रहीम दास का दोहा नंबर 26 – Rahim Ke Dohe 26
जो लोग बुरे वक्त में घबराकर उल्टे-सीधे काम करते रहते हैं, रहीम दास जी का यह दोहा उन्हीं लोगों के लिए हैं। ऐसे लोगों को रहीम दास जी के इस दोहे से बड़ी सीख लेनी चाहिए।
दोहा:
“रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर। जब नाइके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर।”
अर्थ:
जब बुरे दिन आये तो चुप ही बैठना चाहिये, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती।
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बुरे वक्त में चुप रहना चाहिए क्योंकि जब इंसान का वक्त सही नहीं चलता है तो अच्छे काम भी उल्टे पड़ जाते हैं।
रहीम दास का दोहा नंबर 27 – Rahim Ke Dohe 27
जो लोग कटु वचन बोलते हैं और अपने वचनों से अन्य लोगों का मन दुखाते हैं। ऐसे लोगों के लिए रहीम दास जी ने नीचे लिखे दोहे में बड़ी सीख दी है।
दोहा:
“बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय। औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय।”
अर्थ:
अपने अंदर के अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों को और खुद को ख़ुशी मिले।
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें सबसे मीठे और मधुर बोली बोलनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों को खुशी मिले और उसके अंदर सकारात्मक भाव पैदा हो।
रहीम दास का दोहा नंबर 28 – Rahim Ke Dohe 28
जिन लोगों के आपस में मन खट्ठे हो जाते हैं लेकिन वह फिर से पहले जैसे करने की कोशिश में लगे रहते हैं और सोचते हैं कि जो हो गया उसे छोड़ो और फिर से अच्छे से मिलकर रहो उन लोगों के लिए रहीम दास जी ने अपने इस दोहे में बड़ी सीख दी है।
दोहा:
“मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय। फट जाये तो न मिले, कोटिन करो उपाय।”
अर्थ:
मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं लेकिन अगर एक बार वो फट जाएं तो कितने भी उपाय कर लो वो फिर से सहज और सामान्य रूप में नहीं आते।
क्या सीख मिलती है:
इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें आपस में अच्छे संबंध रखने चाहिए और एक-दूसरे का मन नहीं दुखाना चाहिए क्योंकि जब एक बार मन खट्ठे हो जाते है तो इंसान चाहे कितनी भी कोशिश क्यों नहीं कर ले फिर पहले जैसी बात नहीं आ पाती।
रहीम दास का दोहा नंबर 29 – Rahim Ke Dohe 29
जो लोग कठोर होते हैं और हर किसी से कठोर बर्ताव करते हैं, ऐसे लोगों के लिए रहीम दास जी ने इस दोहे में बड़ी बात कही है।
दोहा:
“रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन। पानी गये न ऊबरे, मोटी मानुष चुन।”
अर्थ:
इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है, पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिये। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे से जोड़कर दर्शाया गया हैं।
रहीमदास का ये कहना है की जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी यानी विनम्रता रखनी चाहिये क्योंकि इसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें पानी की तरह अपने स्वभाव में विनम्रता रखनी चाहिए।
रहीम दास का दोहा नंबर 30 – Rahim Ke Dohe 30
जो लोग अच्छे-बुरे का फर्क नहीं कर पाते हैं उन लोगों के लिए रहीम दास जी ने इस दोहे में बड़ी सीख दी है।
दोहा:
“रहिमन विपदा हु भली, जो थोरे दिन होय। हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय।”
अर्थ:
यदि संकट कुछ समय का हो तो वह भी ठीक ही हैं, क्योंकि संकट में ही सबके बारे में जाना जा सकता हैं की दुनिया में कौन हमारा अपना हैं और कौन नहीं।
क्या सीख मिलती है:
रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय में ही साथ देने वाले व्यक्ति को हमें अपना सच्चा मित्र मानना चाहिए क्योंकि विपत्ति के समय में जो साथ देता है असली में वही सच्चा मित्र कहलाता है।
निष्कर्ष:
बहरहाल रहीम दास जी के दोहों का अगर सही मायने में कोई व्यक्ति अनुसरण करें तो निश्चय ही वह अपने जीवन में बदलाव ला सकता है और सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
अगर आप भी रहीम दास जी के दोहों से प्रभावित हैं और अपनी जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं तो यह दोहे आपके लिए बड़े कामगार सिद्ध हो सकते हैं। फिलहाल अगर आपको सही में रहीम दास जी के दोहे पसंद आए तो आप इन पर अपने विचार दें और कमेंट जरूर करें।
More Dohe:
आपने कबीर दास के दोहे भी रहीम के कहकर यहां पोस्ट किये हैं… और रहीम के कई दोहे अशुद्ध लिखे हैं.. कृपया कर इनके बारे में थोड़ी और जानकारी जुटाईये और पाठको को सही चीज उपलब्ध करवाईये… आपके अधकचरे ज्ञान से नवोदित पाठकवर्ग और छात्रों को भ्रमात्मक जानकारी मिलेगी।
अच्छा संकलन है परंतु दोहों का पाठ (Text) भ्रामक एवं अशुद्ध है। इसे थोड़े प्रयास से ठीक किया जा सकता है।