देश के पहले लोकपाल के रुप में नियुक्त किए गिए जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष ने उत्कृष्ट जज के रुप में अपनी पहचान बनाई है, और अब लोकपाल के रुप में पिनाकी घोष देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों की निगरानी करेंगे।
पीसी घोष भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज, कोलकाता हाईकोर्ट के जज और आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और बेहद तेज एवं शानदार निर्णय लेने लिए जाना जाता है।
आपको बता दें कि पीसी घोष अपने ज्यादातर फैसलों में हमेशा मानवाधिकारों की रक्षा पर बल देते थे। वहीं जस्टिस घोष ने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थीं, जब उन्होंने तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को उनके करीबी दोस्त शशिकला को आय से अधिक मामले में दोषी करार दिया था।
इसके अलावा बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी समेत तमाम बड़े नेताओं के खिलाफ उन्होंने तमाम संवेदनहीन मामलों में अपने फैसले सुनाए हैं।
जस्टिस पीसी घोष राष्ट्रीय मानवधिकार के आयोग (NHRC) के सदस्य भी रहे चुकें हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में सुप्रीम कोर्ट के जज और देश के प्रथम लोकपाल पीसी घोष के जीवन, शिक्षा और उनके द्वारा लिए गए अहम फैसलों के बारे में बताएंगे, तो आइए जानते हैं पीसी घोष के बारे में –
पिनाकी चन्द्र घोष की जीवनी – Pinaki Chandra Ghose
एक नजर में –
नाम (Name) | पिनाकी चन्द्र घोष |
जन्म तिथि (Birthday) | 28 मई 1952, कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
पिता का नाम (Father Name) | स्वर्गीय जस्टिस संभू चन्द्र घोष (कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस) |
पत्नी का नाम (Wife Name) | श्री मति देबजानी घोष |
बच्चों के नाम (Children Name) | डॉ संजुक्ता सहाय, सौमभो घोष |
प्रोफेशन (Profession) | भारत के पहले लोकपाल (First Lokpal of India), रिटायर्ट जज (Judge of the Supreme Court of India), |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
शिक्षा (Education) | बी.कॉम, LLB |
जन्म और परिवार –
देश के पहले लोकपाल और रिटायर्ड जज पिनाकी चन्द्र घोष, कोलकाता के एक वकील परिवार में 28 मई, 1952 में जन्में थे। आपको बता दें कि उनके पिता स्वर्गीय जस्टिस संभू चन्द्र घोष, कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस थे।
शिक्षा और करियर –
देश के पहले लोकपाल पिनाकी चन्द्र घोष ने कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से कॉमर्स स्ट्रीम में अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
इसके बाद अपने पिता की तरह ही कानून संबंधी मामलों में रुचि होने की वजह से उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से लॉ और अटॉर्नी – एट – लॉ की डिग्री प्राप्त की।
इसके बाद साल 1976 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ वेस्ट बंगाल में खुद को वकील के तौर पर पंजीकृत करवाया।
आपको बता दें कि जस्टिस पिनाकी घोष मानवाधिकारी के मामलों के अलावा कंपनी से जुड़े मामलों समेत मध्यस्थता और संविधान सिविल आदि से जुड़े मामलों में विशेषज्ञ रहे हैं।
कोलकाता हाईकोर्ट के जज और आंध्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रुप में भी किया काम – Former Supreme Court judge
पिनाकी चन्द्र घोष, जुलाई, साल 1997 में कोलकाता हाईकोर्ट के जज बने। इसके बाद साल 2012 में आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर कर दिया गया। और साल 2012 में ही दिसंबर में उन्हें आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रुप में पदोन्नत किया गया।
इसके बाद 2013 में मार्च में उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट में जज के रुप में नियुक्त किया गया और वे साल 2017 में वे अपने पद से रिटायर हो गए थे। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय मानवधिकार के आयोग (NHRC) के सदस्य के तौर पर भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
राष्ट्रपति कोविंद ने की थी देश के पहले लोकपाल के रुप में – Appointed as First Lokpal of India
19 मार्च साल 2019 में, भारत में लंबे इंतजार के बाद जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष को, देश के पहले लोकपाल के रुप में नियुक्त किया गया था। भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिनाकी चन्द्र घोष की नियुक्ति को मंजूरी दी थी।
आपको बता दें कि देश के भावी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, मशहूर कानूनविद मुकुल रोहतगी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की चयन समिति में पिनाकी चन्द्र घोष जा का नाम तय किया गया था।
जयललिता के काफी करीबी रहे शशिकला को सजा सुना चुके जस्टिस घोष
अपने सुप्रीम कोर्ट के कार्यकाल के दौरान जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष ने तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और उनके करीबी रहे शशिकला को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी करार किया था, इसके मामले के बाद जस्टिस घोष ने काफी सुर्खियां भी बटोरी थीं।
आपको बता दें कि इस मामले में जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष ने शशिकला समेत अन्य आरोपियों को दोषी करार करने के निचली अदालत के अपने निर्णय को बरकरार रखा था, हालांकि इस फैसले को सुनाए जाने से पहले ही तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत हो गई थी।
जस्टिस घोष के अन्य महत्वपूर्ण फैसले
- जस्टिस घोष ने आडवाणी समेत तमाम बड़े नेताओं पर आरोप तय करने के दिए थे निर्देश:
जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष ने जस्टिस रोहिंग्टन के साथ पीठ में रहते हुए अयोध्या में विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में निचली अदालत को बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, वर्तमान सरकार में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री उमा भारती, राजस्थान के वर्तमान राज्यपाल कल्याण सिंह और अन्य नेताओं पर आपराधिक साजिश की धारा के तहत आरोप तय करने का निर्देश भी दिए थे।
- पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्या के दोषियों की सजा माफी को लेकर भी जस्टिस घोष की कमेटी ने दिए थे निर्देश:
जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष, जस्टिस कलीफुल्ला और चीफ जस्टिस एच एल दत्तू के साथ उस पीठ के भी सदस्य थे, जिसने यह फैसला लिया गया था कि सीबीआई की तरफ से दर्ज मुकदमे में दोषी ठहराए गए राजीव गांधी के दोषियों की सजा माफी का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है।
- जस्टिस पीसी घोष ने जल्लीकट्टू पर भी लगाई थी रोक:
जस्टिस राधाकृष्णन के साथ पीठ में रहते हुए जस्टिस पिनाकी चन्द्र घोष ने जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ जैसी हिंसात्मक भारतीय परंपराओं को पशुओं के प्रति क्रूरता मानते हुए उन पर प्रतिबंध लगाया था।
इसके अलावा जस्टिस पीसी घोष, अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के फैसले को पलटते हुए वहां पहले की स्थिति को बहाल करने वाली संविधान पीठ में भी शामिल हो चुके हैं। यही नहीं पीसी घोष सरकारी विज्ञापनों के लिए दिशा निर्देश तय करने वाली बेंच के भी सदस्य रह चुके हैं।
तो इस तरह पिनाकी चन्द्र घोष ने अपनी बेहतरीन सूझबूझ और समझदारी से जस्टिस के रुप में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, और अब वे देश के पहले लोकपाल के रुप में देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों के काम की निगरानी करेंगे।
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