शिर्डी के साईं बाबा का इतिहास

Sai Baba History in Hindi

शिर्डी के साईं बाबा से आज भारी संख्या में लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। साईं बाबा के अद्भुत चमत्कारों एवं रहस्यों की चर्चा हमेशा ही उनके भक्तों द्धारा की जाती रही है।

साईं बाबा को ईश्वर का अवतार माना जाता हैं, जिन्हें हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग समान भावना से पूजते हैं। साईं बाबा एक भारतीय धार्मिक गुरु थे, जिन्हें लोग वैश्विक स्तर पर पूजते हैं, उनके अनुयायी उन्हें फकीर, संत, योगी और सतगुरु मानते थे।

साईं बाबा के जन्म और उनके धर्म को लेकर कई विरोधाभास प्रचलित हैं, कोई उन्हें हिन्दू मानता है, तो कोई मुस्लिम। फिलहाल वे सभी धर्मों का आदर करने वाले एक चमत्कारी व्यक्ति थे जो कि अपने पूरे जीवन भर ”सबका मालिक एक” ही का जप करते रहे।

वे सभी धर्मों के लोगों से हमेशा प्रेमपूर्वक मिलजुल कर रहने का आह्वान करते रहे साथ ही हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मो का पाठ पढाते रहे। वे मुस्लिम टोपी पहनते थे, और उन्होंने अपनी जिंदगी के ज्यादातर समय महाराष्ट्र में स्थित शिरडी की एक निर्जन मस्जिद में ही रहे।

वहीं बाद में उनके रहने वाली मस्जिद को हिन्दू नाम द्धारकामाई का कर दिया गया था, जिसमें दोनों धर्मों के लोग साईं बाबा के दर पर मत्था टेकने आते हैं और उनकी पूजा-आराधना करते हैं। आइए जानते हैं साईं बाबा से जुड़े इतिहास के बारे में-

शिर्डी साईं बाबा का इतिहास / Sai Baba History in Hindi
Sai Baba

साईं बाबा का जन्म आज भी बना हुआ है रहस्य – Sai Baba Information

साईं बाबा के जन्म, जन्मस्थान एवं वे किस धर्म से इसके बारे में इतिहासकारों और विद्दानों के कई अलग-अलग मत हैं। कुछ विद्दानों के मुताबिक उनका जन्म महाराष्ट्र के पाथरी गांव में 28 सितंबर, 1835 को हुआ था।

उनके जन्म से संबंधित कोई पुख्ता प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं। हालांकि, कई दस्तावेजों के अनुसार साईं बाबा को शिर्डी में पहली बार 1854 ईसवी में देखा गया था। उस दौरान उनकी आयु करीब 16 साल रही होगी।

साईं सत्चरित्र किताब के अनुसार, साईं बाबा का जन्म 27 सितंबर, 1830 को महाराष्ट्र राज्य के पाथरी में हुआ था, और वे 23 से 25 साल की आयु में शिर्डी में आए थे।

साईं सत्चरित्र किताब के अनुसार, साईं जब 16 साल के थे तभी ब्रिटिश भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के शिर्डी गाँव में आए थे। वे एक सन्यासी बनकर जिन्दगी जी रहे थे, और हमेशा नीम के पेड़ के निचे ध्यान लगाकर बैठे रहते या आसन में बैठकर भगवान की भक्ति में लीन हो जाते थे।

इसके बाद इस युवा बाबा के चमत्कारों और उपदेशों के लोग मुरीद होते चले गए और फिर धीरे-धीरे उनकी ख्याति आस-पास के क्षेत्र में भी फैलने लगी और उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती चली गई।

श्री साईं सत्चरित्र में गाँव वालो की उनके प्रति की प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया गया है।

साईं बाबा के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना था कि उनके पास ईश्वर की कुछ दैवीय शक्तियां प्राप्त थी, क्योकि ध्यान करते समय ठंडी और गर्मी का उनके शरीर पर कोई प्रभाव दिखाई नही दे रहा था। दिन में वे किसी से नही मिलते थे और रात में उन्हें किसी का डर नही था। जिनके सहारे वे लोगों की मद्द किया करते थे।

लोगो को दया, प्यार,संतोष, मदद, आंतरिक शांति, समाज कल्याण, और ईश्वर की भक्ति का पाठ पढ़ाने वाले साईं बाबा का शुरुआती जीवन के बारे में आज भी रहस्य बना हुआ है।

लेकिन, इतिहास से प्राप्त कई दस्तावेजों के मुताबिक वे एक ब्राह्मण परिवार में जन्में थे, जिन्हें बाद में एक सूफी फकीर द्धारा गोद लिया गया था। हालांकि, आगे चलकर उन्होंने खुद को एक हिन्दू गुरु का शिष्य बताया था।

कुछ लोग साईं बाबा को पागल समझते थे तो कुछ लोग उनपर पत्थर भी फेकते थे। इसके बाद साईबाबा ने गाँव छोड़ दिया था। ऐसा माना जाता है की सबसे पहले साईबाबा तीन साल तक शिर्डी रहे थे और फिर एक साल तक गायब हो गये थे और फिर हमेशा के लिए 1858 में शिर्डी वापिस आ गये थे।

साईं बाबा के धर्म को लेकर फैला भ्रम

साईं बाबा हिन्दू थे या फिर मुसलमान इसे लेकर आज भी लोगों में भ्रम फैला हुआ है, उन्हें कुछ लोग शिव का अंश कहते हैं, तो कुछ लोग उन्हें दत्तात्रेय का अंश मानते हैं।

उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय शिरडी के एक मस्जिद में मुस्लिम फकीरों के साथ बिताया, वे हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही धर्म का आदर-सम्मान करते थे, उन्होंने कभी धर्म के आधार पर किसी के भी साथ भेदभाव नहीं किया।

कुछ लोग साईं बाबा के हिन्दू होने के पीछे यह तर्क भी देते हैं कि बाबा धुनी रमाते थे, और धुनी सिर्फ शैव या नाथपंथी धर्म के लोग भी जलाते हैं। इसके साथ ही वे हमेशा अपने माथे पर चंदन का टीका लगाते थे, एवं उनके कानों में छेद थे जो कि सिर्फ नाथपंथी करवाते हैं।

साईं बाबा के हिन्दू होने का एक यह भी प्रमाण है कि वे हर हफ्ते विट्ठल (श्री कृष्ण) के नाम पर भजन-कीर्तन का आयोजन करते थे। यहीं नहीं साईं भगवान के कुछ समर्थक उनके हाथ में भिक्षा मांगना, हुक्का पीना, कमंडल, कानों में छेद होने के आधार पर उन्हें नाथ संप्रदाय से भी जोड़ते थे

जबकि बाबा की वेषभूषा के आधार पर उन्हें कुछ लोग मुस्लिम संप्रदाय से भी जोड़ते थे और उनका नाम साईं भी फारसी भाषा का ही शब्द है, जिसका अर्थ संत है, जो कि उस दौर में मुस्लिम संन्यासियों के लिए इस्तेमाल होता था।

शिर्डी का साईं बाबा मंदिर – Shirdi Sai Baba Temple

महाराष्ट्र के अहमदजिले में स्थित शिर्डी गांव में बने साईं मंदिर से आज लाखोँ – करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। इस मंदिर में दर्शन के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं।

यह आज भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जो कि लोगों को दया, प्रेम, करुणा एवं सदभाव का पाठ पढा़ने वाले साईं बाबा की समाधि के ऊपर बनाया गया है।

साईं बाबा की शिक्षाएं और उनके लोक कल्याणकारी कामों को आगे बढ़ाने के लिए उनके इस मंदिर का निर्माण साल 1922 में किया गया है। ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा ने अपने जीवन का ज्यातादर समय शिर्डी में ही व्यतीत किया है और लोगों को आपस में मिलजुल कर रहने, भक्ति करने आदि का पाठ पढ़ाया।

साईं को लोग आध्यात्मिक गुरु, संत, ईश्वरीय अवतार मानते हैं। शिर्डी के साईं मंदिर सुबह 4 बजे खुल जाता है, और रात के सवा 11 बजे इस मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।

वहीं इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए लोग अपनी श्रद्धा के मुताबिक यहां चढ़ावा भी चढाते हैं, यह मंदिर अपने रिकॉर्ड तोड़ चड़ावे के लिए भी हमेशा खबरों में रहते हैं।

वहीं इस मंदिर से जुड़ी यह मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से साईं भगवान के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी होती हैं।

सतगुरु साईंबाबा की शिक्षाएं – Teaching Of Sai Baba

  • ईश्वर के अवतार साईंबाबा ने जीवन भर लोगों को दान, अध्यात्मिक ज्ञान, करुणा, गुरु की भक्ति, मद्द, आत्म संतुष्टि, आंतरिक शांति, प्रेम का पाठ पढ़ाया एवं खुद के एहसास के महत्व का प्रचार किया। इसके साथ ही उन्होनें आत्मसमर्पण करने के महत्व पर भी जोर दिया।
  • साईं बाबा ने जातिगत भेदभाव की जमकर निंदा की है। उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों को आपस में मिलजुल कर एकता के साथ रहने की शिक्षा दी। वे हमेशा कहा करते थे कि”सबका मालिक एक है”।
  • इसके साथ ही साईं बाबा ने लोगों में मानवता के प्रति सम्मान का भाव पैदा करने की शिक्षा दी और मानवता की सेवा करना सिखाया। यही नहीं साईं बाबा ने लोगों को माता-पिता, गुरुओं, बुर्जगों एवं अपने से बड़े लोगों का सम्मान करने की भी सीख दी।

साईं बाबा के अनमोल वचन/उपदेश – Sai Baba Quotes In Hindi

साईं बाबा के कुछ अनमोल वचन निम्मलिखित हैं –

  • चमत्कारी पुरुष और भगवान का स्वरुप माने जाने वाले साईं बाबा का कहना था कि मै केवल शरीर नहीं हूं, मै अजर-अमर एक अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा। यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है।
  • साईं भगवान का मानना था कि- जितने भी कार्य होते हैं वे सभी विचारों के ही परिणाम होते हैं, इसलिए व्यक्ति के विचार मायने रखते हैं।
  • साईं भगवान हमेशा यही सीख देते थे कि, मनुष्य को अपने वर्तमान में जीना चाहिए, क्योंकि हर क्षण के विचार और कर्म मायने रखते हैं साथ ही भविष्य के मार्ग की रुपरेखा बनाते हैं।
  • साई्ं भगवान का मानना था कि, जीवन एक गीत है, इसे गाओ, यह एक खेल है, इसे खेलो। यह एक चुनौती है, इसका डटकर सामना करो। यह एक सपना है, इसे अनुभव करो। यह एक यज्ञ है, इसे पेश करो एवं यह प्यार है, इसका आनंद लो।

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73 thoughts on “शिर्डी के साईं बाबा का इतिहास”

  1. sai baba ka nam jab bhi leta hu mera sab katnaiya dur ho jata h
    sai ka naam lene se sb dukh dur ho jata h jo dukh dur nhi hota h sai us dukh ko kam kar deta h
    jai sai baba
    me jab nam lo sai tera hi nam lo

  2. Monika gangwar

    om sai ram…sabka maalik ek hai…sai ki kripa se mera kaam ho raha …sai baba hmesha esi tarh hm sab par apni kripa bnaye rakhna..om sai ram

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