भक्तों पर आये संकट को दूर किया है और उनकी मदत की है।

कृतयुग से लेकर तो कलयुग तक सभी युगों में देवी अपने भक्तों का कल्याण कर उनके जीवन में खुशहाली लायी है।

Read More:

I hope these “Tulja Bhavani Temple Tuljapur History” will like you. If you like these “Tulja Bhavani Temple History” then please like our Facebook page & share on Whatsapp. and for latest update download : Gyani Pandit free android app.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here