केरल का प्रसिद्ध मंदिर सबरीमाला श्री अय्यप्पा मंदिर

Sabarimala Temple

सबरीमाला मंदिर जो कि भारत के केरल राज्य के पथानामपिट्टा जिले में सबरी हिल्स में बना हुआ है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर से कई लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी है। यही नहीं ये मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थस्थान के लिए आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Sabarimala temple

सबरीमाला श्री अय्यप्पा मंदिर – Sabarimala Temple

Sabarimala Temple – सबरीमाला मंदिर अन्य मंदिरों से थोड़ा अलग है। यह साल भर नहीं खुला रहता है। इसके साथ ही इस मंदिर में कई तरह के नियमों का भी पालन किया जाता है। इसके साथ ही इस मंदिर में साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जाता है।

आपको बता दें कि सबरीमाला मंदिर में मंडला पूजा का काफी महत्व है। ये एक तरह का उत्सव होता है जिसमें श्रद्धालु अयप्पा भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं और अपनी जिंदगी की खुशहाली की कामना करते हैं।

सबरीमाला मंदिर का इतिहास – Sabarimala Temple History

धार्मिक आस्था का प्रतीक सबरीमाला मंदिर के पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। अलग-अलग इतिहास कारों के इस मंदिर को लेकर अलग-अलग मत हैं।

इतिहासकारों की माने तो पंडालम के राजा राजशेखर ने अय्यप्पा को पुत्र के रूप में गोद लिया। लेकिन भगवान अय्यप्पा को ये सब अच्छा नहीं लगा और वो महल छोड़कर चले गए। और केरल की सबरी हिल्स में बस गए जबसे इस मंदिर का नाम सबरीमाला मंदिर पड़ गया।

एक पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर को एक योद्धा ऋषि परशुराम ने बनवाया था जब वह समुद्र से केरल की तरफ़ आ रहे थे। उन्होंने केरल की रक्षा करने के लिए और पंच्शास्था के अनुसार इस मंदिर को बनाया था।

इस मंदिर में अय्यप्पा को एक ‘ब्रह्मचारी’ के रूप में पूजा की जाती है क्यों की वह यहा के जंगल में एकांतवास में केवल ध्यान धारणा करना चाहते थे। ऐसा भी कहा जाता है जो भी भक्त सच्चे मन से इनकी पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान अयप्पा को शिव और मोहनी का पुत्र भी माना जाता है फिलहाल भगवान अयप्पा के जन्म के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं।

सबरीमाला मंदिर से कई करोड़ भक्तों की आस्था जुड़ी है। इस मंदिर में पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं को हर साल मंदिर के पट खुलने का भी इंतजार रहता है।

इस मंदिर को सुचारू रूप से चलाने का काम त्रावनकोर देवसोम बोर्ड करता है। इस मंदिर के महत्व और तत्वमसि को बनाये रखने की जिम्मेदारी भी इस बोर्ड पर सौपी गयी है। इस सबरीमाला मंदिर के बाजु में एक सूफी संत वावर की समाधी भी है।

वह सूफी संत इस मंदिर के भगवान अय्यप्पा का मित्र था और आज सभी उस सूफी संत को ‘वावारुनाडा’ नाम से बुलाते है।

सबरीमाला मंदिर की वास्तुकला – Sabarimala Temple Architecture

इस मंदिर को बनाते वक्त बहुत ही खास तरीके से बनाया गया था क्यों की आज भी यह मंदिर आज के आधुनिक मंदिरों की तरह ही आकर्षक दीखता है। इस मंदिर को बनाते समय सभी आधुनिक तकनीक का पूरा इस्तेमाल किया गया है। जिसकी वजह से यह मंदिर बिलकुल नए मंदिर की तरह ही दीखता है।

पहाड़ियों में बीचो-बीच स्थित है सबरीमाला मंदिर

करोड़ों श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा ये मंदिर 18 पहाड़ियाों के बीच बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं।

ऐसी मान्यता है कि परशुराम ने अयप्पन पूजा के लिए सबरीमाला में मूर्ति स्थापित की थी। आपको बता दें इस मंदिर में सभी जाति और वर्ग के लोग जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

साल में 2 बार खुलते हैं सबरीमाला मंदिर के पट – Time to visit Sabarimala Temple

सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए हर साल दो बार पट खोले जाते हैं। ये मंदिर 15 नवंबर और 14 जनवरी को खोला जाता है।

ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के संयोग के दिन, पंचमी तिथि और वृश्चिक लग्न के संयोग के समय ही भगवान श्री अयप्पन का जन्म हुआ था। इन दिनों मंडला पूजा के दौरान भक्‍तजन घी से भगवान की मूर्ती का अभिषेक कर पूजा-अर्चना भी करते हैं और अपने जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं।

मगर यहापर आने से पहले भक्तों को कुछ कठिन नियमो का पालन करना जरुरी है जैसी की 41 दिनों तक उपवास करना पड़ता है, शारीरिक भोग से दूर रहना पड़ता है, केवल शाकाहारी भोजन का सेवन की करना पड़ता है, शराब पीना मना है, धुम्रपान को छोड़ना पड़ता है और बालो को काटना भी मना है।

सभी भक्त पुराणी परंपरा के अनुसार ही इस मंदिर में बिना कोई चप्पल पहने जंगल में से नंगे पैरों से ही मंदिर में आते है और मंदिर में आने से पहले रास्ते में आनेवाली पम्पा नदी में स्नान करके ‘स्वामी अय्यापो’ मंत्र का जप करके ही मंदिर में प्रवेश करते है।

इस तरह से यहापर ऐसा लगता है की कोई बड़ा त्यौहार मनाया जा रहा हो। पम्पा नदी में स्नान करने के बाद सभी तीर्थयात्री ट्रेकिंग की सहायता से सबरीमाला मंदिर तक पहुचते है।

सभी भक्त अपने विश्वास को बनाये रखने के लिए और परम्परा के अनुसार ही इस मंदिर में केवल काले कपडे या फिर नीले कपडे पहनकर ही भगवान के दर्शन करते है।

इस मंदिर के भगवान अय्यपा ने ब्रह्मचारी के रूप में अवतार लिया था। इसीलिए इस मंदिर में आने के लिए किसी भी भक्त को कड़े नियमो का पालन करना पड़ता है। सबसे पहली बात यह है की किसी भी भक्त को इकतालीस दिनों का उपवास करना पड़ता है।

यह मंदिर पुरे साल भर खुला नहीं रखा जाता। मगर कुछ खास त्यौहार के अवसर पर ही इस मंदिर को खुला रखा जाता है। इस मंदिर में आने वाला हर भक्त अपने पैरों पर चलकर ही मंदिर में आता है और रास्ते में जो पम्पा नदी आती है उसमे स्नान करने के बाद ही भक्त भगवान अय्यप्पा के दर्शन करते है।

सबरीमाला मंदिर जहां महिलाओं का प्रवेश था वर्जित (महिलाओं का प्रवेश था वर्जित लेकिन काफी विवादों के बाद अब महिलाएं कर सकती हैं मंदिर में प्रवेश)

आपको बता दें कि सबरीमाला मंदिर ऐसा मंदिर है जहां हर साल करोड़ों की संख्या में भक्तों का तांता लगता है।

लेकिन ये वाकई हैरानी की बात थी कि ये भीड़ सिर्फ पुरुषों की होती। वो इसलिए क्योंकि अभी तक धार्मिक आस्था से जुड़े सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था।

जिसके पीछे ये तर्क दिया जाता था कि भगवान श्री अयप्‍पा ब्रह्माचारी थे। इसलिये यहां 10 से 50 साल की लड़कियों और महिलाओं को मंदिर में अंदर घुसने की अनुमति नहीं थी अभी तक मंदिर में या तो छोटी बच्चियां आ सकती हैं या फिर बूढ़ी औरते जो कि मासिक धर्म से मुक्त हो चुकी हों।

यानि कि मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाएं कर सकेंगी इस मंदिर में प्रवेश – Sabarimala Temple Verdict

28 सिंतबर को महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस पर कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सभी उम्र की महिलाएं इस मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में यह भी कहा था कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाना लैंगिक भेदभाव है।

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी माना कि केरला हिंदू प्लेसेज ऑफ पब्लिक वर्कशिप रुल्स 1965 के मुताबिक हिन्दू महिलाओं के धर्म के पालन के अधिकार को सीमित करता है।

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