दिन में 2 बार गायब हो जाता हैं ये मंदिर! जानिए क्या हैं रहस्य…….

Stambheshwar Mahadev Temple

हमारा देश धार्मिक आस्था का देश है। यहाँ अलग समुदाय रहते है और उनकी अलग अलग मान्यताये है। अलग अलग मान्यताओ के अनुसार अलग अलग मंदिर है और उन मंदिरों की अलग कहानियां। हर मंदिर के बनने की अलग कहानी है।

कई सारे मंदिर ऐसे हैं जहाँ आज भी रहस्य छिपे हुए है और उनमे होने वाले क्रियायो के बारे में हम नहीं जानते है।

ऐसा ही एक मंदिर है जो दिन में दो बार आँखों के सामने से ओझल हो जाता है यानी गायब हो जाता है। सोचकर आश्चर्य होगा लेकिन ऐसा है।

Stambheshwar Mahadev Temple

दिन में 2 बार गायब हो जाता हैं ये मंदिर! – Stambheshwar Mahadev Temple

ये है वो मंदिर- ये मंदिर गुजरात राज्य के बड़ोदरा शहर से साठ किलोमीटर दूर कबी कम्बोई गाँव में है जिसे स्तंभेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहाँ शिवलिंग विराजमान है जिसे देखने के लिए देश समेत विदेशो से भी लोग आते है। यह मंदिर लगभग 150 साल पहले खोजा गया था।

यह अरब सागर की खम्भात की खाड़ी के किनारे है और यह मंदिर दिन में दो बार आँखों के सामने से ओझल हो जाता है क्योकि यह मंदिर पानी में डूब जाता है।

अब आप सोच रहे होगे की ऐसा कैसे हो सकता है खुद ही पानी में डूब जाए और खुद ही पानी वहां से हट जाए तो आपको बता दे की ऐसा सच में होता है।

ऐसा होता है क्योकि वहां ज्वार आता है और इस वजह से मंदिर डूब जाता है और जब ज्वार गायब हो जाता है तब मंदिर दिखने लग जाता है और ऐसा दिन में दो बार होता है। मंदिर के दर्शन करने के लिए लोग जाते है जब यह दिख रहा होता है।

इसके अलावा वहां पर्चे भी बाटें जाते है और वो समय बताया जाता है जब मंदिर डूबने वाला होता है और वहां ना जाने की सलाह दी जाती है। कई सारे लोगो ने मंदिर में उस वक्त जाने की कोशिश की जब वो मंदिर डूबा हुआ हो लेकिन कोई सफल नहीं हुआ।

स्तंभेश्वर मंदिर की कथा – Stambheshwar Mahadev Story

इस मंदिर में ऐसा क्यों होता है और इसका निर्माण क्यों हुआ इसके पीछे पौराणिक कथा भी है जैसे हर एक मंदिर की होती है।

कहा जाता है की ताड़कासुर नाम का राक्षस भगवान् शिव का बहुत भक्त था और उसने सालो भगवान् की तपस्या की और भगवान् प्रगट हुए।

जब भगवान् प्रगट हुए तो उसने भगवान् से वरदान माँगा की मेरी हत्या केवल आपका पुत्र कर सके और उसे पुत्र की उम्र केवल छ दिनों की होनी चहिये। अब भगवान् की तपस्या की थी तो भगवान् को ये वरदान देना पड़ा।

इसके बाद ताड़कासुर पूरी सृष्टि में उत्पाद मचाने लगा क्योकि उसे ये पता था की भगवान् शिव के पुत्र के अलावा उसका वध कोई नहीं कर सकता है और भगवान् शिव का कोई पुत्र उस समय था नहीं।

बढ़ते हाहाकार को देखते हुए भगवान् शिव और पार्वती का मिलन हुआ और कार्तिकेय का जन्म हुआ जो गणेश जी से बड़े है। जब कार्तिकेय छ दिन के हुए तो उन्होंने ताड़कासुर की हत्या कर दी।

हत्या के बाद जब उन्हें पता चला की ये भगवान् शिव का भक्त था तो उन्हें बहुत ग्लानि हुई तो विष्णु जी ने उन्हें कहा की उस जगह एक मंदिर बनाया जाए जहाँ ताड़कासुर का वध हुआ है और उसमे शिवलिंग विराजमान किये जाए जिससे कार्तिकेय का दुःख कम होगा।

ऐसा किया गया और फिर भगवान् शिव खुद वहां विराजमान हो गए। इसके बाद खुद सागर देवता दिन में दो बार भगवान् शिव का जल अभिषेक करने आते थे और आज भी वैसा ही हो रहा है।

कहा जाता है की ये ज्वार इसीलिए आता है क्योकि सागर देवता भगवान शिव को जल चढाते है।

मंदिर में विराजमान शिवलिंग की लम्बाई चार फुट है और यह दो फुट गोल भी है। यहाँ आमवाश्या और महाशिवरात्रि के दिन भारी संख्या में लोग देश विदेश से आते है।

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12 COMMENTS

    • शुक्रिया इस पोस्ट को पढ़ने के लिए, इस तरह के और ज्यादा पोस्ट पढ़ने के लिए आप हमारे फेसबुक पेज पर भी विजिट कर सकते हैं।

    • धन्यवाद बजरंग लाल जी, यह जानकर अच्छा लगा कि आपको ये पोस्ट पसंद आया। हमारा देश रहस्यमयी मंदिरों से भरा पड़ा है वहीं इन मंदिरों से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था भी जुड़ी हुई है। इन रहस्यमयी और अदभुद शक्तियों के आगे विज्ञान ने भी अपने घुटने टेक दिए। वहीं इस तरह की जानकारियां वाकई बेहद रोचक लगती हैं, अगर आपके पास भी इस तरह की जानकारी हैं तो कृपया हमसे सांझा करें ताकि हम इस तरह के और अधिक पोस्ट अपने पाठकों को उपलब्ध करा सकें।

  1. this is really good information sir thanks for sharing this information sir yah post mujhe bahut he achcha laga aapne mujhe eeak aise mandir ke bare me bataya jo apne bharat main he hai or to or wo din me do bar gayab bhi ho jata hai.

    • Thank u for your wonderful comments. We will surely publish other such articles soon and we hope that you will like them too.

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