माता पिता पर कविता | Poem on Parents

माता पिता अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ होते हैं, उनके बारेमे कहने ले लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। उनके सन्मान में कुछ कवियों ने कुछ कविताएँ की हैं। आज हम उन्ही माता पिता पर कविताओं – Poem on Parents को आपके साथ शेअर कर रहे हैं।

Poem on Parents

माता पिता पर कविता – Poem on Parents

Poem on Parents 1

“माता-पिता”

माता-पिता,
ईश्वर की वो सौगात है,
जो हमारे जीवन की अमृतधार है!
आपसे ही हमारी एक पहचान है,
वरना हम तो इस दुनिया से अनजान थे!
आपके आदर्शों पर चलकर ही,
हर मुश्किल का डटकर सामना करना सीखा है हमने!
आपने ही तो इस जीवन की दहलीज़ पर हमें,
अंगुली थामे चलना और आगे बढ़ना सिखाया है,
वरना एक कदम भी न चल पाने से हम हैरान थे!
आपके प्यार और विश्वास ने काबिल बनाया है हमें,
जीवन के हर मोड पर आज़माया है हमें,
वरना हम तो जीवन की कसौटियों से परेशान थे!
आपने हमेशा हर कदम पर सही राह दिखायी है हमें,
अच्छे और बुरे की पहचान करायी है हमें,
आपने दिया है जीवन का ये नायाब तोहफा हमें,
जिसे भुला पाना भी हमारे लिए मुश्किल है!
आपकी परवरिश ने ही दी है नेक राह हमें,
वरना हम तो इस नेक राह के काबिल न थे!
आपसे ही हमारे जीवन की शुरुआत है,
आपसे ही हमारी खुशियाँ और आबाद है,
आप ही हमारे जीवन का आधार है,
आप से हैं हम,
और आप से ही ये सारा जहांन है!

Poem on Parents – 2

“माँ बाप”

रहे हमेशा हमारे साथ,
कभी ना छोड़ें हमारा हाथ,
हैं हुम उनके राजदुलारे,
हैं हम उनके सबसे प्यारे!!

हैं हम उनके राजकुमार,
हमसे करते हैं वो बहुत सारा प्यार,
हमेशा हमारा दयां वह रखते,
क्या हम उनसे प्यार नहीं कर सकते?

अच्छा बुरा सब दिलाया,
बुरे से हमें लड़ना सिखाया,
हैं एक फूल,
जिसकें हैं वो वनमाली!!

रखते रखते ख़याल हमारा,
उन्होनें हमारा जीवन हैं सवारा,
करते हैं रखवाली हमारी,
क्युकी हमसे हैं उनके दुनिया सारी!!

आँसू बहाकर हमें हसाया हैं,
नींदे उड़ा के हमें सुलाया हैं,
डांटकर हसाया अपने आप हैं,
दुनिया कहते उन्हें “माँ बाप” हैं!!

Poem on Parents 3

“माँ की ममता – पापा का प्यार”

घर मेरा एक बरगद है…..
मेरे पापा जिसकी जड़ है…!!
घनी छायो है मेरी माँ..
यही है मेरे आसमान…!!
पापा का है प्यार अनोखा..
जैसे शीतल हवा का झोका …!!
माँ की ममता सबसे प्यारी …
सबसे सुंदर सबसे नयारी….!!
हाथ पकड़ चलना सिखलाते
पापा हमको खूब घूमते ….!!
माँ मलहम बनकर लग जाती …
जब भी हमको चोट सताती..!!
माँ पापा बिन दुनिया सुनी
जैसे तपती आग की धुनी..!!
माँ ममता की धारा है …
पिता जीने का सहारा है…!!

Poem on Parents 4

“मेरे मम्मी पापा”

मेरे मम्मी पापा
मेरे मम्मी पापा अच्छे!!
मन के बिल्कुल सीधे सच्चे,
मम्मी खाना रोज बनाती!!
मुझ को घरके काम सिखाती,
पापा जी शाला पहुँचाते!!
भरी बस्ता वही उठाते,
छुट्टी होते ही आ जाते!!
और समय पर घर ले आते,
शाम ढले नित दीप जलाते!!
ढेरों भजन, आरती गाते,
जब बिस्तर पर सोने जाती!!
मम्मी सुंदर लोरी गाती,
छुट्टी होती जब सन्डे की!!
हम सब सदा घुमने जाते,
धमा चौकड़ी करते दिनभर!!
हँसते गाते मौज मनाते!!

Poem on Parents 5

“माँ-बाप को भूलना नहीं”

भूलो सभी को मगर, माँ-बाप को भूलना नहीं।
उपकार अगणित हैं उनके, इस बात को भूलना नहीं।।
पत्थर पूजे कई तुम्हारे, जन्म के खातिर अरे।
पत्थर बन माँ-बाप का, दिल कभी कुचलना नहीं।।
मुख का निवाला दे अरे, जिनने तुम्हें बड़ा किया।
अमृत पिलाया तुमको, जहर उनके लिए उगलना नहीं।।
कितने लड़ाये लाड़, सब अरमान भी पूरे किये।
पूरे करो अरमान उनके, बात यह भूलना नहीं।।
लाखों कमाते हो भले, माँ-बाप से ज्यादा नहीं।
सेवा बिना सब राख है, मद में कभी फूलना नहीं।।
संतान से सेवा चाहो, संतान बन सेवा करो।
जैसी करनी वैसी भरनी, न्याय यह भूलना नहीं।।
सोकर स्वयं गीले में, सुलाया तुम्हें सूखी जगह।
माँ की अमीमय आँखों को, भूलकर कभी भिगोना नहीं।।
जिसने बिछाये फूल थे, हर दम तुम्हारी राहों में।
उस राहबर की राह के, कंटक कभी बनना नहीं।।
धन तो मिल जायेगा, मगर माँ-बाप क्या मिल पायेंगे ?
पल-पल पावन उन चरण की, चाह कभी भूलना नहीं।।

Poem on Parents 6

“माता पिता का कभी साथ न छोड़ना”

माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना,
बहुत कुछ सहकरके तुम्हे बड़ा किये है!!
तुम्हे अपने पैरो पर खड़ा किये है,
तुम्हारे खुशियों के अलावा कुछ न चाह रखते है,
तुम्हारे मुस्कराहट के सिवा कुछ न मांग करते है!!
माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना,
खुद से पहले तुम्हे खिलाते थे!!
जब तुम रोते थे तो खुद बच्चे बन जाते थे,
खुद जागकर तुम्हे सुलाते थे,
घुटनों में बैठ के तुम्हे चलना सिखाते थे!!
माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना,
शिक्षक बन तुम्हे पढाया!!
दर्द सहते हुए भी तुम्हे हसाया,
तुम इस ओहदे पर पहुचे हो,
तुम्हे इस काबिल बनाया!!
माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना!!

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9 thoughts on “माता पिता पर कविता | Poem on Parents”

    1. Editorial Team

      धन्यवाद सिंह जी, हमें यह जानकर अच्छा लगा कि आपको हमारा यह पोस्ट पसंद आया। हम आगे भी इस तरह के पोस्ट अपनी वेबसाइट में अपलोड करते रहेंगे।

    1. Editorial Team

      धन्यवाद ज्योति जी, हम आगे भी अपनी वेबसाइट पर इस तरह की कविताओं अपलोड करते रहेंगे। कृपया आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहिए।

  1. भूलो हर बात मगर माँ बाप को भुलाना मत ..
    बहुत शानदार .. माँ बाप इस जमीन पर भगवान का रूप है यदि माँ बाप की सच्चे मन से सेवा कर ली तो फिर भगवान तो अपने अप आप ओअर प्रसन्न हो जाएँगे…

    1. Editorial Team

      शुक्रिया विक्रम जी, बिल्कुल सही कहा मां-बाप की सेवा करना सबसे बड़ा कर्म है जो लोग मां-बाप का सम्मान करते हैं और सच्चे दिल से उनकी सेवा करते हैं। वे लोग अपनी जिंदगी में काफी खुश रहते हैं।

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