Sant Eknath Information
महाराष्ट्र महान लोगो की जन्मभूमि है। महाराष्ट्र एक ऐसा महान राज्य है जहा आज तक हजारों महान लोग जन्म ले चुके है। इसे संत लोगो की जन्मभूमि भी कहा जाता है। संत ज्ञानेश्वर से लेकर संत तुकाराम महाराज, संत नामदेव तक, और संत जनाबाई से लेकर संतगाडगे महाराज तक सभी ने लोगो को सुधारने की कोशिश की।
आज महाराष्ट्र हर क्षेत्र में सबसे आगे है। लेकिन इसका सारा श्रेय उन सब संत लोगो को जाता हैं क्योंकी उन्होंने अपने ग्रंथ और कविताओ के माध्यम से लोगो को मार्गदर्शन किया। इन सबसंत और ऋषि में संत एकनाथ महाराज – Eknath Maharaj का भी बड़ा महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने समय रहते लोगो को भगवान और भक्ति का महत्व समझाया।
हिन्दू धर्म में भक्ति आन्दोलन को आगे ले जाने में उन्होंने जो योगदान दिया वह बहुमूल्य है। आज इसी महान संत और ऋषि एकनाथ के बारे में हम आपको बतानेवाले है। इस महान संत की सारी महत्वपूर्ण जानकारी निचे दी गयी है।
संत एकनाथ का जीवन परिचय – Sant Eknath Information in Hindi
नाम | संत एकनाथ महाराज |
जन्म | ई. स. 1533 |
जन्मस्थान | पैठन |
माता | रुक्मिणी |
पिता | सूर्यनारायण |
मृत्यु | ई. स. 1599 |
गुरु | जनार्दन स्वामी |
संत एकनाथ के जीवन बारे में ज्यादा जानकारी मिल पाना काफी मुश्किल है क्यों की उनके बारे में कहापरभी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं। लेकिन ऐसा कहा जाता है की वे 16 वी सदी में थे और उस वक्त उन्होंने आखिर तक भक्ति आन्दोलन को बढ़ावा दिया।
संत एकनाथ का जन्म महाराष्ट्रके पैठण गाव में एक देशस्थ ऋग्वेदी परिवार में हुआ था। इनके घर के लोग एकविरा देवी के बड़े भक्त थे। संत एकनाथ के बचपन मे ही उनके माता पिता गुजर गए थे जिसकी वजह से वे अपने दादाजी भानुदास के साथ में रहते थे। उनके दादाजी भानुदास भी वारकरी संप्रदाय से थे। ऐसा कहा जाता है की संत जनार्दन एकनाथ के गुरु थे और वे सूफी संत थे।
एक बार की बात है जब एक नीची जाती के व्यक्ति ने संत एकनाथ को उनके घर खाना खाने के लिए बुलाया था। संत एकनाथ उस व्यक्ति के घर गए थे और वहा पर जाकर उन्होंने खाना भी खाया था।
इस पर उन्होंने एक कविता भी लिखी थी और उसमे कहा था की, जो इन्सान नीची जाती के होने के बाद भी जो पुरे मन से भगवान की भक्ति करता है, अपना सब कुछ भगवान को अर्पण करता है, ऐसा व्यक्ति किसी ब्राह्मण से भी बड़ा भक्त होता है।
ऐसा भी कहा जाता है की एक बार खुद भगवान विट्ठल ने एकनाथ का रूप लिया था और खुद उस महार व्यक्ति के घर में गए थे।
संत एकनाथ महाराज के कार्य – Sant Eknath Maharaj work
संत एकनाथ ने भगवत पुराण को अपने खुद की भाषा में लिखा था। इसी किताब को उन्होंने “एकनाथीभागवत” – Eknathi Bhagwat नाम दिया था। उन्होंने रामायण को अलग शब्दों में लिखकर भावार्थ रामायण की नयी किताब लिखी थी। उन्होंने “रुक्मिणी स्वयंवर” – Rukmini Swayamvar की भी रचना की ती और इसमें कुल 764 ओवी थी। शंकराचार्य के 14 संस्कृत श्लोक पर यह किताब आधारित है।
शुकाष्टक (447 ओवी),स्वात्मा-सुख (510ओवी), आनंद-लहरी (154ओवी), चिरंजीव पद, गीता सार और प्रह्लाद विजय जैसे ग्रंथ संत एकनाथ ने लिखे थे। उन्होंने मराठी में एक नए गीत की निर्मिती की थी जिसे ‘भारुड’ (EknathMaharaj Bharud ) कहा जाता है। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध गीत रचना है।
संत एकनाथ की जीवनी पढने के बाद पता चलता है की वे समाज में चल रही पुराणी रीती परंपरा के खिलाफ थे। वे सभी धर्म और जाती के लोगो को एक समान मानते थे। उन्होंने लोगो को अच्छी राह तो दिखाई साथ ही उन्होंने ग्रंथ और किताबो की रचना की ताकी सभी लोगो का कल्याण हो सके।
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