“स्प्रिंग टेंपल बुद्धा” – दुनिया की दूसरी सबसे विशालकाय प्रतिमा

Spring Temple Buddha

भारत की “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” अब दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, लेकिन इससे पहले “स्प्रिंग टेंपल बुद्धा” – Spring Temple Buddha दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा थी।

“स्प्रिंग टेंपल बुद्धा” – दुनिया की दूसरी सबसे विशालकाय प्रतिमा – Spring Temple Buddha

Spring Temple Buddha

“स्प्रिंग टेंपल बुद्धा” कहा स्तिथ हैं – Spring Temple Buddha Location

भगवान बुद्ध की यह मूर्ति चीन के हेनान प्रांत में लूसान नामक जगह पर साल 2002 में स्थापित की गयी थी।

“स्प्रिंग टेंपल बुद्धा” की ऊँचाई – Spring Temple Buddha Height

आपको बता दें कि भगवान बुद्ध की इस मूर्ति की ऊंचाई 153 मीटर है। जबकि गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” की लंबाई 182 मीटर है।

दुनिया के सबसे ऊँचे स्टैच्यू में शामील भगवान बुद्ध की इस प्रतिमा को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया है।

भगवान बुद्ध का स्टैच्यू दो संरचनाओं में, “डायमंड सीट” और “सुमेरू सीट” पर खड़ा है – वहीं अगर इन दोनों को मिला दिया जाए तो इसकी ऊंचाई 208 मीटर होगी।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज बुद्ध का ये स्टैच्यू दो सीटों पर खड़ा है। जिसमें से हर एक की बहुस्तरीय इमारत है।

भगवान बुद्ध स्पष्ट रूप से मुख्य आकर्षण के रूप में फोडुशन सीनिक एरिया में स्थित है। हालांकि यहां कुछ अन्य छोटी चीजें देखने के लिए भी हैं – जैसे कि बुद्ध की मूर्ति के नीचे फोकन मंदिर, गुड लक की बेल, और योओशन फुक्वान गर्म वसंत केंद्र(  the Yaoshan Fuquan hot spring centre)।

जिसको देखने दूर-दूर से यहां पर्यटक आते हैं और मनोरंजन करते हैं।

“स्प्रिंग टेंपल बुद्धा” का निर्माण – Spring Temple Buddha Construction

भगवान बुद्ध की इतनी विशालकाय प्रतिमा 108 किलोग्राम सोने, 3,300 टन तांबा मिश्र धातु और 15,000 टन स्टील से बनी है। इस मूर्ति को देखने आने वाले पर्यटक इस मूर्ति के पैर की उंगलियों को छूकर यह महसूस कर सकते हैं कि वास्तव में यह मूर्ति कितनी विशाल है।

आपको बता दें कि इस सबसे ऊंची बुद्ध की प्रतिमा तक पहुंचने के लिए कुल मिलाकर आपको करीब 1000 सीढ़ियां तो चलकर तय करनी ही होती हैं।

वहीं अगर आपको यहां तक पहुंचने के लिए यह दूरी बहुत ज्यादा लगती है या फिर ऐसा लगता है कि आप इतनी सीढ़िया चढ़कर थक जाएंगे तो इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां मिनी बस की भी सुविधा है, जिसमें बेहद कम कीमत चुकाकर आप प्रतिमा तक बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।

वहीं साल 2001 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में बामियान बुद्धों के विनाश के बाद इस बुद्ध के मंदिर के निर्माण की घोषणा की गई थी, जिसकी उस समय चीनी सरकार ने निंदा भी की थी।

भगवान बुद्ध की ये विशालकाय मूर्ति का निर्माण 2008 में पूरा हुआ था। इसके बाद मूर्ति के नीचे दो इमारतों – डायमंड सीट और सुमेरू सीट बनाने की घोषणा की गई थी।

वहीं आखिरी में भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनाई गई थी। आपको बता दें कि साल 2014 तक, डायमंड और सुमेरू दोनों सीटें बाहरी रूप से खत्म हो चुकी हैं लेकिन आंतरिक रूप से निर्माणाधीन हैं।

ऐसा लगता है कि इस पूरे क्षेत्र का निर्माण पर्यटकों की ज्यादा संख्या को बढ़ाने के लिए किया गया था। लेकिन शायद पर्यटकों की संख्या कम होने की यह वजह है कि इसमें दो भवन अभी भी पूरे नहीं बने हैं।

वहीं डायमंड सीट खुद ही एक दिलचस्प और रोमांचित इमारत है। यह पांच खंडों से मिलकर बनी है। जिसके हर एक खंड में, छोटे-छोटे गोल्डन स्प्रिंग बुद्ध मंदिर हैं। इनमें 5000 से अधिक मंदिर है। जिनमें करीब 6,666 मिनी बुद्ध हैं।

हालांकि 2014 तक डायमंड सीट बिल्डिंग का आंतरिक निर्माण पूरा नहीं किया गया था। वहीं इस विशालकाय मूर्ति को देखने के लिए पर्यटकों को टिकट खरीदना होता है।

इसके बाद कमल पैडस्टल से टॉप तक पर्यटकों को लिफ्ट पकड़ना होता है। जहां पर टूरिस्ट इस विशालकाय बुद्ध की प्रतिमा के पैर की उंगलियों को स्पर्श कर सकते हैं और इसकी विशालता को महसूस कर सकते हैं।

स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध के इस बड़े प्रोजेक्ट की लागत करीब 55 मिलियन डॉलर आंकी गई थी। जिसमें से 18 मिलियन डॉलर स्टैच्यू पर आई है।

वहीं इस विशालकाय मूर्ति के नीचे एक बौद्ध मठ भी है। इस प्रतिमा को देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और भगवान बुद्ध की अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करते हैं।

वहीं जो कोई भी इस विशालकाय मूर्ति को देखता है। वह इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता है। वाकई में इस मूर्ति को बनाने में हर एक पहलू पर बारीकियों से ध्यान दिया गया है जो कि सराहनीय है।

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