शिक्षा पर भाषण – Speech on Education in Hindi

Speech on Education in Hindi

शिक्षा के महत्व और इसके मूल्यों को सिर्फ शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता, लेकिन कई बार स्कूल – कॉलेजों में कई ऐसे प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के मकसद से अलग-अलग विषय पर भाषण आदि देने के लिए बोला जाता है।

इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट पर शिक्षा पर भाषण (Speech on Education) उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल विद्यार्थी अपने जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं – तो आइए अब जानते हैं शिक्षा पर शानदार भाषण –

Speech on Education

शिक्षा पर भाषण – Speech on Education in Hindi

सर्वप्रथम सभी को मेरा नमस्कार!

आदरणीय मान्यवर, सम्मानीय मुख्य अतिथि, प्राचार्या जी, सभी शिक्षक गण और यहां पर बैठे मेरे छोटे-बड़े भाई-बहनों और मेरे प्रिय दोस्तों आप सभी का मैं तहे दिल से आभार प्रकट करती हूं/करता हूं।

बेहद खुशी हो रही है कि, आज मुझे इस अवसर पर, आप लोगों के समक्ष, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर शानदार भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है। मैं अपने भाषण की शुरुआत, शिक्षा के मूल्यों समझाने पर लिखे गए एक संस्कृत श्लोक के माध्यम से करना चाहती हूं / चाहता हूं –

”विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्।
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्।
विद्या राजसु पुज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः॥”

जिसका मतलब है कि विद्या किसी व्यक्ति का विशिष्ट रुप है, विद्या गुप्त धन है। विद्या भोग देने वाली, यश-कीर्ति देने वाली, और सुख देने वाली है। विद्या गुरुओं की गुरु है, विदेश में विद्या बंधु है यानि कि दोस्त है। विद्या ही सबसे बड़ी देवता है, राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं, विद्याविहीन व्यक्ति पशु के सामान है।

अर्थात शिक्षा, मनुष्य के जीवन का मूल आधार है, शिक्षा के बिना मनुष्य एक पशु के सामान है, क्योंकि मनुष्य के ज्ञान और विवेकशीलता के तर्ज पर ही मानव और पशु में अंतर किया जाता है।

एक शिक्षित व्यक्ति ही समाज में खुद को साबित कर पाने की क्षमता रखता है, क्योंकि शिक्षा से ही व्यक्ति के अंदर सोचने, समझने की शक्ति विकसित होती है और उसके दिमाग का पूर्ण रुप से विकास होता है, इसके साथ ही तभी वह सफलता हासिल करता है, और अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के योग्य बनता है।

शिक्षा मनुष्य का मानसिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सभी रुप में विकास करती है, और मनुष्य को यश-कीर्ति दिलवाती है। इसलिए शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए।

जो लोग पढ़ाई-लिखाई से दूर भागते हैं, अथवा इसके महत्व को नहीं समझते हैं, ऐसे लोगों को अपने जीवन में निश्चय ही घोर कष्टों का सामना करना पड़ता है। वहीं शिक्षा हासिल कर ही व्यक्ति सही मायने में एक सुखी जीवन जीता है, वहीं इसके विपरीत जो व्यक्ति शिक्षा ग्रहण नहीं करते हैं, उसे अपनी जिंदगी में दर-दर की ठोंकरे खानी पड़ती है, और अंतत: बिना कुछ हासिल किए ही ऐसे व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है।

शिक्षा से ही व्यक्ति के अंदर दुनिया की समस्त चीजों का बोध होता है, साथ ही उसे अपने जीवन में अच्छे और बुरे का पता चलता है। वहीं शिक्षा ही व्यक्ति को अंधविश्वास से दूर रखती है, उससे मन से डर भगाती है और किसी भी संदेह को मिटाने में उसकी मद्द करती है।

वहीं जरूरी नहीं कि शिक्षा स्कूल या फिर कॉलेज में ही ली जाए, शिक्षा ऐसी चीज है, जिसे व्यक्ति कहीं भी और किसी भी उम्र में हासिल कर सकते हैं। वहीं विद्या प्राप्त करने की सबसे अच्छी बात यह है कि, शिक्षा बांटने से कभी कम नहीं होती है बल्कि यह बढ़ती है और इसे कोई भी आपसे चोरी नहीं कर सकता है, यह मनुष्य के जीवन का एक अद्भुत खजाना है।

वहीं इस दुनिया में कई लोग ऐसे भी हैं जो शिक्षा तो हासिल करना चाहते हैं, लेकिन वह इसके लिए मेहनत नहीं करना चाहते हैं अर्थात ऐसे लोगों को कभी शिक्षा हासिल नहीं हो सकती है, क्योंकि इसके लिए कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है, कई सुख और नींद का त्याग करने के बाद ही इसको हासिल किया जा सकता है, और इसे हासिल कर व्यक्ति सफल हो सकता है।

वहीं शिक्षा के माध्यम से ही व्यक्ति की सोच में बदलाव आता है, यही वजह है कि स्वामी विवेकानंद, आचार्य चाणक्य, दयानंद सरस्वती, महात्मा ज्योतिबा फुले, डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर जी समेत कई महापुरुषों और समाजसेवकों शिक्षा का जमकर प्रचार-प्रसार किया, और इसी वजह से आज आधुनिक भारत का निर्माण हो सका है। शिक्षा से सभी के अंदर समानता का भाव पैदा होता है, और जातिगत भेदभाव, ऊंच-नीच, लैंगिग भेदभाव गरीबी-अमीरी आदि का अंतर खत्म होता है।

शिक्षा महिला और पुरुषों सभी के लिए समान रुप से महत्व रखती है, और दोनों के बीच के अंतर को खत्म करने में मद्द करती है। इसके साथ ही शिक्षा से ही शासन प्रणाली में पारदर्शिता लाई जा सकती है और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की जा सकती है। अच्छी शिक्षा किसी भी राष्ट्र की उन्नति और प्रगति में सहायता करती है।

वहीं शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बड़े स्तर पर भारत सरकार द्धारा भी कई तरह के जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षा हासिल कर सकें और देश के विकास में अपना सहयोग निभा सकें हैं वहीं शिक्षा के माध्यम से आज ग्रामीणों के रहन-सहन और जीवन स्तर में भी बदलाव देखने को मिला है।

अर्थात शिक्षा ही एकमात्र ऐसा जरिया है, जो न सिर्फ संसार में व्याप्त समाप्त बुराइयों को नष्ट कर सकती है, बल्कि मनुष्य के विकास के साथ पूरे राष्ट्र को उन्नति के पथ पर अग्रसर कर सकती है। शिक्षा पर जितना भी बोला जाए कम है, अर्थात एक महान व्यक्ति के विचार द्धारा मैं अपने इस भाषण पर यहीं विराम लगाना चाहूंगी –

“शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे माध्यम से आप पूरी दुनिया को बदल सकते हैं” – नेल्सन मंडेला

अर्थात हम सभी को शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर जोर देना चाहिए और खुद तो शिक्षा के महत्व को समझना ही चाहिए इसके साथ ही अज्ञानी और अशिक्षित व्यक्ति को भी शिक्षा के मूल्य को समझाना चाहिए, ताकि हर तरफ शिक्षा की अलख जग सके और हमारा देश, दुनिया का सबसे सफल और विकसित देश बन सके।

धन्यवाद।

शिक्षा पर भाषण नंबर 2- Importance of Education speech in Hindi

सभी महानुभावो, आदरणीय अतिथियों, सम्मानीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे मित्रों सभी को मेरा नमस्कार। आज मै बेहद खुश हूं कि आप सभी ने इस मौके पर मुझे शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भाषण देने का मौका दिया, इसके लिए मै आप सभी का आभार प्रकट करती हूं या करता हूं। वहीं मै अपने भाषण की शुरुआत शिक्षा पर महान व्यक्ति के एक विचार द्धारा करना चाहती हूं –

”शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं है; शिक्षा जीवन ही है।”

शिक्षा के बिना मनुष्य अधूरा है, अर्थात अशिक्षित व्यक्ति का जीवन किसी काम का नहीं है। शिक्षा के मनुष्य के अंधकारमय जीवन में सूरज की तरह रोशनी भरने का काम करती है, साथ ही व्यक्ति को अज्ञानता से दूर ले जाती है और उसके जीवन में ज्ञान का प्रकाश डालती है।

शिक्षा वो हथियार है, जिससे मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास की भावना जागृत होती है और खुद को समझने की शक्ति प्राप्त होती है।

शिक्षा की बदौलत ही एक सभ्य, चरित्रवान और श्रेष्ठ मनुष्य का निर्माण होता है। शिक्षा व्यक्ति के अंदर की सभी बुराईयों को दूर करती है और अच्छाईयों से उसके जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाती है।

शिक्षा से ही व्यक्ति की सोच में परिवर्तन होता है, और मनुष्य को अंदर चीजों को सही ढंग से समझने और सोचने की भावना जागृत होती है। इसके साथ ही जीवन के प्रति उसके सकारात्मक नजरिया हासिल होता है। शिक्षा से ही व्यक्ति का सही रुप में विकास होता है, उसके जीवन में बदलाव आता है।

शिक्षा ही किसी साधारण मनुष्य को आधारण बनाने में मद्द करती है, और व्यक्ति के जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में उसकी मद्द करती है। वहीं आज शिक्षा के प्रचार-प्रसार से ही समाज की रुढिवादी सोच को बदला जा सका है और कई अंधविश्वास को दूर करने में सफलता हासिल हुई है।

इसके साथ ही आज शिक्षा के बदौलत ही हम आधुनिक तकनीकों से लैस हो सके हैं, और दुनिया के किसी भी कोने में बैठे शख्स से कुछ सैकेंड में ही बात कर लेते हैं, और बेहद कम समय पर दुनिया में कहीं भी जा सकते हैं। यही नहीं शिक्षा की बदौलत ही कुछ ऐसे तकनीकों का इजात हो सका है कि आज मनुष्य को लाइलाज और जानलेवी बीमारियों से भी बचाया जा सकता है।

शिक्षा से व्यक्ति न सिर्फ अपनी आजीविका कमा सकता है, और सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है, बल्कि एक शिक्षित व्यक्ति समाज और देश के विकास में भी उचित रुप से सहयोग दे सकता है। वहीं हमारे भारतीय संविधान में भी शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार में रखा गया है, हर व्यक्ति को शिक्षा लेने का अधिकार है।

इसलिए हम सभी को शिक्षा ग्रहण करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए और अपने आस-पास के लोगों को भी शिक्षा के प्रति जागरूक करना चाहिए। वहीं जब हमारा समाज पूर्णतया शिक्षित होगा, तभी हम आगे बढ़ सकेंगे। इसी के साथ मै अपने भाषण पर विराम लगाना चाहता हूं, चाहती हूं और आखिरी में विद्या पर एक श्लोक सुनाना चाहती हूं –

विद्या दादाति विनयं विनयाद याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्रोति धनात् धर्म तत: सुखम्।।

धन्यवाद, जय हिन्द।।

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