विद्वान विक्रमादित्य का इतिहास / Raja Vikramaditya History In Hindi
विक्रमादित्य प्राचीन भारत के महान शासक थे. वे एक आदर्श राजा के नाम से जाने जाते थे, इतिहास में वे अपनी ताकत, हिम्मत और विद्वान नीतियों के लिये जाने जाते थे. विक्रमादित्य के महानता और उनके पराक्रम की 150 से भी ज्यादा कहानिया है, जग प्रसिद्ध बैताल पचीसी और सिंघासन बत्तीसी भी शामिल है. बहोत से इतिहासकारों ने विक्रमादित्य को उनकी राजधानी उज्जैन का महान शासक भी बताया.
महान शासक विक्रमादित्य / Raja Vikramaditya के नाम का अर्थ “वीरता का सूर्य” होता है. (जिसमे विक्रम मतलब “वीरता और आदित्य मतलब “सूर्य”). इसके साथ ही वे विक्रम, बिक्रमजीत और विक्रमरका के नाम से भी जाने जाते थे. कुछ महानुभावो ने विक्रमादित्य को मलेच्चा आक्रमंकारियो से भारत का परिमोचन कराने वाला भी बताया. इसके साथ ही इस महान शासक को शाकरी की उपाधि भी दी गयी थी.
प्रसिद्ध परंपरा के अनुसार, विक्रमादित्य /Raja Vikramaditya ने ही विक्रम संवत काल की शुरुवात 57 BCE में शकास को पराजित करने के बाद ही की थी. उनकी महान गथाओ और प्रसिद्धि और पराक्रम को देखते हुए ही उनके काल को “विक्रम संवत” का नाम दिया गया. जबकि कुछ विद्वानों का ऐसा मानना था की विक्रमादित्य एक पौराणिक चरित्र है, उनका ऐसा मानना है की विक्रमादित्य के सभी पराक्रम केवल एक कल्पना ही है. ”विक्रमादित्य” का शीर्षक भारत के बहोत से शासको ने अपनाया है और ये संभव हो सकता है की उन्होंने भारत के अलग-अलग क्षेत्रो में अपनी ख्याति फैलाई हो और उन्हें विक्रमादित्य का नाम दे दिया गया हो, इसमें विशेष रूप से चंद्रगुप्त द्वितीय थे.
विक्रमादित्य की गाथा बहोत से राजाओ से जुडी हुई ही जिसमे मुख्य रूप से जैन शामिल है. लेकिन कुछ दंतकथाओ के अनुसार उन्हें शालिवाहना से हार का सामना करना पड़ा था. विक्रमादित्य ईसा पूर्व पहली सदी के है. कथा सरितसागर के अनुसार वे उज्जैन के परमार वंश के राजा के पुत्र थे. हालाँकि इसका उद्देश बाद में 12 वी शताब्दियों में किया गया था.
विक्रमादित्य की प्रारंभिक ख्याति – Raja Vikramaditya In Hindi :
विक्रमादित्य / Raja Vikramaditya का गुप्त वंश (240-550 CE) के पहले काफी उल्लेख किया जाता है. ऐसा माना जाता है की गुप्त वंश आने के पहले विक्रमादित्य ने ही भारत पर राज किया था. इसके अलावा अन्य स्त्रोतों के अनुसार विक्रमादित्य को दिल्ली के तुअर राजवंश का पूर्वज माना जाता था.
महान विक्रमादित्य के पराक्रमो को प्राचीन काल में ब्रिहत्कथा कर गुनाध्या में बताया गया है. विक्रमादित्य के अवशेषों को ईसा पूर्व पहली सदी और तीसरी सदी के बीच देखा जा सकता है. उस काल में उपर्युक्त पिसाची भाषा आज हमें दिखाई नही देती. आज भी विक्रमादित्य के इतिहास को लेकर बहोत सी बाते की जाती है. उनके अस्तित्व को काल्पनिक माना जाता है. क्योकि उनके शासनकाल में उनके काम और अस्तित्व के कोई सबूत हमें नही दिखाई देते. विक्रमादित्य के अस्तित्व को गुप्त वंशज के बाद का समय माना जाता है.
विक्रमादित्य से सम्बंधित काफी कथा-श्रुंखलाये है, जिसमे बेताल बत्तीसी काफी विख्यात है. इसके हमें संस्कृत और क्षेत्रीय भाषाओ में कई रूपांतरण मिलते है. इन कहानियो के रूपांतरण हमें कथा-सरितसागर में मिलते है. इतिहासकारों के अनुसार विक्रमादित्य के पास “नवरत्न” कहलाने वाले नौ विद्वान थे.
विक्रम संवत में विक्रमादित्य के पराक्रमो के आस-पास के शासक भी चीर परिचित थे. वे राजा विक्रमादित्य से काफी प्रभावित हुए थे और कइयो ने तो उन्हें अपना आदर्श भी मान लिया था. विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास के स्वर्णिम युगों में याद किया जाता है…
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Raja veer vikramaditya k Cast k bare me batyee unki. Jaat kya thi plss Reply
koi mistak nhi hai
Unki smadi shodapur me hai mai unka bahut bada fan hu, ager unk baare me koi badiya avidence ho to muje cll kerne
Unki surname ka koi zikar nai he……..
Plz unki surname kya thi…..wo…..aur wo parmar o ke bhi purvj the esa ku6 nahi bataya gaya….he…plz …..
बहुत अच्छी व ठीक जानकारी है ये महान गुप्त वंश के महान सम्राट विक्र्मादित्य की