Ranakpur Jain Temple History in Hindi
भारत के राजस्थान में स्थित रणकपुर जैन मंदिर अपनी भव्यता, विशालता और सुंदरता के लिए काफी मशहूर है। जैन धर्म के प्रमुख 5 धार्मिक स्थलों में से एक रणकपुर जैन मंदिर, जैन तीर्थकर आदिनाथ जी को समर्पित है।
रणकपुर जैन मंदिर उदयपुर के पाली जिले के सादड़ी में स्थित है। जोधपुर और उदयपुर के बीच में अरावली पहाड़ियों के पश्चिमी तरफ रणकपुर जैन मंदिर है, चारों तरफ जंगलों से घिरे इस प्राचीन जैन मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है।
भारत का सबसे विशाल और धार्मिक स्थल – रणकपुर जैन मंदिर – Ranakpur Jain Temple
प्राचीन और भव्य रणकपुर जैन मंदिर का इतिहास – Ranakpur Jain Temple History in Hindi
अपनी भव्यता और खूबसूरत नक्काशी के लिए मशहूर इस प्राचीन जैन मंदिर को बनाने की शुरुआत आज से करीब 600 साल पहले 1446 विक्रम संवत में हुई थी, इस मंदिर को बनाने में 50 साल से भी ज्यादा का समय लगा और इसके निर्माण में करीब 99 लाख रुपए की राशि का खर्च आया था।
हालांकि, जैन धर्म के इस भव्य मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी विक्रम संवत 1953 में एक ट्रस्ट को दे दी गई, जिसके बाद इस मंदिर का पुनरुद्दार कर इसे खूबसूरत और नया रुप दिया गया।
आपको बता दें कि रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Mandir) के निर्माण के बारे में यह कहा जाता है कि, इसका निर्माण आचार्य श्यामसुंदर जी,देपा, कुंभा राणा और धरनशाह नामक चार भक्तों ने करवाया था।
आचार्य श्यामसुंदर एक धार्मिक प्रवृत्ति के नेता थे, जबकि राणा कुंभा, मलगढ़ के राजा और धरनशाह के मंत्री थे, धार्मिक भावनाओं से प्रेरित होकर धरनशाह ने भगवान श्रषभदेव का मंदिर बनवाने का फैसला लिया था, ऐसा भी कहा जाता है कि एक बार रात के समय उन्हें सपने में एक बेहद सुंदर और पवित्र विमान ‘नलिनीगुल्मा विमान’ के दर्शन हुए थे, जिसके बाद धरनशाह ने इस मंदिर का निर्माण करवाने का फैसला लिया था।
वहीं रणकपुर जैन मंदिर के निर्माण के लिए बुलाए गए कई वास्तुकारों में सिर्फ मुंदारा के साधारण वास्तुकार दीपक की कारीगरी की योजना धरनशाह को पसंद आई थी।
मलगढ़ के राजा राणा कुंभा ने इसके बाद रणकपुर जैन मंदिर को बनवाने के लिए धरनशाह को जमीन दे दी, इसके साथ ही एक नगर बसाने के लिए भी कहा।
राणा कुंभा के नाम पर इस मंदिर को पहले रणपुर कहा गया और फिर बाद में यह मंदिर रणकपुर जैन मंदिर के नाम से जाना गया।
रणकपुर जैन मंदिर की संरचना और बनावट – Ranakpur Jain Temple Architecture
करीब 40,000 वर्ग फीट वाले क्षेत्रफल में रणकपुर जैन मंदिर (Ranakpur Jain Mandir) की विशाल इमारत बनी हुई है।
इस मंदिर में चार कलात्मक प्रवेश द्धार भी है, और इसके परिसर में कई अन्य मंदिर भी बने हुए हैं, मंदिर के मुख्य गृह में जैन तीर्थकर आदिनाथ की संगममर से बनी करीब 72 इंच ऊंची 4 भव्य और विशाल मूर्तियां शोभायमान हैं, जो कि चार अलग-अलग दिशाओं की तरफ स्थापित हैं, इसी वजह से यहां स्थित मुख्य मंदिर को ‘चौमुखा मंदिर’ या ‘चतुर्मुख मंदिर’ कहते हैं।
इस मंदिर के अलावा दो अन्य मंदिर भी हैं, जहां जैन तीर्थकर नेमिनाथ और भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं शोभायमान हैं। यहां एक वैष्णव मन्दिर सूर्यनारायण का भी स्थित है।
इसके अलावा इसके करीब 1 किलोमीटर दूरी पर अम्बा माता का मंदिर भी बना हुआ है।
आपको बता दें कि इस मंदिर में करीब 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, 4 बड़े पूजन स्थल और 4 बड़े प्रार्थना कक्ष बने हुए हैं।
इसके साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां करीब 1444 खंभों का निर्माण इस तरह किया गया है कि कहीं से भी देखने पर मुख्य धार्मिक और पवित्र स्थल के दर्शन करने में कोई दिक्कत नहीं होती है, वहीं अनोखे और अलग-अलग कलाकृतियों से निर्मित इन खंभों में अति सुंदर नक्काशी भी की गई है, जिसे देखते ही बनता है।
इस मंदिर की सुरक्षा को देखते हुए यहां तहखाना का निर्माण भी किया गया है। इस भव्य मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए और इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों भक्तों का यहां तांता लगा रहता है।
रणकपुर जैन मंदिर की मान्यता – Importance of Ranakpur Jain Temple
इस आर्कषक नक्काशी वाले भव्य रणकपुर जैन मंदिर – Ranakpur Jain Mandir की मान्यता है कि इस मंदिर में प्रवेश करने से मनुष्य, जीवन-मत्यु की करीब 84 योनियों से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं इस पवित्र और धार्मिक जैन स्थल में जैन धर्म के लोगों की अटूट आस्था और गहरी श्रद्धा है, इसलिए लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।
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