बेटियों पर कुछ कविताएँ | Poem on Daughter

आज की सदी में भी बहुत से लोग बेटी को बोझ समझते हैं लेकिन बेटी मतलब एक प्यारी सी मुस्कान, बेटी मतलब पापा का गुमान,बेटी मतलब खिलखिलाता फुल, बेटी मतलब अपना भविष्य और क्या कहे बेटी मतलब क्या होती हैं। वो तो बस वाही जानता हैं जिसे बेटी होती हैं। आज हम अपनी देश की सारी बेटियों के लिए कुछ कवियों ने लिखी बेटियों पर कुछ कविताएँ – Poem on Daughter लायें हैं। ताकि हर किसी को बेटियों का महत्व पता चले।

Poem on Daughter

बेटियों पर कुछ कविताएँ – Poem on Daughter

Poem on Daughter 1

“बेटी”

बेटी की प्यार को कभी आजमाना नहीं,
वह फूल है, उसे कभी रुलाना नहीं,
पिता का तो गुमान होती है बेटी,
जिन्दा होने की पहचान होती है बेटी,

उसकी आंखें कभी नम न होने देना,
उसकी जिन्दगी से कभी खुशियां कम न होने देना ,
उन्गली पकड़ कर कल जिसको चलाया था तुमने,
फ़िर उसको ही डोली में बिठाया था तुमने,

बहुत छोटा सा सफ़र होता है बेटी के साथ,
बहुत कम वक्त के लिये वह होती हमारे पास…!!
असीम दुलार पाने की हकदार है बेटी,
समझो भगवान् का आशीर्वाद है बेटी!

Poem on Daughter 2

“बेटियां बेटियां बेटियां ..”

लडकें की तरह लड़की भी, मुट्ठी बांध के पैदा होती हैं।
लडकें की तरह लड़की भी, माँ की गोद में हसती रोती हैं।।

करते शैतानियाँ दोनों एक जैसी।
करते मनमानियां दोनों एक जैसी।।

दादा की छड़ी दादी का चश्मा तोड़ते हैं।
दुल्हन के जैसे माँ का आँचल ओढ़ते हैं।।

भूक लगे तो रोते हैं, लोरी सुन कर सोते हैं।
आती हैं दोनों की जवानी, बनती हैं दोनों की कहानी।।

दोनों कदम मिलकर चलते हैं।
दोनों दिपक बनकर जलते हैं।।

लड़के की तरह लड़की भी नाम रोशन करती हैं।
कुछ भी नहीं अंतर फिर क्यूँ जन्म से पहले मारी जाती हैं।।

बेटियां बेटियां बेटियां ..
बेटियां बेटियां बेटियां ..

Hindi Poem on Daughter 3

“बेटी का हर रुप सुहाना”

बेटी का हर रुप सुहाना, प्यार भरे हृदय का,
ना कोई ठिकाना, ना कोई ठिकाना।।
ममता का आँचल ओढे, हर रुप में पाया,
नया तराना, नया तराना।।

जीवन की हर कितनी भी कठिनाई को, हसते-हसते सह जाना,
सीखा है ना जाने कहाँ से उसने, अपमान के हर घूँट को,
मुस्कुराकर पीते जाना, मुस्कुराकर पीते जाना।।

क्यों न हो फिर तकलीफ भंयकर, सीखा नहीं कभी टूटकर हारना,
जमाने की जंजीरों में जकड़े हुये, सीखा है सिर्फ उसने,
आगे-आगे बढ़ते जाना, आगे-आगे बढ़ते जाना।।

बेटी का हर रुप सुहाना, प्यार भरे हृदय का,
ना कोई ठिकाना, ना कोई ठिकाना।।

~ वन्दना शर्मा

Hindi Poem on Daughter 4

“मैं बेटी वरदान हूँ”

माँ दुर्गा की शक्ति हूँ।
मैं भी पढ़ लिख सकती हूँ।
मात पिता की सेवा जानूँ।
अपने फ़र्ज़ को मैं पहचानूँ।
जब थी इस दुनिया मैं आई।
सारे शहर में बँटी मिठाई।
मुझको लाड प्यार से पाला।
स्कूल भेज सिखाई वर्ण माला।
मैं अपने घर की शान हूँ।
हाँ मैं बेटी वरदान हूँ।

~ अनुष्का सूरी

Poem on Daughter 5

“मेरी लाडो”

फूलों सी नाज़ुक, चाँद सी उजली मेरी गुड़िया।
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया।।

सरगम से लहक उठता मेरा आंगन।
चलने से उसके, जब बजती पायलिया।।

जल तरंग सी छिड़ जाती है।
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया।।

गद -गद दिल मेरा हो जाये।
बाबा -बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया।।

कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया।
बड़ी भली सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया।।

दफ्तर से जब लौटकर आऊं।
दौड़कर पानी लाती गुड़िया।।

कभी जो मैं, उसकी माँ से लड़ जाऊं।
खूब डांटती नन्ही सी गुड़िया।।

फिर दोनों में सुलह कराती।
प्यारी -प्यारी बातों से गुड़िया।।

मेरी तो वो कमजोरी है, मेरी सांसो की डोरी है।
प्यारी नन्ही सी मेरी गुड़िया।।

Poem on Daughter 6

“बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।”

बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।
निश्छल मन के परी का रूप होती हैं।
कड़कती धुप में शीतल हवाओ की तरह।
वो उदासी के हर दर्द का इलाज़ होती हैं।

घर की रौनक आंगन में चिड़िया की तरह।
अन्धकार में उजले की खिलखिलाहट होती है।
सुबह सुबह सूरज की किरण की तरह।
चंचल सुमन मधुर आभा होती हैं।

कठनायियोंको पार करती हैं असंभव की तरह।
हर प्रश्न का सटीक जवाब होती हैं।
इन्द्रधनुष के साथ रंगों की तरह।
कभी माँ, कभी बहन, कभी बेटी होती हैं।

पिता की उलझन साझा कर नासमज की तरह।
पिता की पगड़ी गर्व सम्मान होती हैं।
बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।
बेटी जो एक खूबसूरत एहसास होती हैं।

~ सीमा भट्टी

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