Rashtrapati Bhavan History
दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन भारत के प्रथम नागरिक यानि राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास है। यह देश के सबसे विशालतम और प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक है। यह भव्य भवन हिन्दुस्तान की आजादी की गवाही देता है।
भारत के राष्ट्रपति का राजकीय निवास ‘रायसीना पहाड़ी’ पर स्थित है, जो कि उत्कृष्ट एवं अद्भुत वास्तुशैली से निर्मित किया गया है। इस आलीशान राष्ट्रपति भवन को पहले वाइसराय हाउस के नाम से जाना जाता था।
राष्ट्रपति भवन, दिल्ली के पश्चिम छोर पर बना हुआ हैं। आपको बता दें कि यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रपति भवन एवं दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी निवास स्थान है।
इसकी विशालता के चर्चे पूरी दुनिया भर में फैल हुए है, इस उत्कृष्ट भवन को नई दिल्ली में ब्रिटिश शासनकाल में भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल के रहने के लिए निर्मित किया गया था, वहीं विशाल संरचना की निर्माण की जिम्मेदारी ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को दी गई थी।
करीब 330 एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में फैले प्रेसिडेंट हाउस का मुख्य आर्कषण मुगल गार्डन है, जिसमें कई अलग-अलग प्रजातियों के पौधे हैं,जो कि देखने में बेहद सुंदर है।
इस विशाल भवन में फूलों के सुंदर बाग-बगीचों के साथ, भव्य लाइब्रेरी, सभाग्रह, समारोह कक्ष, बॉडीगार्ड और कर्मचारियों के निवास, स्वागत कक्ष, टेनिस कोर्ट, बच्चों के लिए उपयुक्त स्थान, राजकीय कार्यालय, क्रिकेट मैदान आदि शामिल हैं।
आइए जानते हैं इस विशाल भवन के रोचक इतिहास, अद्भुत बनावट, इसकी विशेषताएं एवं इससे जुड़े कुछ आश्चर्यजनक तथ्यों के बारे में –
हिन्दुस्तान का सबसे विशालकाय एवं ऐतिहासिक आवास भवन- राष्ट्रपति भवन – Rashtrapati Bhavan History In Hindi
राष्ट्रपति भवन का निर्माण एवं इतिहास – Rashtrapati Bhavan Ka Itihas
दुनिया के सबसे विशालकाय सरकारी आवास, राष्ट्रपति भवन को ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया था।
साल 1911, में अंग्रेजों ने जब अपनी राजधानी कोलकाता से स्थानांतरित करके दिल्ली में स्थापित की थी, उस दौरान इस भवन को ब्रिटिश वायसराय के निवास स्थान के रुप में निर्मित करवाने का फैसला लिया गया था।
जिसके बाद इस भव्य इमारत की निर्माण की जिम्मेदारी ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को दे दी गई थी। फिर साल 1912 में इस भव्य भवन की निर्माण कार्य की शुरुआत हुई थी, जो कि करीब 17 साल के लंबे समय के बाद 1929 में बनकर पूरी तरह तैयार हुआ था।
इस विशाल भवन को बनाने में करीब 29 हजार कारीगर लगे थे। आपको बता दें कि इस भव्य राष्ट्रपति भवन के निर्माण के लिए रायसीना और मालचा गांवो को स्थानांतरित कर करीब 4 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था।
ब्रिटिश काल में बने वायसराय हाउस (प्रेसिडेंट हाउस वर्तमान) को बनाने में उस दौरान करीब 1 करोड़, 40 लाख रुपए की राशि खर्च हुई थी।
राष्ट्रपति भवन की उत्कृष्ट वास्तुकला एवं अद्भुत संरचना – Rashtrapati Bhavan Architecture or Rashtrapati Bhavan Inside
देश के प्रथम नागरिक का निवास स्थान ‘राष्ट्रपति भवन’, भारतीय, पश्चिमी और मुगल वास्तुशैली का अद्भुत मिश्रण है, जिसकी भव्यता और कारीगरी देख आंखे खुली की खुली रह जाती हैं।
करीब 330 एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में फैली यह चार मंजिला संरचना है। जिसके निर्माण में करीब 30 लाख क्यूविक फुट पत्थरों एवं 70 करोड़ ईटों का इस्तेमाल किया गया था।
करीब 2 लाख वर्ग फुट में बने इस विशालकाय राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे होने के साथ-साथ 37 सभागृह, 74 बरामदे, 37 फ़व्वारे, 18 सोपान (सीढ़ियाँ) मार्ग समेत खेल के मैदान, बैंक्वेट हॉल, दरबार हॉल, अशोक हॉल, नोर्थ ड्राइंग रुम, नवाचार, क्लॉक टॉवर, गैरेज एवं बाग बगीचे बने हुए हैं।
कई भारतीय और वैज्ञानिक तत्वों को ध्यान में रखकर इस राष्ट्रपति भवन का निर्माण किया गया है। राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छतरियां, जालियाँ और छज्जे भारतीय पुरातत्व पद्दति को प्रदर्शित करता है। खास बात यह है कि इस भव्य संरचना के निर्माण में किसी भी तरह की स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
वहीं इस भव्य भवन की इमारत की बाहरी दीवारों पर हाथी की शानदार प्रतिमाएं बनी हुई हैं, इसके साथ ही इसके एंट्री गेट पर तोप भी लगी हुई है।
बता दें कि, राष्ट्रपति भवन को आंतरिक तौर पर सर्किट 1, सर्किट 2 और सर्किट 3 में तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिनमें से एक बार में सिर्फ एक हिस्से में घूमा जा सकता है।
सर्किट 1 हिस्सा राष्ट्रपति भवन और उसके सेट्रल लॉन को कवर करता है। इस भव्य भवन के सर्किट 2 हिस्से में संग्रहालय परिसर है, जो कि RBMC के नाम से जाना जाता है। जबकि इस भव्य महल के सर्किट 3 हिस्से में प्रसिद्ध मुगल गार्डन और अन्य बाग-बगीचों को कवर करता है।
इसके साथ इस आलीशान राष्ट्रपति भवन के अंदर करीब 12 विशाल स्तंभ बने हुए हैं, जिसमें बेहद खूबसूरती से उकेरी गईं घंटियां, हिन्दू, बौद्ध और जैन मंदिरों में लगी घंटियों की शैली की अनुकृति हैं।
राष्ट्रपति भवन में बने इन खंभों का निर्माण कर्नाटक की मुदाबरी जैन मंदिर से प्रेरित होकर किया गया है। वहीं राष्ट्रपति भवन के शीर्ष पर बना गुंबद इस तरह से निर्मित किया गया है, कि यह दूर से ही नजर आाता है।
जानकारों की माने तो इसके गुंबद की संरचना सांची के स्तूप के पैटर्न के आधार पर की गई है।
देश के संविधान लागू होने के बाद 26 जनवरी, 1950 को यह विशालकाय भवन देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी का सरकारी निवास बना था, तब से यह भारत के राष्ट्रपति का निवास स्थान है।
राष्ट्रपति भवन के अंदर बना मुगल गार्डन – Rashtrapati Bhavan Garden
हिन्दुस्तान के इस विशालकाय सरकारी निवास भवन के अंदर बना मुगल गार्डन,इस आलीशान भवन के प्रमुख आर्कषणों में से एक है। मुगल और ब्रिटिश वास्तुशैली से निर्मित यह खूबसूरत गार्डन को हर साल फरवरी के महीने में उद्यानोत्सव’ के दौरान जनरल पब्लिक के लिए खोला जाता है।
इस गार्डन में कई औषधीय पौधे समेत, अलग-अलग किस्म के गुलाब और ट्यूलिप के बेहद सुंदर एवं रंग-बिरंगे फूल मौजूद है।
इस गार्डन में 95 फीसदी हिन्दुस्तानी फूल होने के साथ-साथ जापान, जर्मनी आदि देशों के फूलों के रंग भी देखने को मिलता है। यह गार्डन राष्ट्रपति भवन में करीब 13 एकड़ जमीन में फैला हुआ है।
राष्ट्रपति भवन से जुड़े कुछ दिलचस्प एवं आश्चर्यजनक तथ्य – Facts About Rashtrapati Bhavan
- दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन, दुनिया का दूसरा सबसे विशालकाय निवास स्थान है, पहले नंबर पर इटली के रोम में स्थित क्यूरनल पैलेस है।
- हिन्दुस्तान के प्रथम नागरिक के निवास स्थान को रायसीना हिल पर निर्मित किया गया है। इस विशालकाय भवन का निर्माण रायसीना और मालचा गांवों को हटाकर किया गया था।
- हिन्दुस्तान का यह सबसे बड़ा सरकारी निवास स्थान, आजादी से पहले वायसराय हाउस के नाम पहचाना जाता था।
- दुनिया के इस सबसे बड़े सरकारी निवास को बनाने में करीब 17 साल का लंबा समय लगा था, जबकि इसका निर्माण करीब 29 हजार मजूदरों ने मिलकर किया था।
- इस भव्य राजकीय निवास में करीब साढ़े सात सौ कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 245 राष्ट्रपति के सचिवालय में कार्यरत हैं।
- राष्ट्रपति भवन के मुख्य आर्कषणों में से एक मुगल गार्डन को हर साल फरवरी के महीने में ‘उद्यानोत्सव’ नाम के त्योहार के दौरान जनरल पब्लिक के लिए खोला जाता है।
- दिल्ली में एक विशाल क्षेत्रफल में बने राष्ट्रपति भवन के अंदर बने बैंक्वेट हॉल इतना विशाल है कि यहां एक बार में करीब 104 मेहमान बैठ सकते हैं।
- इस विशालकाय राष्ट्रपति भवन में बने अशोका हॉल में मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह जैसे उत्सव आयोजित होते हैं।
- इस अद्भुत एवं आलीशान राष्ट्रपति भवन में विज्ञान और नवाचार गैलरी भी बनी हुई है, जिसमें क्लम्सी नाम का एक रोबोट कुत्ता है, जो कि बिल्कुल वास्तविक (असली) कुत्ते की तरह दिखता है।
- देश के इस विशालकाय निवास स्थान के अंदर गुप्तकाल के दौरान कला एवं संस्कृति के स्वर्ण युग से सबंधित गौतम बुद्ध की एक बेहद खूबसूरत मूर्ति राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल के पीछे रखी हुई है, जो कि यहां के प्रमुख आर्कषणों में से एक है।
- देश के राष्ट्पति के इस आलीशान निवास स्थान में बच्चों की सुख-सुविधाओं के साथ-साथ उनके हुनर का भी ध्यान रखा गया है। इस भवन में कि बच्चों के लिए 2 गैलरीज बनी हुई है, जिसमें एक गैलरी तो बच्चों द्धारा किए गए कार्य को प्रदर्शित किया जाता है, जबकि अन्य गैलरी में बच्चों की रुचि की वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाता है।
- सर एडविन लुटियन्स’ द्वारा डिजाइन किए गए भारत के इस भव्य भवन में एक मार्बल हॉल बना हुआ है, जिसमें वायसराय और ब्रिटिश राजपरिवार के कुछ शानदार मूर्तियां रखी गईं हैं।
- भारत के इस शाही भवन में उपहार संग्रहालय में किंग जॉर्ज पंचम की एक चांदी की खूबसूरत कुर्सी रखी गई है, इस कुर्सी का वजन करीब 640 किलो है। साल 1911 में वे दिल्ली दरबार में इस कुर्सी पर विराजित हुए थे।
भारत के इस विशालकाय राजकीय भवन में हर शनिवार को ‘चेंज ऑफ गार्ड’ समारोह आयोजित किया जाता है जो कि सुबह दस से साढ़े दस बजे तक चलता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इस शो को आम पब्लिक सिर्फ अपने फोटो आईडी दिखाकर देख सकते हैं।
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