सुनीता विलियम्स जिन्होनें अंतिरक्ष की यात्रा कर न सिर्फ भारत को गौरन्वित किया है बल्कि उन्होनें कई लड़कियों के लिए मिसाल भी कायम की है। उन्होनें अपनी सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बल पर आज इस मुकाम को हासिल किया और पूरी दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है।
सुनीता विलियम को यहां तक पहुंचने में अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव का भी सामना करना पड़ा लेकिन वे हिम्मत से आगे बढ़ती गईं और उन्होनें अपना जमीन, आसमान, समुद्र तक जाने के सपने को पूरा किया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से उन्होनें अंतरिक्ष की यात्रा की। इसके साथ ही वे ऐसी पहली महिला हैं जिन्होनें अंतरिक्ष में 7 बार यात्रा की है।
यही नहीं वे अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अभियान दल 14 और 15 की सदस्य भी रह चुकी हैं। 2012 में, देश की बेटी सुनीता विलयम्स ने अभियान दल 32 में फ्लाइट इंजिनियर बनकर और अभियान दल 33 में कमांडर बनकर सेवा भी की थी।
सुनीता विलियम्स की व्यक्तिगत जीवन से लेकर उनकी उपलब्धियों के बारे में नीचे लिखा गया है।
पूरा नाम (Name) | सुनीता माइकल जे. विलियम |
जन्म (Birthday) | 19 सितम्बर 1965, युक्लिड, ओहियो राज्य |
पिता (Father Name) | डॉ. दीपक एन. पांड्या |
माता (Mother Name) | बानी जालोकर पांड्या |
विवाह | माइकल जे. विलियम (Sunita Williams Husband) |
प्रारंभिक जीवन –
सुनीता विलियम्स का जन्म सुनीता लिन पांड्या विलियम्स के रूप में 19 सितम्बर 1965 को हुआ था। वे अमेरिका के ओहियो राज्य में यूक्लिड नगर (स्थित क्लीवलैंड) में पैदा हुई थीं। नीदरम, मैसाचुसेट्स में पली बढ़ी और वहीं से उन्होनें अपनी स्कूली शिक्षा भी प्राप्त की है।
शिक्षा –
सुनीता विलियम्स ने 1983 में मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल की परीक्षा पास की थी। इसके बाद 1987 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की नौसैनिक अकादमी से फिजिकल साइन्स में बीएस की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होनें 1995 में फ़्लोरिडा इंस्टिट्यूट ऑफ़ टैक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर ऑफ साइंस की (एम.एस.) की डिग्री हासिल की है।
परिवार –
सुनीता के पिता दीपक एन. पांड्या डॉक्टर होने के साथ-साथ एक जाने-माने तंत्रिका विज्ञानी हैं, जो कि भारत के गुजरात राज्य से तालोक्कात रखते हैं। उनकी मां का नाम बॉनी जालोकर पांड्या है जो कि स्लोवेनिया की हैं। उनका एक बड़ा भाई और एक बड़ी बहन भी है जिनका नाम जय थॉमस पांड्या और डायना एन, पांड्या है।
आपको बता दें कि 1958 में जब वे एक साल से भी कम उम्र की थी तभी उनके पिता अहमदाबाद से अमेरिका के बोस्टन में आकर बस गए थे। हालांकि बच्चे अपने दादा-दादी, ढेर सारे चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों को छो़ड़ कर ज्यादा खुश नहीं थे, लेकिन अपनी नौकरी के चलते उनके पिता को अमेरिका में शिफ्ट होना पड़ा था।
अतंरिक्ष की सैर करने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला सुनीता विलियम्स को अपने माता-पिता से काफी प्रेरणा मिली है। आपको बता दें कि सुनीता के पिता बेहद सरल स्वभाव के हैं और साधारण जीवन जीने में यकीन रखते हैं जो कि सुनीता को काफी प्रभावित करते हैं।
वहीं उनकी मां बॉनी जालोकर पांड्या अपने परिवार को प्यार की डोर में बांधे रखती हैं और रिश्तों की मिठास पर जोर देती हैं साथ ही उनमें प्रकृति की मूल्यों की अच्छी परख भी है जो सुनीता को अपनी मां से विरासत में मिली है। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपना रोल मॉडल मानती हैं। और उनके विचारों को फॉलो करती हैं।
अंतरिक्ष में “भगवत गीता” साथ ले गईं थी –
सुनीता विलियम भगवान के प्रति भी खासी आस्था रखने वालों में से एक हैं वे हिन्दुओं के सर्वोच्च भगवान भगवान गणेश जी की आराधना में यकीन रखती हैं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि वे अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान हिन्दुओं का धार्मिक ग्रन्थ भगवद् गीता भी ले गईं थी जिससे वे खाली समय में पढ़ना पसंद करती हैं। और भगवत गीता के उपदेशों को अपनी असल जिंदगी में अपनाना चाहती हैं जिससे भगवान का आशीर्वाद उन पर हमेशा बना रहे। इसके साथ ही सुनीता विलियम्स सोसाइटी ऑफ़ एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पायलट की सदस्य भी रही हैं।
शादी –
आपको बता दें कि जब वे 1995 में Florida Institute of Technology से M.Sc. Engineering Mgmt. की शिक्षा हासिल कर रही थी तभी उनकी मुलाकात माइकल जे. विलियम्स से हुई। वे दोनों पहले दोस्त बने और उनकी ये दोस्ती प्यार में बदल गई जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे से शादी करने का फैसला लिया इस तरह दोनो की शादी हो गई।
आपको बता दें कि माइकल जे. विलियम एक नौसेना पोत चालक, हेलीकाप्टर पायलट, परिक्षण पायलट, पेशेवर नौसैनिक और गोताखोर भी है।
1987 में नौसेना से जुड़ीं –
भारतीय मूल की अमेरिकी नौसेना की कैप्टन सुनीता बाकी लड़िकयों से अलग थी। उनका बचपन से सपना कुछ अलग करने का था। वह जमीन आसमान समुद्र हर जगह जाना चाहती थी।
शायद इसीलिए मई 1987 में अमरीकी नेवल अकेडमी के माध्यम से वे नौसेना से जुड़ी और बाद वह हेलीकॉप्टर पायलट बन गई। 6 महीने की अस्थायी नियुक्ति (नेवल तटवर्ती कमांड में) के बाद उन्हें ‘बेसिक डाइविंग ऑफिसर’ के तौर पर नियुक्ति किया गया। उसके बाद उन्हें नेवल एयर ट्रेनिंग कमांड में रखा गया और जुलाई 1989 में उन्हें नेवल एवियेटर का पद दिया गया।
इसके बाद में उनकी नियुक्ति ‘हेलीकॉप्टर काम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन’ में की गयी। सुनीता विलियम ने अपनी प्रारंभिक ट्रेनिंग की शुरुआत हेलीकॉप्टर कॉम्बैट सपोर्ट स्क्वाड्रन 3 (एचसी -3) में H -46 सागर – नाइट से की थी।
जिसके बाद सुनीता विलियम को नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया में हेलीकॉप्टर कंबाट सपोर्ट स्क्वाड्रन 8 (एचसी -8) की जिम्मेदारी सौंपी दी गई थी। आपको बता दें कि इस दौरान सुनीता विलियम को कई जगह पोस्ट किया गया। भूमध्यसागर, रेड सी और पर्शियन गल्फ में उन्होंने ‘ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड’ और ‘ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट’ के दौरान काम किया।
सितम्बर 1992 में उन्हें H-46 टुकड़ी का-ऑफिसर-इन-चार्ज बनाकर मिआमि (फ्लोरिडा) भेजा गया। आपको बता दें कि इस टुकड़ी को ‘हरिकेन एंड्रू’ से सबंधित रहते काम के लिए भेजा गया था। साल 1993 के जनवरी महीने में सुनीता ने ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में अपने अभ्यास की शुरुआत की और दिसम्बर में उन्होंने ये कोर्स पूरा कर लिया। दिसम्बर 1995 में उन्हें ‘यू.एस. नेवल टेस्ट पायलट स्कूल’ में ‘रोटरी विंग डिपार्टमेंट’ में प्रशिक्षक और स्कूल के सुरक्षा अधिकारी के तौर पर भेजा गया।
वहां उन्होंने यूएच-60, ओएच-6 और ओएच-58 जैसे हेलिकॉप्टर्स में उड़ान भरी। इसके बाद उन्हें यूएसएस सैपान पर वायुयान संचालक और असिस्टेंट एयर बॉस के तौर पर भी भेजा गया। इस दौरान सुनीता ने 30 अलग-अलग विमानों से 3,000 घंटे तक उड़ान भरकर लोगों को हैरत में भी डाल दिया था।
नासा कैरियर –
साल 1998 में सुनीता का चयन NASA के लिए हुआ था तब वे यूएसएस सैपान पर ही कार्यरत थीं। उनकी एस्ट्रोनॉट कैंडिडेट ट्रेनिंग ‘जॉनसन स्पेस सेण्टर में अगस्त 1998 से शुरु की गई थी। सुनीता विलियम ने सच्ची लगन और अपने साहस से ये ट्रेनिंग सफलतापूर्वक पूरी की जिसके बाद उन्हें 9 दिसम्बर 2006 में सुनीता को अंतरिक्षयान ‘डिस्कवरी’ से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ भेजा गया जहां उन्हें एक्सपीडिशन-14 दल में शामिल होना था।
आपको बता दें कि अप्रैल 2007 में रूस के अंतरिक्ष यात्री को बदला गया। जिससे ये एक्सपीडिशन-15 हो गया। एक्सपीडिशन-14 और 15 के दौरान सुनीता विलियम्स ने तीन स्पेस वॉक किए। 6 अप्रैल 2007 को उन्होंने अंतरिक्ष में ही ‘बोस्टन मैराथन’ में भी हिस्सा लिया जिसे उन्होनें महज 4 घंटे 24 मिनट में पूरा किया।
इसी के साथ वे अंतरिक्ष में मैराथन में दौड़ने वाली वे पहली व्यक्ति बन गयीं। और 22 जून 2007 को वे पृथ्वी पर वापस आ गयीं।
साल 2012 में सुनीता एक्सपीडिशन 32 और 33 से जुड़ीं। उन्हें 15 जुलाई 2012 को बैकोनुर कोस्मोड्रोम से अंतरिक्ष में भेजा गया। उनका अंतरिक्ष यान सोयुज़ ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र’ से जुड़ गया। वे 17 सितम्बर 2012 में एक्सपीडिशन 33 की कमांडर बनायी गयीं।
ऐसा करने वाली वे सिर्फ दूसरी महिला हैं। सितम्बर 2012 में ही वे अंतरिक्ष में त्रैथलों करने वाला पहला व्यक्ति बनीं। 19 नवम्बर को सुनीता विलियम्स धरती पर वापस लौट आयीं।
आपको बतादें कि जब सुनीता विलियम्स अपनी ट्रेनिंग कर रही थी तब उन्हें कई तरह के तकनीकी जानकारी समेत तमाम वैज्ञानिक और तकनीकी तंत्रों की ब्रीफिंग, स्पेश शटल और अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की जानकारी भी दी गई।
इस दौरान सुनीता को मनोवैज्ञानिक ट्रनिंग और टी-38 वायुयान के द्वारा प्रशिश्रण दिया गया। इसके अलावा सुनीता की पानी के अंदर और एकांतवास परिस्थितियों में भी ट्रेनिंग हुई। अपनी ट्रेनिंग के दौरान सुनीता विलियम्स ने रूसी अंतरिक्ष संस्था में भी काम किया और इस प्रशिक्षण में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रूसी हिस्से की जानकारी दी भी गयी।
यही नहीं अंतरिक्ष स्टेशन के रोबोटिक तंत्र के ऊपर भी विलियम्स को प्रशिक्षित किया गया। उनके ट्रेनिंग की खास बात ये रही है कि वे मई 2002 में पानी के अंदर एक्वैरियस हैबिटेट में 9 दिन तक रहीं।
अंतरिक्ष उड़ानें –
भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, अपने सपने को पंख लगाने के लिए दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी है इसी के साथ इस भारतीय मूल की महिला ने पूरी दुनिया में अपना कीर्तिमान स्थापित किया है। आपको बता दें कि अंतरिक्ष में अपना परचम लहराने वाली सुनीता विलियम्स अपनी दोनो अंतिरक्ष यात्रा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ‘अल्फा’ से गईं हैं।
दरअसल स्टेशन ‘अल्फा’ 16 देशों की संयुक्त परियोजना है। स्टेशन अल्फा की खास बात ये है कि इसमें कई तरह की प्रयोगशालाएं, आवासीय सुविधाएं, रोबोटिक भुजा और उड़नशील प्लेटफार्म के साथ जुड़ने वाले नोड लगे हुए हैं। ये स्टेशन करीब एक फुटबाल मैदान क्षेत्र में भी फैला हुआ है।
पहली अंतरिक्ष उड़ान –
सुनीता विलियम्स का बचपन से ही अंतरिक्ष में उड़ान भरने का सपना 9 दिसंबर 2006 को पूरा हुआ। जब उन्होनें अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की। आपको बता दें कि कि उनकी ये पहली अंतरिक्ष उड़ान स्पेस शटल डिस्कवरी के माध्यम से शुरु हुई। अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में कुल 321 दिन 17 घन्टे और 15 मिनट का समय बिताया।
सुनीता विलियम अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के स्थायी अंतरिक्ष यात्री दल की वे फ्लाइट इंजीनियर थी बाद में वे स्थायी अंतरिक्ष यात्री दल-15 की भी फ्लाइट इंजीनियर बनीं। इसके साथ ही वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमांडर बनने वाली दुनिया की दूसरी महिला भी हैं। वहीं आपको बता दें कि अपने दूसरी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान सुनीता विलियम्स ने तीन स्पेस वॉक कीं हैं।
क्या है स्पेस वॉक ? –
अंतरिक्ष में अंतरिक्षयान (जिसके अंदर का पर्यावरण मानव के लिए पृथ्वी जैसा होता है) से बाहर निकलकर मुक्त अंतरिक्ष (जहां का पर्यावरण मानव के लिए बेहद खतरनाक होता है, वहां निर्वात होता है, विकिरणों से भरा होता है और उल्काओं का खतरा होता है) में आकर कई तरह के रिपेयर असेम्बली और डिप्लायमेंट के कामों को करने को स्पेसवॉक कहते हैं।
स्पेस वॉक पर जाने के लिए अंतरिक्ष यात्री एक खास तरह का सूट पहनते हैं, इस सूट में अंतरिक्ष उड़ान भरने वाले शख्स के लिए उनका जीवन रक्षा तंत्र और अन्य सुविधाएं भी लगी रहती हैं। अपने अंतरिक्ष प्रवास के दौरान सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष स्टेशन के अंदर कई परीक्षण भी किए। सुनीता विलयम्स फिट रहने के लिए अंतरिक्ष में ट्रेडमिल में रोजाना व्यायाम भी करती थीं।
सुनीता ने अंतरिक्ष से बोस्टन मैराथन दौड़ में लिया हिस्सा
अपनी अंतरिक्ष उड़ान के दौरान 16 अप्रैल 2007 को विलियम्स ने अंतरिक्ष से बोस्टन मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया। और उन्होंने महज 4 घंटे 24 मिनट में इसके पूरा किया। आपको बता दें इसी मैराथन दौड़ में सुनीता की बहन डियना ने भी हिस्सा लिया था। अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान के सभी काम पूरा करने के बाद वे 22 जून 2007 को स्पेस शटल अटलांटिस के माध्यम से धरती पर वापस आ गयीं थी।
सुनीता विलियम्स की दूसरी अंतरिक्ष उड़ान
21 जुलाई साल 2011 को अमरिकी स्पेस शटल से रिटायर हो गईं थी। वहीं सुनीता की दूसरी अंतरिक्ष उड़ान 15 जुलाई, 2012 को रूस के बेकानूर कास्मोड्रोस से रूसी अंतरिक्ष ‘सोयुज टीएमए-05’ से शुरु हुई। इस मिशन में सुनीता अंतरिक्ष स्टेशन के स्थायी दल 32/33 के सदस्य के रूप में गयीं। 17 जुलाई साल 2012 को सायुज अंतरिक्षयान अंतरिक्ष स्टेशन ‘अल्फा’ से जुड़ गया।
सुनीता विलियम्स को 17 सितंबर 2012 को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की दूसरी महिला कमांडर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपको बता दें कि इस स्टेशन पर पहुंचने वाली पहली महिला कमांडर पेग्गी हिट्सल थीं। आपको बता दें कि अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के साथ उनकी अंतरिक्ष उड़ान में जापानी अंतरिक्ष संस्था के अंतरिक्ष यात्री आकी होशिंदे और रूसी कास्मोनट यूरी मैलेनचेंको भी गए थे। वहीं अपनी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान विलियम्स ने 3 स्पेस वॉक की था। सुनीता विलियम्स कुल 7 स्पेस वॉक कर चुकी हैं। दूसरे अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सुनीता विलियम्स अपने सारे प्रशिक्षण काम पूरे कर 19 नवंबर, 2012 को धरती पर वापस लौट आईं।
सुनीता विलियम्स में अंतरिक्ष में फहराया भारतीय तिरंगा
सुनीता विलियम्स, 15 अगस्त, 2012 को भारत के 66 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अंतरिक्ष पर मौजूद थी तभी उन्होनें अंतरिक्ष में आजादी का जश्न बनाया और अंतरिक्ष में भारतीय तिरंगा लहराया।
इस दौरान सुनीता विलियम्स में अंतरिक्ष से (अल्फा स्टेशन के अंदर से) एक संदेश भी दिया था जिसमें उन्होनें कहा था कि – ’15 अगस्त के लिए मैं भारत को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं भेजती हूं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष, हिन्दू और उपलब्धियों से भरा राष्ट्र है इस मौके पर सुनीता ने भारत का हिस्सा होने पर गर्व होने की बात भी कही थी।
विश्व रिकॉर्ड –
सुनीता विलियम्स ने अपनी प्रतिभा, साहस और मेहनत के बल पर यह साबित कर दिखाया है कि महिला, पुरुषों से कम नहीं है यही नहीं उन्होनें कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं, सुनीता विलियम्स के द्धारा बनाए विश्व रिकॉर्ड पर एक नजर –
- सुनीता विलियम्स अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 321 दिन 17 घन्टे और 15 मिनट अंतरिक्ष में रहीं। इस लंबे प्रवास के द्धारा उन्होनें विश्व में रिकॉर्ड बनाया। एक उड़ान में इतना लंबा प्रवास करने वाली वे दुनिया की पहली महिला हैं।
- भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा स्पेसवॉक करने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं। आपको बता दें कि उनके द्धारा किए गए 7 स्पेसवॉक की कुल अवधि 50 घंटा 40 मिनट की थी।
- अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कमांटर बनने वाली वे दुनिया की दूसरी महिला हैं।
सुनीता विलियम्स की भारत यात्रा, सरदार बल्लभ भाई पटेल विश्व प्रतिमा अवार्ड से सम्मानित:
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री अपनी पहली अंतरिक्ष की उड़ान भरने के बाद सितंबर 2007 में भारत दौरे पर आईं और वे अहमदाबाद में स्थित महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम और अपने पैतृक गांव (झुलासन, मेहसाणा के पास) गईं।
इस दौरान विश्व गुजराती समाज ने उन्हें ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्व प्रतिमा अवार्ड‘ से भी नवाजा गया। आपको बता दें कि ये सम्मान पाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला हैं। अपनी भारत यात्रा के दौरान सुनीता विलियम्स ने 04 अक्टूबर, 2007 को दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावात के स्कूल में लेक्चर भी दिया था उसके बाद वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मिलीं थी और अपनी अंतरिक्ष यात्रा के अनुभवों को साझा किया था।
सुनीता विलियम्स ने अभी तक कुल 30 अलग-अलग अंतरिक्ष यानों में 2770 उड़ानें भी भरी हैं।
पुरस्कार और सम्मान –
सुनीता विलियम्स को उनकी उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिलें हैं। सुनीता विलियम्स नौसेना पोत चालक, हेलीकॉप्टर पायलट, पेशेवर नौसैनिक, पशु-प्रेमी, मैराथन धाविका और अंतरिक्ष यात्री एवं विश्व-कीर्तिमान धारक हैं। सुनीता विलियम्स को निम्नलिखित अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
- नेवी कमेंडेशन मेडल अवॉर्ड।
- नेवी एंड मैरीन कॉर्प एचीवमेंट मेडल।
- ह्यूमैनिटेरियन सर्विस मेडल।
- मैडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्स्पलोरेशन।
- सन 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया।
- सन 2013 में गुजरात विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की।
- सन 2013 में स्लोवेनिया द्वारा ‘गोल्डन आर्डर फॉर मेरिट्स’ प्रदान किया गया।
यह लेख उसी अप्रतिम महिला की असाधारण इच्छाशक्ति, दृढ़ता, उत्साह तथा आत्मविश्वास की कहानी है। उनके इन गुणों ने उन्हें एक पशु चिकित्सक बनने की महत्वाकांक्षा रखने वीली छोटी-सी बालिका के एक अंतरिक्ष-विज्ञानी, एक आदर्श प्रतिमान बना दिया। अंतरिक्ष में अपने छह माह के प्रवास के दौरान वे दुनियाभर के लाखों लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं।
सुनीता समुद्रों में तैराकी कर चुकी हैं महासागरों में गोताखोरी कर चुकी हैं, युद्ध और मानव-कल्याण के कार्य के लिए उड़ानें भर चुकी हैं, अंतरिक्ष तक पहुँच चुकी हैं और अंतरिक्ष से अब वापस धरती पर आ चुकी हैं और एक जीवन्त प्रेरणा का उदाहरण बन गई हैं।
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Kya sunita Williams ne Apana dharm pariwartan kiya tha?
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A great woman have a lote of corrage and knoweladge