Shankar Dayal Sharma – शंकर दयाल शर्मा भारत के नौवे राष्ट्रपति थे, उनका कार्यकाल 1992 से 1997 के बीच था। अपने राष्ट्रपति पद से पहले, शर्मा भारत के आठवे उप राष्ट्रपति थे।
इसके साथ ही वे भोपाल के मुख्य मंत्री (1952-1956) और कैबिनेट मिनिस्टर (1956-1967), इन पदों पर रहते हुए उन्होंने शिक्षा, कानून, सामाजिक कार्य, उद्योग और कॉमर्स, राष्ट्रिय संसाधन और रेवेन्यु विभाग में काम किया था।
1972-1974 तक वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष थे और 1974 से 1977 तक यूनियन मिनिस्टर बनकर उन्होंने सरकार में वापसी की थी।
शंकर दयाल शर्मा की जीवनी – Shankar Dayal Sharma Biography in Hindi
इंटरनेशनल बार एसोसिएशन ने शंकर दयाल शर्मा को लीगल प्रोफेशन में बहु-उपलब्धियों के कारण ‘लिविंग लीजेंड ऑफ़ लॉ अवार्ड ऑफ़ रिकग्निशन’ से प्रस्तुत किया था।
शंकर दयाल शर्मा का जन्म मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। पंजाब यूनिवर्सिटी और लखनऊ यूनिवर्सिटी के सेंट जॉन कॉलेज और आगरा कॉलेज से उन्होंने अपनी पढाई पूरी की थी। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के फिट्ज़विलियम कॉलेज से शर्मा ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। लखनऊ यूनिवर्सिटी ने उन्हें उनके सामाजिक कार्यो के लिए उन्हें चक्रवर्ती गोल्ड मैडल देकर सम्मानित भी किया था।
लखनऊ यूनिवर्सिटी और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में शंकर दयाल शर्मा लॉ पढ़ाते थे। जबकि कैम्ब्रिज में वे टैगोर सोसाइटी और कैम्ब्रिज मजलिस के कोषाध्यक्ष भी थे। गाजीयाबाद की अलाहाबाद यूनिवर्सिटी अलुमिनी एसोसिएशन के तरह से चुनी हुई 42 सदस्यों की सूचि में उन्हें “प्राउड पास्ट अलुम्नुस (Proud Past Alumnus)” का सम्मान भी दिया गया था।
हार्वर्ड लॉ स्कूल के भी वह सदस्य थे। इसके बाद उनकी नियुक्ती लिकन इन में सम्माननीय बेंचर और मास्टर के पद पर की गयी थी। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर ऑफ़ लॉ की डिग्री देकर सम्मानित किया था।
राजनीतिक दीक्षा:
1940 के समय में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान के संघर्ष में शामिल हुए थे और इसी उद्देश्य से वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल भी हुए थे, एक यही पार्टी थी जिसका साथ वे अंत तक जुड़े हुए थे।
भारत की आज़ादी के बाद भोपाल के नवाब ने भोपाल के राजसी राज्य ही बने रहने की मांग की। इसके विरोध में शर्मा ने दिसम्बर 1948 में सामाजिक आंदोलन भी किया था, इस वजह से उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। और इसके बाद उन्होंने इंडियन यूनियन के साथ 30 अप्रैल 1949 को अग्रीमेंट भी बनाया।
1952 में शर्मा भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री बने थे और 1956 तक उन्होंने राज्य का मुख्यमंत्री बने रहे हुए सेवा की थी। फिर 1956 में भोपाल राज्य को मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना करने के लिए उसमे मिला लिया गया था।
सक्रीय राजनीतिक जीवन:
1960 के समय में शर्मा ने कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप के लिए इंदिरा गांधी की मदद की थी। 1972 में उनकी नियुक्ती AICC के अध्यक्ष के रूप में की गयी थी। 1974 से उन्होंने यूनियन कैबिनेट में 1974-77 तक संचार मंत्री बने रहते हुए सेवा की थी।
1971 और 1980 में उन्होंने भोपाल से लोक सभा सीट जीती। बाद में उन्होंने बहुत से समारोहपूर्ण पदों पर काम किया।
1984 में उन्होंने भारतीय राज्य का गवर्नर बने रहते हुए सेवा की, उस समय वे आंध्र प्रदेश के पहले गवर्नर थे। इस समय में उनकी बेटी गीतांजलि माकन और दामाद ललित माकन, भी संसद के युवा सदस्य और प्रसिद्ध राजनीतिक नेता थे, जिनकी हत्या सिक्ख आतंकवादियों ने कर दी थी।
1985 में उन्होंने आंध्र प्रदेश छोड़ दिया और पंजाब के गवर्नर बने, उस समय भारत सरकार और सिक्ख आतंकवादियों के बीच हिंसा की स्थिति थी, उन आतंकवादियों में से बहुत से पंजाब में ही रहते थे। इसी वजह से 1986 में उन्होंने पंजाब छोड़ दिया और अंततः वह महाराष्ट्र चले गये। इसके बाद 1987 तक वे महाराष्ट्र के गवर्नर बने रहे और फिर उसी साल उनकी नियुक्ती भारत के आठवे उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के चेयरमैन के रूप में की गयी थी।
शर्मा सभी संसदीय मानदंडो को हमी देते थे। कहा जाता है की राज्य सभा में सदस्यों की साक्षी लेते समय संसद भवन में काफी शोर हो गया था और फिर राजनीतिक कारणों की वजह से उन्होंने राज्य सभा को तोड़ दिया था।
राष्ट्रपति पद चुनाव:
1992 तक शर्मा ने देश का उपराष्ट्रपति बने रहते हुए सेवा की थी, जब वे राष्ट्रपति के लिए चुने गये थे तब चुनावी कॉलेज से उन्हें कुल 66% वोट मिले थे, उन्होंने जॉर्ज गिल्बर्ट स्वेल्ल को पराजित किया था।
डॉ. शंकर दयाल शर्मा गोल्ड मैडल:
डॉ. शंकर दयाल शर्मा गोल्ड मैडल सभी प्रतिष्ठित भारतीय यूनिवर्सिटी में दिया जाता है। इस अवार्ड की शुरुवात 1994 में डॉ. शंकर दयाल शर्मा से मिली हुई अक्षय निधि से की गयी थी। यह मैडल उस ग्रेजुएट विद्यार्थियों को दिया जाता है, जिन्होंने पुरे साल अच्छी महेनत की और जिनका चरित्र, स्वाभाव और वार्षिक प्रदर्शन सर्वोत्तम रहा हो।
मृत्यु:
अपने जीवन के अंतिम पाँच वर्षो में शर्मा गंभीर स्वास्थ समस्या से जूझ रहे थे। 26 दिसम्बर 1999 को उन्हें एक जोरदार दिल का दौरा आया और तुरंत उन्हें नयी दिल्ली के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी थी। कर्म भूमि में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
उनकी बेटी गीतांजलि की हत्या भी सिक्ख आतंकवादियों ने उनके पति कांग्रेस एम.पी. ललित माकन के साथ कर दी थी। उनके बेटो का नाम सतीश दयाल शर्मा और आशुतोष दयाल शर्मा था।
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