राणा सांगा (महाराणा संग्राम सिंह) एक शूरवीर योद्धा

Rana Sanga History in Hindi

इतिहास के शूरवीर, पराक्रमी और साहसी शासकों की बात होती है तो राजस्थान के महान शासक राणा सांगा का नाम जरूर लिया जाता है। उन्हें अपने त्याग, बलिदान और समर्पण के लिए जाना जाता है।

महाराणा संग्राम सिंह ने सच्ची निष्ठा और ईमानदारी के साथ 1509 से 1528 तक मेवाड़ में शासन किया और अपने राज्य की सुरक्षा के लिए विदेशी आक्रमणकारियों का जमकर मुकाबला किया।

वे मध्यकालीन भारत के अंतिम एवं हिन्दूओं के सबसे शक्तिशाली शासक थे, जो कि शरीर में 80 से अधिक घाव, एक पैर, एक हाथ और एक आंख पूरी तरह घायल हो जाने के बाद भी शत्रुओं का डटकर सामना करते रहे।

उन्होंने अपने शासनकाल में राजपूतों को एकजुट करने में अपनी महत्वपूर्ण निभाई, तो आइए जानते हैं भारत के महान एवं शूरवीर शासक महाराणा संग्राम जी के जीवन और इतिहास के बारे में-

राणा सांगा (महाराणा संग्राम सिंह) एक शूरवीर योद्धा – Rana Sanga History in Hindi

Rana Sanga History in Hindi
Rana Sanga History in Hindi

महाराणा सांगा का इतिहास और जन्म – Maharana Sangram Singh History in Hindi

राजस्थान के महान शासक महाराणा संग्राम सिंह जी का जन्म 12 अप्रैल, 1472 ईसवी में चित्तौड़ के एक किला में हुआ था, वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे, जिनका मन युद्ध कला सीखने में लगता था, उन्होंने अस्त्र-शस्त्र की विद्या अपने बड़े भाई से ली थी।

महाराणा सांगा का शासनकाल- (1509-1528) – Maharana Sanga History in Hindi

महाराणा संग्राम सिंह साल 1509 में महाराणा संग्राम सिंह मेवाड़ की राजगद्दी में उत्तराधिकारी के रुप में आसीन हुए, इस दौरान उन्होंने अपने राज्य की सुरक्षा के लिए शत्रुओं का  डटकर सामना किया।

वे एक महान प्रतापी और शूरवीर शासक थे, जिन्होंने अपने राज्य में आक्रमणकारियों के खिलाफ सभी राजपूतों को एकजुट किया और अपने राज्य की बहादुरी से रक्षा की, जिस समय वे मेवाड़ के शासक बने थे, उस दौरान उनका राज्य मालवा, दिल्ली, गुजरात के मुगल सुल्तानों से घिरा था।

उस दौरान मालवा में नसीरुद्दीन खिलजी, दिल्ली में सिकंदर लोदी और गुजरात में महमूद शाह बेगड़ा सुल्तान थे। जब राणा सांगा, में शासन कर रहे थे उस दौरान उनका राज्य काफी समृद्ध एवं संपन्न राज्य था।

उन्होंने एक आदर्श और महान राजा की तरह ही अपने राज्य की रक्षा और तरक्की की इस दौरान में मेवाड़ सबसे सुखी और समृद्ध राज्य बना हुआ था।

राणा सांगा में अपने राज्य को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए दिल्ली और मालवा के शासकों के साथ करीब 18 युद्ध लड़े। राणा सांगा ने न सिर्फ सिंकदर लोदी को अपनी अदम्य शक्ति का एहसास दिलवाया, बल्कि मालवा के राजा मुजफ्फर खान को भी पराजय किया और उनके दुर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित करने में सफल हुए।

इसके अलावा महाप्रतापी एवं बलशाली शासक राणा सांगा ने फरवरी 1527 ईसवी में खानवा के युद्ध से पहले बयाना के युद्ध में मुगल सम्राट बाबर की युद्ध में परास्त कर और बयाना का किला जीत लिया। इसके साथ ही इस दौरान उन्होंने राजपूतों की एकजुटता के लिए काफी प्रयास किया।

शक्तिशाली शासक राणा सांगा की मृत्यु – Rana Sanga Death

राणा सांगा का मुकाबला फरगना के सुल्तान बाबर से हुआ। मुगल वंश का शासक बाबर भी अपने शौर्य, साहस और पराक्रम के लिए जाना जाता था, दोनों महान शासकों की टक्कर काफी जबरदस्त थी, राजस्थान के फतेहपुर सीकरी में दोनों शासकों का भीषण युद्ध हुआ।

इस दौरान राणा सांगा बुरी तरह घायल हो गए थे। इस युद्ध में उन्होंने अपनी एक आंख, एक हाथ खो दी थी, और उनके शरीर में कई गंभीर घाव हो गए थे।

हालांकि, इन सबके बाबजूद भी उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया और बहादुरी के साथ युद्ध करते रहे। हालांकि इसके युद्ध में राणा सांगा को पराजित होना पड़ा। इसके बाद राणा सांगा के कुछ मंत्री ने उनके साथ विश्वासघात किया और उन्हें जहर दे दिया।

30 जनवरी, 1528 में इतिहास के इस सबसे महान और शक्तिशाली शासक राणा सांगा ने अपनी अंतिम सांस ली।

हिन्दुओं के सबसे महान शासक महाराणा सांगा के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि वह बाबर से मैदान में युद्ध हार जरूर गए थे, और उनका सिर शरीर से अलग होकर भी लड़ता रहा था, और बाद में वीरगति को प्राप्त हुआ।

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