RSS
RSS – आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ – Rashtriya Swayamsevak Sangh को आज के समय में हिंदू वर्चस्व वाली पार्टी माना जाता है। आरएसएस – RSS के अनुसार उनके संघ का उद्देश्य भारत को हिंदू राष्ट्र के रुप में देखना और अखण्ड भारत का सपना पूर्ण करना है।
आरएसएस की स्थापना आजादी से पहले ही साल 1925 में हो गई थी। आरएसएस को लेकर सभी के मन में अलग – अलग तरह की धारणाएं है हालांकि किसी भी धारणा को गलत या सही ठहराना हमारा मत नहीं है। लेकिन देश से जुड़े संघो और सगंठनों के बारे में हर किसी को पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है तभी आप किसी भी पार्टी या संघ को लेकर सही विचार रख पाएंगे। तो चलिए आपको बताते है आरएसएस – RSS से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में।
आरएसएस की हर एक बात जो आपको जाननी चाहियें – RSS History
आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर साल 1925 में आरएसएस के फाउंडर – RSS Founder डॉ हेडगेवार द्वारा की गई थी। जिन्हें 19 दिसंबर साल 1926 में संघ का प्रमुख चुना गया था। आरएसएस की स्थापना करने का उद्देश भारत को हिंदु राष्ट्र घोषित करने का स्वप्न है जिसे लेकर आरएसएस आज तक चल रहा है। हालांकि ये सब जानते है कि भारत में बहु जातियां और धर्म रहते है जिस वजह से ऐसा हो पाना असंभव है।
आरएसएस के भाजपा सें संबंध – RSS Relationship with BJP
आरएसएस को सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता है। क्योंकि आरएसएस के अधिकतर प्रचारक रहे नेता भारतीय जनता पार्टी में है साथ ही भाजपा को आरएसएस की सोच से प्रभावित माना जाता है हालांकि राजनैतिक स्तर पर भाजपा और आरएसएस – RSS के बीच कई बार मतभेद भी देखने को मिले है क्योंकि भाजपा एक राजनैतिक पार्टी होने के नाते सभी समुदाय के वोट चाहती है लेकिन आरएसएस केवल हिदुंत्व की सोच को सबसे पहले रखती है।
आरएसएस पर तीन बार प्रतिबंध लगा – RSS has been Banned Three Ttimes
आरएसएस पर अब तक तीन बार प्रतिबंध लग चुका है आरएसएस – RSS पर पहला प्रतिबंध महात्मा गाँधी की हत्या के बाद साल 1948 में लगा। जिसके चलते आरएसएस के 17 हजार स्वंयसेवकों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन जुर्म साबित नहीं हो पाने के चलते ये प्रतिबंध हटा दिया गया।
इसके बाद दूसरी बार स्वंय सेवक संघ पर प्रतिबंध साल 1975 में आपतकाल के दौरान लगा। लेकिन जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद ये प्रतिबंध हटा दिया गया। इसके बाद तीसरी बार आरएसएस पर प्रतिबंध साल 1992 में लगा जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढ़ाचे को गिराया गया। लेकिन इसके लिए भी आरएसएस पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाए और आरएसएस से प्रतिबंध हटा लिया गया।
आरएसएस से नाथूराम गोडसे के संबंध – Relationship of Nathuram Godse to the RSS
कई रिपोर्टस और विपक्षी दलों की दलीलों में महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के आरएसएस के साथ संबंध बताए जाते है हालांकि इस बात को कोई भी कोर्ट में साबित नहीं कर पाया था। इसलिए इस बात को पूर्णत नहीं कहा जा सकता था कि नाथूराम गोडसे का आरएसएस से संबंध थे या नहीं, लेकिन कई मीडिया रिपोर्टस में ये जरुर कहा गया कि वो पहले आरएसएस के प्रचारक थे बाद में उन्होनें संघ छोड़ दिया।
राजीनितक पार्टियों से आरएसएस के तालमेल – RSS Affiliation with Political Parties
देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरु हमेशा से संघ गतिविधियों के खिलाफ थे। लेकिन साल 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान आरएसएस की भूमिका ने नेहरु जी को प्रभावित किया था। जिस वजह से नेहरु जी ने आरएसएस को गणंतत्र दिवस की परेड में शामिल होने का न्योता भी दिया था। वहीं साल 1977 में आरएसएस के बुलावे पर उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने विवेकानंद रॉक मेमोरियल का उद्घाटन किया था।
आरएसएस की अंदरुनी बातें – Inner things of the RSS
आरएसएस हिंदु पंपराओँ पर चलने वाला संघ जिस वजह से उसमें नियम कानूनों और अनुशासन को बहुत महत्व दिया जाता है। आरएसएस में पहले हिंदी और मराठी में प्रार्थना कराई जाती थी। लेकिन अब संस्कृत में भी कराई जाती है। आरएसएस की किसी आर्मी रेजिमेंट की तरह अपनी ड्रेस, अपना ध्वज और अपना बैंड भी है। आरएसएस के 93 साल बाद आज संघ की पूरे भारत में 55 हजार से ज्यादा शाखाँए है जिसे देशभर से 50 लाख से ज्यादा स्वंयसेवक जुड़े है बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार ये दुनिया का सबसे बड़ा स्वंयसेवी संगठन है।
आप किसी संघ या संगठन की सोच से प्रभावित है या नहीं इसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप अपने देश में होने वाली गतिवधियों और इन संगठनों के बारे में कितने जागरुक है तभी आप किसी विषय पर पूर्ण जानकारी रख पाएँगे।
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