Poem on Dussehra in Hindi
दशहरा त्यौहार की सभी को शुभकामनाये, दोस्तों हम सभी को पता हैं की हम दशहरा क्यु मनाते हैं। यह दिन बुराई पर सच्चाई पर जीत का दिन हैं। आज हम इसी दशहरे के मौके पर आपके लिए कुछ कविताएँ लाये हैं। तो आईये पढ़ते हैं दशहरा त्यौहार पर कविताएँ – Poem on Dussehra
दशहरा त्यौहार पर कविताएँ – Poem on Dussehra in Hindi
Dussehra par Kavita
आ गया पावन दशहरा
आ गया पावन दशहरा
फिर हमे सन्देश देने
आ गया पावन दशहरा।
तुम संकटों का हो घनेरा
हो न आकुल मन ये तेरा
संकटो के तम छटेंगे
होगा फिर सुन्दर सवेरा
धैर्य का तू ले सहारा।
द्वेष कितना भी हो गहरा
हो न कलुषित मन ये तेरा
फिर ये टूटे दिल मिलेंगे
होगा जब प्रेमी चितेरा
बन शमी का पात प्यारा।
सत्य हो कितना प्रताड़ित
पर न हो सकता पराजित
रूप उसका और निखरे
जानता है विश्व सारा
बन विजय “स्वर्णिम सितारा”।
∼ सत्यनारायण सिंह
Hindi Poem on Dussehra
आया दशहरा
विजय सत्य की हुई हमेशा,
हारी सदा बुराई है,
आया पर्व दशहरा कहता
करना सदा भलाई है.
रावण था दंभी अभिमानी,
उसने छल -बल दिखलाया,
बीस भुजा दस सीस कटाये,
अपना कुनबा मरवाया.
अपनी ही करनी से लंका
सोने की जलवाई है.
मन में कोई कहीं बुराई
रावण जैसी नहीं पले,
और अँधेरी वाली चादर
उजियारे को नहीं छले.
जिसने भी अभिमान किया है,
उसने मुँह की खायी है.
आज सभी की यही सोच है,
मेल -जोल खुशहाली हो,
अंधकार मिट जाए सारा,
घर घर में दिवाली हो.
मिली बड़ाई सदा उसी को
जिसने की अच्छाई है.
Dussehra Kavita in Hindi
सत्य की जीत
दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत।
गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत॥
सच्चाई की राह पर, लाख बिछे हों शूल।
बिना रुके चलते रहें, शूल बनेंगे फूल॥
क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, रावण का परिवार॥
राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य।
रावण वैर-विकार है, रावण है दुष्कृत्य॥
वर्तमान का दशानन, यानी भ्रष्टाचार।
दशहरा पर करें, हम इसका संहार॥
~ अजहर हाशमी
Dussehra Kavita
अभिमानी रावण
किस्सा एक पुराना बच्चों,
लंका में एक था रावण ,
राजा एक महाभिमानी
उस अभिमानी रावण ने था
सबको खूब सताया
रामचंद्र जब आये वन में
सीता को हर लाया
झील मिल झील मिल सोने की
लंका पैरो पे झुकती
सुंदर थी लंका, लंका में
सोना ही सोना था
तभी राम आये बंदर, भालू
की सेना लेकर
सादा निशाना सच्चाई का
तीर चलाया
लोभ पाप की लंका धू धू
जल कर राख हो गयी
दिए जलते तभी धरती पर
अगिनत लाखों लाख
इसलिए आज धूम हैं,
रावण आज मारा था
काटे शीश दस दस बरी
उतरा भार धरा का
लेकिन सोचो की
रावण फिर ना छल कर पाए
कोई अभिमानी ना फिर
काला राज चलाये
तभी होंगी सच्ची दीवाली
होंगा तभी दशहरा
जगमग जगमग होंगा जब
फिर सच्चाई का चेहरा !!
Short Poem on Dussehra in Hindi
रावण
रावण शिव का परम भक्त था
बहुत बड़ा था ज्ञानी,
दस सिर बीस भुजाओं वाला
था राजा अभिमानी।
नहीं किसी की वह सुनता था
करता था मनमानी,
औरों को पीड़ा देने की
आदत रही पुरानी।
एक बार धारण कर उसने
तन पर साधु – निशानी,
छल से सीता को हरने की
हरकत की बचकानी।
पर – नारी का हरण न अच्छा
कह कह हारी रानी,
भाई ने भी समझाया तो
लात पड़ी थी खानी।
रामचन्द्र से युद्ध हुआ तो
याद आ गई नानी,
शिव को याद किया विपदा में
अपनी व्यथा बखानी।
जान बूझ कर बुरे काम की
जिसने मन में ठानी,
शिव ने भी सोचा ऐसे पर
अब ना दया दिखानी।
नष्ट हुआ सारा ही कुनबा
लंका पड़ी गँवानी,
मरा राम के हाथों रावण
होती खत्म कहानी।
~ सुरेश चन्द्र “सर्वहारा”
Dussehra Rhyme
विजयादशमी
विजयादशमी विजय का, पावन है त्यौहार।
जीत हो गयी सत्य की, झूठ गया है हार।।
रावण के जब बढ़ गये, भू पर अत्याचार।
लंका में जाकर उसे, दिया राम ने मार।।
विजयादशमी ने दिया, हम सबको उपहार।
अच्छाई के सामने, गयी बुराई हार।।
मनसा-वाता-कर्मणा, सत्य रहे भरपूर।
नेक नीति हो साथ में, बाधाएँ हों दूर।।
पुतलों के ही दहन का, बढ़ने लगा रिवाज।
मन का रावण आज तक, जला न सका समाज।।
राम-कृष्ण के नाम धर, करते गन्दे काम।
नवयुग में तो राम का, हुआ नाम बदनाम।।
आज धर्म की ओट में, होता पापाचार।
साधू-सन्यासी करें, बढ़-चढ़ कर व्यापार।।
आज भोग में लिप्त हैं, योगी और महन्त।
भोली जनता को यहाँ, भरमाते हैं सन्त।।
जब पहुँचे मझधार में, टूट गयी पतवार।
कैसे देश-समाज का, होगा बेड़ा पार।।
~ डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक
Read More:
I hope these “Poem on Dussehra in Hindi” will like you. If you like these “Poem on Dussehra in Hindi” then please like our facebook page & share on Whatsappp.