Self Motivation Poem
जीव में हर एक राह पर हमें मोटिवेशन की बहुत ज्यादा जरुरत होती हैं। लेकिन हमें मोटिवेट करने के लिए हर बार कोई हमारे साथ होंगा ये संभव नहीं होता फिर ऐसे में किसी के कहे शब्द भी बहुत प्रेरणा दे जाते हैं। फिर चाहे वो भाषण के रूप में हो, कोट्स के रूप में हो या फिर कोई कविता हो सकती हैं। आज हम ऐसे ही कुछ सेल्फ मोटिवेशन कविताओं – Self Motivation Poem को पढेंगे। जिससे फिर से डटकर खड़े होने की ताकद आएँगी और जीवन में हम जरुर सफल बनेंगे।
सेल्फ मोटिवेशन कविताओं का संग्रह – Self Motivation Poem
Self Motivation Poem 1
“कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।”
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है।
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है।
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है।
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में।
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो।
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम।
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।।
~सोहनलाल द्विवेदी
Self Motivation Poem 2
“कोशिश कर”
कोशिश कर , हल निकलेगा,
आज नही तो, कल निकलेगा।
अर्जुन सा लक्ष्य रख, निशाना लगा,
मरुस्थल से भी फिर, जल निकलेगा।
मेहनत कर, पौधों को पानी दे,
बंजर में भी फिर, फल निकलेगा ।
ताक़त जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी, बल निकलेगा।
सीने में उम्मीदों को, ज़िंदा रख,
समन्दर से भी, गंगाजल निकलेगा।
कोशिशें जारी रख, कुछ कर ग़ुज़रने की,
जो कुछ थमा-थमा है, चल निकलेगा।
कोशिश कर, हल निकलेगा,
आज नहीं तो, कल निकलगा।
Self Motivation Poem 3
“बस चलते जाना है”
राह में चलते जाना है।
मंजिल खुद ही पाना है।
दूर दूर तक चलते,
बस चलते जाना है।।
रास्ते खुद ही बनाना है।
आगें बढ़ते जाना है।
दूर दूर तक चलते,
बस चलते जाना है।।
लक्ष्य भेद कर हमको ,
आगें जाना है।
सपने को पूरा करके,
हमे मंजिल पाना है।।
लाख मुसीबत आये कोई ,
उसे ऱास्ते से हटाना है।
दूर दूर तक चलते,
बस चलते जाना है।।
Self Motivation Poem 4
“कुछ काम करो”
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रह कर कुछ नाम करो,
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो,
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो,
कुछ तो उपयुक्त करो तन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
संभलो कि सुयोग न जाय चला,
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला,
समझो जग को न निरा सपना,
पथ आप प्रशस्त करो अपना,
अखिलेश्वर है अवलंबन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ,
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ,
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो,
उठके अमरत्व विधान करो,
दवरूप रहो भव कानन को,
नर हो न निराश करो मन को।
निज गौरव का नित ज्ञान रहे,
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे,
मरणोंत्तर गुंजित गान रहे,
सब जाय अभी पर मान रहे,
कुछ हो न तज़ो निज साधन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
प्रभु ने तुमको कर दान किए,
सब वांछित वस्तु विधान किए,
तुम प्राप्त करो उनको न अहो,
फिर है यह किसका दोष कहो,
समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
किस गौरव के तुम योग्य नहीं,
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं,
जान हो तुम भी जगदीश्वर के,
सब है जिसके अपने घर के,
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
करके विधि वाद न खेद करो,
निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो,
बनता बस उद्यम ही विधि है,
मिलती जिससे सुख की निधि है,
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को,
नर हो, न निराश करो मन को,
कुछ काम करो, कुछ काम करो।
Self Motivation Poem 5
“अग्निपथ”
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
Self Motivation Poem 6
“स्वप्न बड़े हों”
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
भावना की गोद से उतर कर,
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।
चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये,
रूठना मचलना सीखें।
हँसें, मुस्कुराएँ, गाएँ।
हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें,
उँगली जलाएँ।
अपने पाँव पर खड़े हों,
जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
Self Motivation Poem 7
“हार नही मानूँगा”
क्या हार में, क्या जीत में
किंचित नही भयभीत मैं
कर्त्तव्य पथ पर जो भी मिला
यह भी सही वो भी सही
वरदान नही माँगूगा
हो कुछ पर हार नही मानूँगा
Self Motivation Poem 8
“क़दम मिलाकर चलना होगा”
बाधाएँ आती हैं आएँ,
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पाँवों के नीचे अंगारे ,
सिर पर बरसे यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा,
क़दम मिलाकर चलना होगा।
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