Sake Dean Mahomed
शेख दीन मोहम्मद – इंग्लैड को भारतीय स्वाद चखाने वाले पहले भारतीय – Sake Dean Mahomed
15 जनवरी, साल 1759 को बिहार के पटना में जन्में शेख दीन मोहम्मद – Sake Dean Mahomed एक मशहूर एंग्लो इंडियन यात्री और सर्जन ही नहीं बल्कि एक अच्छे बिजनेसमैन भी थे। इन्होंने भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
साल 1786 में शेख दीन मोहम्मद – Sake Dean Mahomed ने अंग्रेजी की शिक्षा लेने के लिए आयरलैंड में एडमिशन भी लिया और कुछ समय वे कॉर्क में रहे। इसके बाद साल 1794 में 15 जनवरी को उन्होंने अंग्रेजी में अपनी किताब प्रकाशित की और अंग्रेजी में किताब प्रकाशित करने वाले वह पहले भारतीय लेखक बने।
शेख मोहम्मद ने अपनी किताब “द ट्रैवल्स ऑफ दीन मोहम्मद” में कई भारतीय शहरों के बारे में खूबसूरत वर्णन किया है। इसके अलावा उन्होंने अपनी इस किताब में अपने अनुभवों और सैन्य संघर्षों के बारे में भी बताया है।
यही नहीं इसमें भारतीय उपमहाद्दीप में ब्रिटेन की विजय का भी उल्लेख किया है। फिलहाल उनकी इस किताब में कई आर्कषक कहानियां हैं, जो कि शुरुआत से अंत तक अपने पाठकों को बांधे रखती हैं।
इसके अलावा शेख दीन मोहम्मद – Sake Dean Mahomed ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल रेजिमेंट में एक प्रभावशाली सैनिक भी रहे हैं, वे पहली बार आयरलैंड में 1784 में कप्तान की सेवा में आए थे, सैनिक के रूप में उन्होंने कई सालों तक काम भी किया।
दरअसल, उनके पिता ईस्ट इंडिया कंपनी में काम किया करते थे और जब शेख दीन मोहम्मद महज 10 साल के थे, तो उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उन्हें कैप्टन गॉडफ्रे इवान बेकर के विंग में शामिल कर लिया गया। शेख दीन मोहम्मद को एक ट्रेनी सर्जन के रूप में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती किया गया था।
इसके साथ ही वे ऐसे पहले भारतीय हैं, जिन्होंने इंग्लैंड में अपना रेस्तरां खोलकर, वहां के लोगों को भारतीय स्वाद चखाया था। हालांकि, उन्होंने यह रेस्तरां महज 2 साल में ही बंद कर दिया था, आपको बता दें कि उन्होंने इसका नाम हिंदुस्तान कॉफी हाउज रखा था।
इसके बाद वे 1782 में इंग्लैंड के ब्राइटन शहर में ही बस गए और यहां उन्होंने अपने नाम से एक बाथ स्पा खोला। जहां वो लोगों को हर्बल स्टीम बाथ देते थे। इसके साथ ही वहां चंपी यानि सिर की मालिश भी की जाती थी। इस चंपी को शैंपू कहा जाने लगा।
इसके बाद मोहम्मद की चंपी पूरे ब्रिटेन और यूरोप में फेमस हो गई। उनकी चंपी के बारे में सुनकर साल 1822 में चौथे किंग जॉर्ज ने उन्हें अपने निजी चंपी सर्जन के तौर पर नियुक्त कर लिया। इसके बाद उनके कारोबार ने खूब तरक्की की।
मोहम्मद की मृत्यु 1851 में 32 ग्रैंड परेड, ब्राइटन में हुई। उन्हें सेंट निकोलस चर्च, ब्राइटन के ही एक कब्रिस्तान में दफनाया गया। आज भी इंग्लैण्ड के ब्राइटन संग्रहालय में शेक मोहम्मद की एक विशाल तस्वीर रखी है। वहीं दो देशों की संस्कृति को जोड़ने के लिए उन्हें आज भी लोग याद करते हैं।
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