बारिश का मौसम हम सभी को बहुत पसंद हैं। बादल यानि बारिश आने का संदेशा देने वाला. जब आसमां में बादल छा जाते हैं तब बारिश होती ही हैं। बारिश का मौसम खुशियों का मौसम होता हैं। आज उसी खुशियों का संदेशा देने वाले बादल पर कुछ कवियों ने लिखी कुछ कवितायेँ – Poem on Clouds हम पढेंगे।
बादल पर कुछ कवितायेँ – Poem on Clouds
Poem on Clouds 1
“कितनी खुशियां लाते हैं बादल।”
जब गरज गरज के आते बादल,
तब कितनी खुशियां लाते बादल,
जब उमड़ घुमड़ के आते बादल,
तब कितनी खुशियां लाते बादल,
जब काले भूरे आते है बादल,
तब हमको कितना डराते बादल,
जब रिम झिम रिम झिम पानी बरसाते बादल,
तब हम सबके दिल को कितना हैं भाते बादल,
फसलो की जैसे जान हैं बादल,
अन्न के लिए जैसे वरदान है बादल,
लेकिन हद से आगे बढ़ जाये बादल,
तब न जाने कितनी प्रलय है लाये बादल,
जब गरज गरज के आते हैं बादल,
तब कितनी खुशियां लाते हैं बादल।
Poem on Clouds 2
“देखो काले बादल आये।”
देखो काले बादल आये ।
आसमां पर ये हैं जमकर छाये ।।
गरजकर, ये बिजली कड़काते ।
संग अपने ये अपने वर्षा भी लाते ।।
देखो काले बादल आये ।
धरती की गर्मी को ये दूर भगाए ।।
सारे मौसम को भी खुशहाल ।
खेतों में हरियाली फैलायें ।।
देखो काले बादल आये ।
बंजर धरती को भी उपजाऊ बनाते ।।
कहीं – कहीं पर ये बाढ़ भी लाते ।
परन्तु अकाल को दूर भगाते ।।
देखो काले बादल आये ।
प्रकृति को भी ये भाये ।।
इस धरती को भी नहलाये ।
देखो काले बादल आये ।।
Badal Poem 3
“बादल कैसे गरज रहे हैं।”
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही, बादल कैसे गरज रहे हैं।
बादल गरजा गर गर, मेंढक बोला टर टर।
पानी बरसा छम छम, छाता लेके निकले हम।
पांव फिसला गिर गए हम, नीचे छाता ऊपर हम।
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही, बादल कैसे गरज रहे हैं।
गर गर बादल आया, छम छम जल बरसाया।
खलिहान, सड़के, गलियां बागों में खिली हुई हैं कलियाँ।
बागों में मोर शोर मचाये, हम सबके मन को कितना भाये।
काले काले बादल आये, घनघोर घटा ये कैसी छाये।
बिजली कैसी चमक रही है, बादल कैसे गरज रहे हैं।
Badal Poem 4
“खुशियाँ लाए बादल”
आसमान पर छाए बादल
बारिश लेकर आए बादल
गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में
ढोल-नगाड़े बजाए बादल
बिजली चमके चम-चम, चम-चम
छम-छम नाच दिखाए बादल
चले हवाएँ सन-सन, सन-सन
मधुर गीत सुनाए बादल
बूँदें टपके टप-टप, टप-टप
झमाझम जल बरसाए बाद ल
झरने बोले कल-कल, कल-कल
इनमें बहते जाए बादल
चेहरे लगे हँसने-मुसकाने इतनी खुशियाँ लाए बादल
~ ओमप्रकाश चोरमा ‘किलोलीवाला’
Hindi Poem Badal 5
सूरज भी जब छुप जाता है आसमान में,
घने बादलों का डेरा सा लग जाता है।
बादलों की धमाचौकड़ी जब मचती है ,
तो आकाश खेल का मैदान बन जाता है।
काले, भूरे, सफेद, चमकीले बादल,
अठखेलियां सी करते दिखते हैं।
लगता है जैसे कोई छीटे शरारती बच्चे।,
मिलकर वहां उपर लूकन छुपी खेलते हैं।
मानसून में यहीं बदल गंभीर हो जाते हैं,
वर्ष करने के अपने काम में जुट जाते हैं
गर्मी की जलती -तपती धूप, लू से
यहीं बदल हमें राहत पहुंचाते हैं।
~ ओम प्रकाश बजाज
Poem on Clouds 6
“मैं बादल हूँ”
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मुझे बड़ा अभिमान है.
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ मेरे बड़े अहसान है।
मैं न बरसूं मैं न ग़रजू, तो पानी को तरस जाओ,
मैं न बरसूं मैं न ग़रजू, तो तुम अन कहा से लाओ।
नीले नीले आसमान को काले काले घेरों से ढक लेता हूँ,
सड़के, गलियें, चौपालों पर खूब धूम मचा देता हूँ।
यही मेरी शान है, यही मेरी आन है, मुझे बड़ा अभिमान है,
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मुझे बड़ा अभिमान है।
मैं जब बरसूं मैं जब ग्रजूँ, तभी तो हरयाली छाये,
मैं जब बरसूं मैं जब ग्रजूँ, तभी तो खेत लहरायें।
ऊंचे ऊंचे पर्वतो से जब भी मैं टकराता हूँ,
सबके मन को भाता हूँ।
झीलें नदियां तालाबो को सूखे से बचाता हूँ,
सब के मन को भाता हूँ।
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मुझे बड़ा अभिमान हैं।
मैं बादल हूँ, मैं बादल हूँ, मेरे बड़े अहसान हैं।
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