Sri Chaitanya Mahaprabhu – चैतन्य महाप्रभु जिन्होंने गौड़ीय संप्रदाय की स्थापना की थी। उनके अनुयायी उन्हें भगवान श्री क्रिष्ण का अवतार ही मानते थे और वे अपने अनुयाइयो के सामने उन्हें भक्ति और जीवन का पाठ पढ़ाते थे। उन्हें कृष्णा का सबसे सौभाग्यपूर्ण अविर्भाव माना जाता था।
चैतन्य महाप्रभु की जीवनी – Sri Chaitanya Mahaprabhu In Hindi
चैतन्य वैष्णव भक्ति योग स्कूल के प्रस्तावक भी थे जो भागवत पुराण और भगवद गीता पर आधारित थी। विष्णु के बहुत से अवतारों में से उन्हें एक माना जाता है, लोग उन्हें कृष्णा का अवतार ही मानते थे, वे हरे कृष्णा के मन्त्र जाप के लिए प्रसिद्ध है और साथ ही वे संस्कृत भाषा की आठ सिक्सस्ताकम (भक्ति गीत) भी कविताये भी गाते थे। उन्हें अनुयायी गुडिया वैष्णव कृष्णा का अवतार ही मानते थे।
चैतन्य महाप्रभु को कभी-कभी गौरंग और गौरा के नाम से भी जाना जाता था और नीम के पेड़ के निचे ही जन्म लेने की वजह से उन्हें निमाई भी कहा जाता था। लेकिन नीम के निचे जन्म लेने का इतिहास में कोई सबुत नही है। अपने युवा दीनो में वे एक बुद्धिमान इंसान थे।
उनका वास्तविक नाम विशम्भर था। वे एक होनहार विद्यार्थी थे और उनका उपनाम (Nick Name) निमाई था। अल्पायु में ही वे विद्वान बन चुके थे और उन्होंने एक स्कूल भी खोली थी।
चैतन्य महाप्रभु का जीवन परिचय | Sri Chaitanya Mahaprabhu ka Jivan parichay
चैतन्य मतलब ज्ञान, महा मतलब महान और प्रभु मतलब भगवान या फिर मास्टर अर्थात “ज्ञान का भगवान”। चैतन्य महाप्रभु भगवान श्री कृष्णा के अवतार भी माने जाते थे और लोग उन्हें श्री कृष्णा का मुख्य भक्त भी कहते थे।
जगन्नाथ मिश्रा और उनकी पत्नी साची देवी के दुसरे बेटे के रूप में उनका जन्म हुआ था और वे श्रीहत्ता के ढाका दखिन ग्राम में रहते थे जो वर्तमान बांग्लादेश में आता है। चैतन्य चरिताम्रुता के अनुसार चैतन्य का जन्म पूर्ण चन्द्रमा की रात 18 फरवरी 1486 को चन्द्र ग्रहण के समय में हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम विशावंभर रखा था। असल में उनका परिवार ढाका दखिन से ही था।
चैतन्य महाप्रभू का जन्मस्थल योगपीठ था। जिसे 1880 में भक्तिविनोद ठाकुर (1838-1914) ने मायापुर (पश्चिम बंगाल, भारत)में बनवाया था।
चैतन्य के मन्त्र जाप और उनके गीत और भजनों को लेकर कई कहानियाँ बताई जाती है, युवावस्था से ही उनका प्रभाव उनके भक्तो पर पड़ रहा था।
बचपन से ही उन्हें कुछ सिखने और संस्कृत भाषा सिखने में रूचि थी। श्रद्धा सेरेमनी में प्रदर्शन करने के लिए जब वे गया गए थे तब चैतन्य अपने गुरु इश्वर पूरी से भी मिले थे, उन्ही से चैतन्य ने गोपाल कृष्णा मन्त्र के जाप को पूछा था। इस मीटिंग का काफी प्रभाव चैतन्य के जीवन पर पड़ा और इस मीटिंग के बाद उनके जीवन में भी काफी बदलाव आए। और इसी तरह से बाद में वे वैष्णव समूह के मुख्य लीडर बने।
लीडर बनने के बाद उन्होंने लोगो को ज्ञान बाटना और आत्मिक शांति के लिए मन्त्र जाप करने का उपदेश देने लगे। अपने मंत्रो में वे लगातार श्री कृष्णा का जाप करते रहते थे और लोग भी उन्हें भगवान श्री कृष्णा का सबसे बड़ा भक्त ही मानते थे।
अपनी जिंदगी के 24 साल उन्होंने पूरी ओडिशा और महान मंदिर जगन्नाथ में बिताये थे। गजपति राजा प्रतापरुद्र देव चैतन्य को भगवान श्री कृष्णा का अवतार ही मानते थे। कृष्णा भक्ति करने के बाद अंत में उन्होंने समाधी ले ली और हमेशा के लिए कृष्णा भक्ति में तल्लीन हो गए।
चैतन्य महाप्रभु की शिक्षा –
चैतन्य महाप्रभु ने संस्कृत में कुछ लिखित सिक्सस्ताकम रिकॉर्ड किये है। चैतन्य के आध्यात्मिक, धार्मिक, महमोहक और प्रेरणादायक विचार लोगो की अंतरआत्मा को छू जाते थे। उनके द्वारे सिखाई गयी कुछ बाते निचे दी गयी है –
- कृष्णा ही रस का सागर है।
- अपने तटस्थ स्वाभाव की वजह से ही जीव सभी बन्धनों से मुक्त होते है।
- जीव इस दुनिया और एक जैसे भगवान से पूरी तरह से अलग होते है।
- पूर्ण और शुद्ध श्रद्धा ही जीवो का सबसे बड़ा अभ्यास है।
- कृष्णा का शुद्ध प्यार ही सर्वश्रेष्ट लक्ष्य है।
- सभी जीव भगवान के ही छोटे-छोटे भाग है।
- कृष्णा ही सर्वश्रेष्ट परम सत्य है।
- कृष्णा ही सभी उर्जाओ को प्रदान करता है।
- जीव अपने तटस्थ स्वाभाव की वजह से ही मुश्किलों में आते है।
चैतन्य के अनुसार भक्ति ही मुक्ति का साधन है। उनके अनुसार जीवो के दो प्रकार होते है, नित्य मुक्त और नित्य संसारी। नित्य मुक्त जीवो पर माया का प्रभाव नही पड़ता जबकि नित्य संसारी जीव मोह-माया से भरे होते है। चैतन्य महाप्रभु कृष्णा भक्ति के धनि थे। न्यायशास्त्र में उन्हें प्रसिद्ध पंडित भी कहा जाता था। युवावस्था में ही चैतन्य महाप्रभु ने घर को छोड़कर सन्यास ले लिया था।
उनके अनुसार –
“हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।”
यह महामंत्र सबसे ज्यादा मधुर और भगवान को प्रिय है।
और अधिक लेख:
Note: अगर आपके पास Sri Chaitanya Mahaprabhu Biography मैं और Information हैं। या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे। अगर आपको हमारी Information About Sri Chaitanya Mahaprabhu In Hindi अच्छी लगे तो जरुर हमें Facebook पे Like और Share कीजिये।
Note: E-MAIL Subscription करे और पायें Essay On Sri Chaitanya Mahaprabhu In Hindi आपके ईमेल पर।
Very good article on chaitanya mahaprabhu
Harinaam Mahamanter shi kro,, Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare,, Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare
Abe Ye hare krishna krishna krishan hare hare..
Ye mantra tere Geeta ,, ved,, ya koi puraan me likha h kya..
Very good article on Chaitanya Mahaprabhu. All information is good.
The Mahamantra written here as “Hare ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare , Hare Krishna Hare krishna Krishna Krishna Hare Hare” is not correct………
its ……
“HARE KRISHNA KARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE
HARE RAM HARE RAM RAM RAM HARE HARE”
Pls correct it as soon as possible
bahut hi shaandar blog thi, thank you for sharing with us.
http://gyanm.in