“बैंडिट क्वीन” फूलन देवी | The Bandit Queen Phoolan Devi Biography In Hindi

The Bandit Queen Phoolan Devi

“बैंडिट क्वीन” फूलन देवी / The Bandit Queen Phoolan Devi Biography

फूलन देवी साधारणतः “बैंडिट क्वीन” के नाम से भी जानी जाती है, वह डकैत से संसद भवन की सदस्य बनी. एक निम्न जाती में उनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था.

फूलन का जन्म मल्लाह जाती में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गोरहा ग्राम में हुआ था. देवी दिन और उनकी पत्नी मूला की वह चौथी और सबसे छोटी बेटी थी. लेकिन केवल वह और उनकी बहन ही युवावस्था तक जी सके.

फूलन का परिवार काफी गरीब था. उनके पास केवल 1 एकर की जमीन ही थी जिसमे बहोत सारे नीम के पेड़ ही लगे हुए थे. वे भारतीय परंपरा के अनुसार सामूहिक परिवार में रहते थे. परिवार में फूलन के पिता, उनके अंकल और भैया ही तीन मुख्य सदस्य थे. वे रोज़ अपनी जमीन पर कुछ न कुछ काम करते और मजदूरी करके जो पैसे मिलते उन पैसो से इतने बड़े सामूहिक परिवार का पालन पोषण करते.

जब फूलन सिर्फ 11 साल की ही थी तभी उनके दादाजी चल बसे और उनके पिता का बड़ा भाई अब उनके कुल का मुखिया बना था. तभी फूलन के परिवार ने फूलन का विवाह पुट्टी लाल से करवाने की ठानी, जो उनके घर से 100 मिल दूर रहता था और जो फूलन से 12 साल बड़ा भी था. शादी के कुछ महीनो बाद ही वह अपने ससुराल से भाग गयी और अपनी माँ के घर जाने लगी, लेकिन वापिस आने पर फूलन की माँ ने काफी नाराजी व्यक्त की. और उन्होंने फूलन को दोबारा उसके पति के घर भेज दिया.

फूलन के ससुराल वालो ने कहा की अब किसी भी परिस्थिती में वे फूलन को नही अपनाएंगे. लेकिन बाद में अपनी जीवनी में फूलन ने बताया की उनका पति “बुरे चरित्र का इंसान” था. उन्होंने कहा की रोज़ उनके पति द्वारा उन्हें काफी प्रताड़ना या कष्ट सहन करने पड़ते थे.

कम उम्र में ही फूलन की शादी हो गयी थी. लेकिन शादी के बाद बहोत तरह की कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैती की तरफ हुआ था. धीरे-धीरे फूलनदेवी ने अपने खुद का एक गिरोह खड़ा कर लिया और उसकी नेता बन गयी.

गिरोह बनाने से पहले गाव के कुछ लोगो ने कथित तौर पर फूलन के साथ दुराचार किया था. इसी का बदला लेने की मंशा से फूलन ने बीहड़ का रास्ता अपनाया. डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्लाह से रही. माना जाता है की पुलिस मुठभेड़ में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट सी गयी थी. आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में रॉबिनहुड की तरह गरीबो का रखवाला (रखवाली) समझा जाता था.

सबसे पहली बार 1981 में वे राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आई जब उन्होंने ऊँची जातियों के बाईस लोगो का एक साथ नरसंहार किया जो ठाकुर जाती के जमींदार लोग थे. लेकिन बाद में उन्होंने इस नरसंहार से इंकार कर दिया था.

बाद में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार तथा प्रतिद्वंदी गिरोहों ने फूलन को पकड़ने की बहोत सी नाकाम कोशिशे की. इंदिरा गाँधी की सरकार ने 1983 में उनसे समझौता किया की उसे मृत्यु दंड नही दिया जायेगा और उनके परिवार के सदस्यों को कोई नुकसान नही पहोचाया जायेगा और फूलनदेवी ने इस शर्त के तहत अपने दस हज़ार समर्थको के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.

बिना मुक़दमे चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया. ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतिक के रूप में देखि जाती थी.

फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना परिवर्तन कर दिया. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के भदोही सिट से लोकसभा चुनाव जीता और वह संसद पहोची. 2001 को दिल्ली में उनके आवास स्थान पर ही फूलन की हत्या कर दी गयी थी.

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10 COMMENTS

  1. jo aapne pholan devi ji ke baare me likhi hai, wo thik toh hai lekin puri nahi hai, kyonki unki story padhne me aur sunane me bahot achha lagta hai, aur garv mahasus hota hai, so please full story bhejna. ………..dhanyavaad……aryan s

  2. adhuri information he , ya aapka irada nahi puri mahiti likhne ka , jitne atyachar huye the phoolan pe usko aapne sirf ek line me likh diya , uske sath thakor jamidaro ne balatkar kiya tha , use bad vo daket bani thi , uske dard ko nahi samaj paaye tum

    • Prakash Patel Sir,

      Aap Bilkul Thik Kah rahe hain, Par shama chahate hain ki Bandit Queen Phoolan Devi Ki Janari apako jis taraha chahiye thi us tarah nahi likhi hain. kyoki ye short biography hain. or har point thoda likhakar pure jivan ke bare me kuch hi shabdo me likha jata hain. ham har aak point par agar 10-10 line likhege to koi nahi padhenga. fir bhi kuchh samay me isame or mahatvapurn janakari ko ADD kiya jayenga.

      Apaka Bahut Dhanyawad

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