Prithviraj Chauhan History in Hindi
पृथ्वीराज चौहान एक ऐसे शूरवीर योद्धा थे, जिनके साहस और पराक्रम के किस्से भारतीय इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखे गए हैं। वे आर्कषक कद-काठी के सैन्य विद्याओं में निपुण योद्धा थे। जिन्होंने अपने अद्भुत साहस से दुश्मनों को धूल चटाई थी।
उनकी वीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जब मोहम्मद गोरी द्धारा उन्हें बंधक बना लिया गया था और उनसे उनकी आंखों की रोशनी छीन ली थी, तब भी उन्होंने मोहम्मद गौरी के दरबार में उसे मार गिराया था।
पृथ्वीराज चौहान के करीबी दोस्त एवं कवि चंदबरदाई ने अपनी काव्य रचना “पृथ्वीराज चौहान रासो” में यह भी उल्लेख किया है कि पृथ्वीराज चौहान अश्व व हाथी नियंत्रण विद्या में भी निपुण थे तो आइए जानते हैं इतिहास के इस महान योद्धा के जीवन के बारे में –
पृथ्वीराज चौहान महान भारतीय शासक – Prithviraj Chauhan History in Hindi
पृथ्वीराज चौहान के बारे मे संक्षेप मे परिचय – About Prithviraj Chauhan in Hindi
संपूर्ण नाम (Full Name) | पृथ्वीराज चौहान (पृथ्वीराज तृतीय) |
अन्य नाम (Other Name) | राय पिथौरा। |
जन्म (Date of Birth) | इसवी सदी ११४९। |
जन्मस्थान (Birth Place) | गुजरात राज्य (भारत) |
माता का नाम (Mother Name) | कर्पुरा देवी। |
पिता का नाम (Father Name) | राजा सोमेश्वर चौहान। |
वंश का नाम(Dynasty Name) | राजपूत चहामन वंश। |
पत्नी (Wife) | राणी संयोगिता। |
संतान का नाम (Children) | गोविंदराजा चतुर्थ। |
प्रमुख साम्राज्यो के नाम (Empire’s Name) | अजमेर, दिल्ली। |
मृत्यू (Prithviraj Chauhan Death) | इसवी सदी ११९२। |
पृथ्वीराज चौहान का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन – Prithviraj Chauhan Biography in Hindi
भारतीय इतिहास के सबसे महान और साहसी योद्धा पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश के क्षत्रिय शासक सोमेश्वर और कर्पूरा देवी के घर साल 1149 में जन्में थे। ऐसा कहा जाता है कि वे उनके माता-पिता की शादी के कई सालों बाद काफी पूजा-पाठ और मन्नत मांगने के बाद जन्में थे।
वहीं उनके जन्म के समय से ही उनकी मृत्यु को लेकर राजा सोमेश्वर के राज में साजिश रची जाने लगी थी, लेकिन उन्होंने अपनी दुश्मनों की हर साजिश को नाकाम साबित किया और वे अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ते चले गए।
राज घराने में पैदा होने की वजह से ही शुरु से ही पृथ्वीराज चौहान का पालन-पोषण काफी सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण अर्थात वैभवपूर्ण वातावरण में हुआ था।
उन्होंने सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ से शिक्षा प्राप्त की थी जबकि युद्ध और शस्त्र विद्या की शिक्षा उन्होंने अपने गुरु श्री राम जी से प्राप्त की थी। पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही बेहद साहसी, वीर, बहादुर, पराक्रमी और युद्ध कला में निपुण थे।
शुरुआत से ही पृथ्वीराज चौहान ने शब्द भेदी बाण चलाने की अद्भुत कला सीख ली थी, जिसमें वे बिना देखे आवाज के आधार पर बाण चला सकते थे। वहीं एक बार बिना हथियार के ही उन्होंने एक शेर को मार डाला था।
पृथ्वीराज चौहान को एक बहादुर योद्धा के रुप में जाना जाता था। बचपन में चंदबरदाई पृथ्वीराज चौहान के सबसे अच्छे दोस्त थे, जो उनके एक भाई की तरह उनका ख्याल रखते थे।
आपको बता दें कि चंदबरदाई तोमर वंश के शासक अनंगपाल की बेटी के पुत्र थे, जिन्होंने बाद में पृथ्वीराज चौहान के सहयोग से पिथोरागढ़ का निर्माण किया था, जो दिल्ली में वर्तमान में भी पुराने किले के नाम से मशहूर है।
एक शासक के रुप में पृथ्वी राज चौहान – Prithviraj Chauhan As a King
पृथ्वीराज चौहान जब महज 11 साल के थे, तभी उनके पिता सोमेश्वर की एक युद्ध में मौत हो गई, जिसके बाद वे अजमेर के उत्तराधिकारी बने और एक आदर्श शासक की तरह अपनी प्रजा की सभी उम्मीदों पर खरे उतरे। इसके अलावा पृथ्वी राज चौहान ने दिल्ली पर भी अपना सिक्का चलाया।
दरअसल उनकी मां कर्पूरा देवी अपने पिता अनंगपाल की इकलौती बेटी थी, इसलिए उनके पिता ने अपने दामाद और अजमेर के शासक सोमेश्वर चौहान से पृथ्वीराज चौहान की प्रतिभा को भांपते हुए अपने सम्राज्य का उत्तराधिकारी बनाने की इच्छा प्रकट की थी, जिसके तहत साल 1166 में उनके नाना अनंगपाल की मौत के बाद पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठे और कुशलतापूर्वक उन्होंने दिल्ली की सत्ता संभाली।
एक आदर्श शासक के तौर पर उन्होंने अपने सम्राज्य को मजबूती देने के कार्य किए और इसके विस्तार करने के लिए कई अभियान चलाए और वे एक वीर योद्धा एवं लोकप्रिय शासक के तौर पर पहचाने जाने लगे।
पृथ्वीराज चौहान और राजकुमारी संयोगिता की अमर प्रेम कहानी – Prithviraj Chauhan And Sanyogita Love Story
पृथ्वीराज चौहान और रानी संयोगिता की प्रेम कहानी की आज भी मिसाल दी जाती है, और उनकी प्रेम कहानी पर कई टीवी सीरियल और फिल्में भी बन चुकी है। क्योंकि दोनों ही एक-दूसरे से बिना मिले एक-दूसरे की तस्वीरों को देखकर मोहित हो जाते हैं और आपस में अटूट प्रेम करते हैं।
पृथ्वीराज चौहान के अद्भुत साहस और वीरता के किस्से हर तरफ थे, वहीं जब राजा जयचंद की बेटी संयोगिता ने उनकी बहादुरी और आर्कषण के किस्से सुने तो उनके हृदय में पृथ्वीराज चौहान के लिए प्रेम भावना उत्पन्न हो गईं और वे चोरी-छिपे गुप्त रुप से पृथ्वीराज चौहान को पत्र भेजने लगीं।
पृथ्वीराज चौहान भी राजकुमारी संयोगिता की खूबसूरती से बेहद प्रभावित थे और वे भी राजकुमारी की तस्वीर देखते ही उनसे प्यार कर बैठे थे। वहीं दूसरी तरफ जब रानी संयोगिता के बारे में उनके पिता और राजा जयचंद को पता चला तो उन्होंने अपनी बेटी संयोगिता के विवाह के लिए स्वयंवर करने का फैसला लिया।
वहीं इस दौरान राजा जयचंद ने समस्त भारत पर अपना शासन चलाने की इच्छा के चलते अश्वमेघयज्ञ का आयोजन भी किया था, इस यज्ञ के बाद ही रानी संयोगिता का स्वयंवर होना था। वहीं पृथ्वीराज चौहान नहीं चाहते थे कि क्रूर और घमंडी राजा जयचंद का भारत में प्रभुत्व हो, इसलिए उसने राजा जयचंद का विरोध भी किया था।
जिससे राजा जयचंद के मन में पृथ्वी के प्रति घृणा और भी ज्यादा बढ़ गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी बेटी के स्वयंवर के लिए देश के कई छोटे-बड़े महान योद्धाओं को न्योता दिया, लेकिन पृथ्वीराज चौहान को अपमानित करने के लिए उन्हें न्योता नहीं भेजा, और द्वारपालों के स्थान पर पृथ्वीराज चौहान की तस्वीरें लगा दीं।
वहीं पृथ्वीराज चौहान जयचंद की चालाकी को समझ गए और उन्होंने अपनी प्रेमिका को पाने के लिए एक गुप्त योजना बनाई। बता दें कि उस समय हिन्दू धर्म में लड़कियों को अपना मनपसंद वर चुनने का अधिकार था, वहीं अपने स्वयंवर में जिस भी व्यक्ति के गले में माला डालती थी, वो उसकी रानी बन जाती थी।
वहीं स्वयंवर के दिन जब कई बड़े-बडे़ राजा, अपने सौंदर्य के लिए पहचानी जाने वाली राजकुमारी संयोगिता से विवाह करने के लिए शामिल हुए, वहीं स्वयंवर में जब संयोगिता अपने हाथों मे वरमाला लेकर एक-एक कर सभी राजाओं के पास से गुजरी और उनकी नजर द्धार पर स्थित पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर पड़ी, तब उन्होंने द्धारपाल बने पृथ्वीराज चौहान की मूर्ति पर हार डाल दिया, जिसे देखकर स्वयंवर में आए सभी राजा खुद को अपमानित महसूस करने लगे।
वहीं पृथ्वीराज चौहान अपनी गुप्त योजना के मुताबिक द्धारपाल की प्रतिमा के पीछे खड़े थे और तभी उन्होंने राजा जयचंद के सामने रानी संयोगिता को उठाया और सभी राजाओं को युद्ध के लिए ललकार कर वे अपनी राजधानी दिल्ली में चले गए।
इसके बाद राजा जयचंद गुस्से से आग बबूला हो गए और इसका बदला लेने के लिए उनकी सेना ने पृथ्वीराज चौहान का पीछा किया, लेकिन उनकी सेना महान पराक्रमी पृथ्वीराज चौहान को पकड़ने में असमर्थ रहे, वहीं जयचंद के सैनिक पृथ्वीराज चौहान का बाल भी बांका नहीं कर सके।
हालांकि, इसके बाद राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान के बीच साल 1189 और 1190 में भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और दोनो सेनाओं को भारी नुकसान हुआ।
पृथ्वीराज चौहान की विशाल सेना – Battle Force of Prithviraj Chauhan
दूरदर्शी शासक पृथ्वीराज चौहान की सेना बहुत बड़ी थी, जिसमें करीब 3 लाख सैनिक और 300 हाथी थे। उनकी विशाल सेना में घोड़ों की सेना का भी खासा महत्व था।
पृथ्वीराज चौहान जी की सेना काफी मजबूत थी एवं अच्छी तरह से संगठित थी, पृथ्वीराज चौहान ने अपनी इस विशाल सेना की वजह से न सिर्फ कई युद्ध जीते बल्कि वे अपने राज्य का विस्तार भी करने में कामयाब रहे। वहीं पृथ्वीराज चौहान जैसे-जैसे युद्ध जीतते गए, वैसे-वैसे वे अपनी सेना को भी बढ़ाते गए।
इतिहास के इस महान योद्धा के पास नारायण युद्ध में सिर्फ 2 लाख घुड़सवार सैनिक, 500 हाथी और बहुत से सैनिक शामिल थे।
परमवीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी का पहला युद्ध – Prithviraj Chauhan And Muhammad Ghuri War.
चौहान वंश के सबसे बुद्धिमान और दूरदर्शी शासक पृथ्वीराज चौहान ने अपने शासनकाल में अपने राज्य को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया था, उन्होंने अपने राज्य में अपनी कुशल नीतियो के चलते अपने राज्य के विस्तार करने में कोई कोर – कसर नहीं छोड़ी थी।
पृथ्वीराज चौहान पंजाब में भी अपना सिक्का जमाना चाहते थे, लेकिन उस दौरान पंजाब में मुहम्मद शाबुद्धीन ग़ोरी का शासन था, वहीं पृथ्वीराज चौहान की पंजाब पर राज करने की इच्छा मुहम्मद ग़ोरी के साथ युद्ध करके ही पूरी हो सकती थी, जिसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने अपनी विशाल सेना के साथ मुहम्मद गौरी पर आक्रमण कर दिया।
इस हमले के बाद पृथ्वीराज चौहान ने सरहिंद, सरस्वती, हांसी पर अपना राज स्थापित कर लिया, लेकिन इसी बीच अनहिलवाड़ा में जब मुहम्मद ग़ोरी की सेना ने हमला किया तो, तब पृथ्वीराज चौहान का सैन्य बल कमजोर पड़ गया जिसके चलते पृथ्वराज चौहान को सरहिंद के किले से अपना अधिकार खोना पड़ा।
बाद में में पृथ्वीराज चौहानने अकेले ही मुहम्मद ग़ोरी का वीरता के साथ मकुाबला किया, जिसके चलते मुहम्मद ग़ोरी बुरी तरह घायल हो गया, जिसके बाद मुहम्मद ग़ोरी की इस युद्ध को छोड़कर भागना पड़ा, हांलाकि इस युद्ध का कोई निस्कर्ष नहीं निकला। वहीं यह युद्ध सरहिंद किले के पास तराइन नाम जगह पर हुआ, इसलिए इसे तराइन का युद्ध (Second Battle of Tarain) भी कहते हैं।
जब पृथ्वीराज चौहान, मुहम्मद गौरी के जाल में फंसकर हार गए युद्ध: Conspiracy of Muhammad Ghuri and Defeat of Prithviraj Chauhan.
वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद ग़ोरी को 16 बार पराजित किया था, लेकिन हर बार उन्होंने उसे जीवित ही छोड़ दिया था, वहीं पृथ्वीराज चौहान से इतनी बार हार जाने के बाद मुहम्मद ग़ोरी मन ही मन प्रतिशोध से भर गया था, वहीं जब संयोगिता के पिता और पृथ्वीराज चौहान के सख्त दुश्मन राजा जयचंद को इस बात की भनक लगी तो उनसे मुहम्मद ग़ोरी से अपना हाथ मिला लिया और दोनों ने पृथ्वीराज चौहान को जान से मारने के लिए षड़यंत्र रचा।
इसके बाद दोनों ने मिलकर साल 1192 में अपने मजबूत सैन्य बल के साथ पृथ्वीराज चौहान पर फिर से तराइन के मैदान पर आक्रमण कर दिया। वहीं जब इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान अकेले पड़ गए थे, तब उन्होंने अन्य राजपूत राजाओं से मद्द मांगी लेकिन राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर में पृथ्वीराज चौहान द्धारा किए गए अपमान को लेकर कोई भी राजपूत शासक उनकी मद्द के लिए आगे नहीं आया।
इस मौके का फायदा उठाते हुए राजा जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान का भरोसा जीतने के लिए अपना सैन्य बल पृथ्वीराज चौहान को सौंप दिया।
वहीं उदार स्वभाव के पृथ्वीराज चौहान राजा जयचंद की इस चाल को समझ नहीं पाए और इस तरह जयचंद्र की धोखेबाज सैनिकों ने पृथ्वीराज चौहान की सैनिकों का संहार कर दिया और इस युद्ध के बाद पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र चंदरबदाई को अपने जाल में फंसाकर उन्हें बंधक बना लिया और अपने साथ अफगानिस्तान ले गए।
वहीं इसके बाद मुहम्मद ग़ोरी ने दिल्ली, पंजाब, अजमेर और कन्नौज में शासन किया। हालांकि, पृथ्वीराज चौहान के बाद कोई भी राजपूत शासन भारत में अपना राज जमाकर अपनी बहादुरी साबित नहीं कर सके।
मुहम्मद गौरी ने जब जला दी पृथ्वीराज चौहान की आंखे – Prithviraj Chauhan Death
पृथ्वीराज चौहान से कई बार पराजित होने के बाद मुहम्मद ग़ोरी अंदर ही अंदर प्रतिशोध से भर गया था, इसलिए बंधक बनाने के बाद पृथ्वीराज चौहान को उसने कई शारीरिक यातनाएं दीं एवं पृथ्वीराज चौहान को मुस्लिम बनने के लिए भी प्रताड़ित किया गया।
वहीं काफी यातनाएं सहने के बाद भी वीर योद्धा की तरह पृथ्वीराज चौहान एक वीर पुरुष की तरह अडिग रहे और दुश्मन के दरबार में भी उनके माथे में किसी भी तरह का सिकन नहीं था इसके साथ ही वे अमानवीय कृत्यों को अंजाम देने वाले मुहम्मद ग़ोरी की आंखों में आंखे डालकर पूरे आत्मविश्वास के साथ देखते रहे।
जिसके बाद गौरी ने उन्हें अपनी आंखे नीचे करने का भी आदेश दिया लेकिन इस राजपूत योद्धा पर तनिक भी इसका प्रभाव नहीं पड़ा, जिसको देखकर मुहम्मद गौरी का क्रोध सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने पृथ्वीराज चौहान की आंखे गर्म सलाखों से जला देने का आदेश दिया। यहीं नहीं आंखे जला देने के बाद भी क्रूर शासक मुहम्मद गौरी ने उन पर कई जुल्म ढाता गया और अंत में पृथ्वीराज चौहान को जान से मारने का फैसला किया।
वहीं इससे पहले मुहम्मद ग़ोरी की पृथ्वीराज चौहान को मार देने की साजिश कामयाब होती, पृथ्वीराज चौहान के बेहद करीबी मित्र और राजकवि चंद्रवरदाई ने मुहम्मद ग़ोरी को पृथ्वीराज चौहान की शब्दभेदी वाण चलाने की खूबी बताई।
जिसके बाद ग़ोरी हंसने लगा कि एक अंधा वाण कैसे चला सकता है, लेकिन बाद में ग़ोरी अपने दरबार में तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन करने के लिए राजी हो गया।
वहीं इस प्रतियोगिता में शब्दभेदी बाण चलाने के उस्ताद पृथ्वीराज चौहान ने अपने मित्र चंदबरदाई के दोहों के माध्यम से अपनी यह अद्भुत कला प्रदर्शित की और भरी सभा में पृथ्वीराज चौहान ने चंदबरदाई के दोहे की सहायता से मुहम्मद ग़ोरी की दूरी और दिशा को समझते हुए गौरी के दरबार में ही उसकी हत्या कर दी।
वहीं इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र ने अपने दुश्मनों से हाथों मरने के बजाय एक-दूसरे पर वाण चलाकर अपनी जीवनलीला खत्म कर दी, वहीं जब राजकुमारी संयोगिता को इस बात की खबर लगी तो वे उन्होंने ही इसी वियोग में अपने प्राण दे दिए।
“चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”
पृथ्वीराज चौहान के बारे मे महत्वपूर्ण तथ्य – Important Facts About Prithviraj Chauhan.
- मात्र १२ साल की आयु मे पृथ्वीराज ने बिना किसी हथियार के जंगल मे शेर को मार गिराया था जिससे उनके साहस, शारीरिक बल और बुद्धी कौशल्यता का परिचय मिलता है।
- इतिहास मे पृथ्वीराज चौहान सबसे ज्यादा मशहूर हुए थे क्योंकी वो ना केवल शूर राजपूत योद्धा थे बल्की वह शब्द भेदी बाण कला के कुशल जाणकार थे, जो केवल आवाज के आधार पर अचूकता से प्रतिस्पर्धी पे हमला करने मे सक्षम थे। उनका वार इतना सटीक होता था के उनके प्रतिस्पर्धी को क्षती पहुचाए बगैर कभी खाली नही जाता था, इसिलीए बिना देखे उन्होने मोहम्मद गौरी को शब्द बाण कला द्वारा मौत के घाट उतारा था।
- राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता से पृथ्वीराज का प्रेम इतिहास मे काफी महशूर है, जिसमे उन्होने किसी भी परिणाम की परवाह ना करते हुए अपने प्यार को हासिल किया था। हालाकि इस घटना के बाद उन्होने काफी सारे राजपूत राजाओ से बैर मोल लिया था, पर इस महान राजा ने अंतिम साँस तक अपनी प्रजा और राज्य का रक्षण किया था।
- कुल १६ बार पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को जीवन दान दिया था, इससे पृथ्वीराज ने अपनी उदारता और महानता का परिचय दिया था।
- मोहम्मद गौरी द्वारा १७ वी बार छल से हुए आक्रमण मे पृथ्वीराज चौहान पराजित हुए थे, जिसके बाद उन्हे बंदी बनाकर अफगाणिस्तान ले जाया गया था। दृष्ट गौरी के शासन ने मृत्यू पश्चात पृथ्वीराज चौहान के शव को दाह संस्कार की अनुमती ना देते हुए उनकी कब्र बना दी थी।
- बहुत सालो बाद भारत सरकार के प्रयासो से पृथ्वीराज चौहान के अस्थियो को भारत लाने का प्रस्ताव अफगाणिस्तान सरकार के सामने रखा गया था, जिसके अनुसार आदरपूर्वक पृथ्वीराज चौहान के अस्थियो को भारत लाया गया था तथा हिंदू पद्धती अनुसार उसका दाह संस्कार पुरा किया गया।
- पंकज सिंह पुंडीर यानि के शेर सिंह राणा ने कंदाहार से पृथ्वीराज चौहान के कब्र की मिट्टी को साल २००५ मे अफगाणिस्तान से भारत मे लाया था।
- पृथ्वीराज चौहान ने एक साथ दो राजधानीयो द्वारा शासन किया था जिसमे अजमेर और दिल्ली का शासन शामिल था।
- पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई ने मिलकर पिथोरगढ का निर्माण किया था, जिसे दिल्ली मे पुराने किले के नामसे जाना जाता है।
- चंदबरदाई द्वारा पृथ्वीराज चौहान के जीवन के उपर कविता लिखी गई है, जिसका नाम ‘पृथ्वीराज रासो’ है, इसमे चंदबरदाई ने पृथ्वीराज चौहान के जीवन के अहम बातो को कविता के माध्यम से व्यक्त किया है।
पृथ्वीराज चौहान के बारे में अधिकतर बार पुछे जाने वाले सवाल – Quiz on Prithviraj Chauhan
जवाब: जयचंद पृथ्वीराज चौहान के ससुर(राणी संयोगिता के पिता) थे, इनका पृथ्वीराज चौहान से बैर था।
जवाब: मोहम्मद गौरी।
जवाब: चंदबरदाई।
जवाब: ४३ वे वर्ष मे।
जवाब: राजपूत चहामन वंश।
जवाब: पृथ्वीराज विजय, पृथ्वीराज रासो, पृथ्वीराज चौहान – द इम्पेरर ऑफ हार्टस, द लास्ट हिंदू एम्पेरर – पृथ्वीराज चौहान, पृथ्वीराज चौहान – अ लाईट ऑन द मिस्ट इन हिस्ट्री, पृथ्वीराज चौहान – एक पराजित विजेता, पृथ्वीराज चौहान – अ किंग इन द मेकिंग, सम्राट पृथ्वीराज चौहान इत्यादि।
जवाब: तराई का युध्द।
जवाब: अजमेर और दिल्ली।
जवाब: इसवी सदी ११४९ को भारत के राज्य गुजरात मे पृथ्वीराज चौहान का जन्म हुआ था।
जवाब: क्षत्रिय कुल मे जन्मे पृथ्वीराज चौहान पर आयु के बहुत कम वर्ष मे राज्य व्यवस्था की जिम्मेदारी आई थी, जिसको उन्होने ना केवल बखुबी संभाला बल्की राज्य का विस्तार भी किया। वह ऐसे शासक थे जो एक साथ दो राज्य जैसे के दिल्ली और अजमेर का शासन चलाते थे, पृथ्वीराज चौहान ने सैन्य बल मजबूत करने पर अधिक ध्यान दिया था। इसलिए हर बार युध्द के बाद वे सैन्य व्यवस्था बढाने पे अधिक जोर देते थे, इस पराक्रमी शासक के पास लगभग ३ लाख तक का सैन्य विस्तार था साथमे हाथी और घुडसवार भी अच्छी खासी तादाद मे थे। पृथ्वीराज चौहान का राजपूत राजा जयचंद के पुत्री संयोगिता से प्रेम संबंध था, जिसके लिए उन्होने भरी सभा से स्वयंवर से राणी संयोगिता को अपने साथ भगाकर लाया था बादमे उनका दिल्ली मे विवाह भी हुआ था। पृथ्वीराज चौहान को शब्द भेदी बाण कला का कुशल प्राप्त था जिस से केवल आवाज को सुनकर वो बिना देखे शत्रू को बाण से क्षतिग्रस्त करते थे, इत्यादी प्रमुख कारणो की वजह से पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास मे काफी प्रसिद्ध है।
rajputo ki saan ko phir se nya karte h.. Pure bharat par hi nahi sampurand visb par rajputo ko raj karte h
Dharti ka veer yodha,dihli ke maharaj puthavi raj chauhan
Mahan yodha ka Naman
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान।”
Muslmano namak Hindustan ka khate ho wfadari Pakistan ki karte Ho tumare Ghori or gajni to kahi bar khadeda Chauhan Sab ko sat sat Naman karta hu Bharat ke saput ko
Jay hind jay Bharat
tujhe pta hai ki musalman kya hai pakistan se sabse jyada nafrat bhi musalman krta hai tu baat krta hai kis cheez ki humaro ko kya kdera khud ko to ghar mila nhi itihas tameez se pad bawle zb pta chalega kisne kisko kadeha
THE GRATE BADSHAHA PRITHVIRAJ RAJ CHAUHAN