देशभक्ति पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ

Desh Bhakti Kavita

देशभक्ति पर आज हम आपको ऐसी कविताएं उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि न सिर्फ वतन के लिए मर मिटने वाले धरती मां के वीर सपूतों की अद्भुत शौर्य और पराक्रम का बखान करेंगी बल्कि आज की युवा पीढ़ी वीर शहीदों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों के महत्व को समझाने में मद्द करेंगी।

इसके साथ ही आपके ह्रदय में देशप्रेम की भावना जागृत करेंगी। यह कविताएं आप स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं अन्य कोई राष्ट्रीय पर्व पर होने वाली प्रतियोगिताओं में भी इस्तेमाल कर सकते हैं

Patriotic Poems
देशभक्ति पर कुछ कविताएँ – Patriotic Poems in Hindi

देश के स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सपूतों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों की बदौलत आज हम आजाद भारत में सुख-चैन की सांस ले रहे हैं। देश के वीर सपूतों ने हमें आजादी दिलवाने के लिए कई सालों तक न सिर्फ संघर्ष किया, बल्कि कई जवानों ने तो अपने प्राणों की भी आहुति दी हैं।

महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, जवाहर लाल नेहरू जैसे तमाम स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों की बदौलत ही हम सभी हिन्दुस्तानी आज गर्व के साथ जिंदगी जी रहे हैं।

वहीं देशभक्ति पर लिखी गईं, इस तरह की कविताएं उन वीर सपूतों की याद दिलाती हैं और उनके प्रति सम्मान की भावना पैदा करती हैं। वहीं आप इन कविताओं को ट्वीटर, फेसबुक, व्हाट्सऐप आदि पर भी शेयर कर सकते हैं।

Poems on Patriotism in Hindi

सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी वह गुलिस्तां हमारा ॥

ग़ुर्बत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में।
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा ॥

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमां का।
वो संतरी हमारा वो पासवां हमारा ॥

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियां।
गुलशन है जिसके दम से रश्के जिनां हमारा॥

ऐ आबे रोदे गंगा वह दिन है याद तुझको।
उतरा तेरे किनारे जब कारवां हमारा ॥

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा ॥

यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहां से।
अब तक मगर है बाकी नामों निशां हमारा ॥

कुछ बात है कि हस्ती मिटती मिटाये।
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा ॥

‘इक़बाल’ कोई महरम अपना नहीं जहां में।
मालूम क्या किसी को दर्दे निहां हमारा ॥

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिसतां हमारा॥
– इक़बाल

Desh Bhakti par Kavita

यारा प्यारा मेरा देश

यारा प्यारा मेरा देश,
सजा – संवारा मेरा देश॥

दुनिया जिस पर गर्व करे,
नयन सितारा मेरा देश॥

चांदी – सोना मेरा देश,
सफ़ल सलोना मेरा देश॥

सुख का कोना मेरा देश,
फूलों वाला मेरा देश॥

झुलों वाला मेरा देश,
गंगा यमुना की माला का मेरा देश॥

फूलोँ वाला मेरा देश
आगे जाए मेरा देश॥

नित नए मुस्काएं मेरा देश
इतिहासों में नाम लिखायें मेरा देश॥

Patriotic Poem

यह कविताएं हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता एवं सुंदरता का भी बोध करवाती हैं। हमारी भारतीय संस्कृति पूरे विश्व भर में अनूठी है, इसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है। यहां अलग-अलग धर्म, जाति, लिंग, पंथ, समुदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं।

हमारे देश में कई युग पुरुषों और महान ऋषि मुनियों ने जन्म लेकर यहां की धरती को पवित्र और पूजनीय बनाया है। हमारा भारत देश धार्मिक और अध्यात्मिकता का प्रतीक रहा है। यहां चाणक्य, आर्यभट्ट समेत कई महान वैज्ञानिकों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने महान अविष्कारों और सिद्धान्तों से देश को विज्ञान, चिकित्साशास्त्र, गणित, ज्योतिष, अर्थशास्त्र,आदि क्षेत्र में संपन्न बनाया है।

इसलिए हमारे देश को सोने की चिड़िया भी कहा जाता है। वहीं इस तरह की कविताएं लोगों के मन में देश प्रेम की भावना जगाने का काम करती हैं एवं सम्मान बढ़ाती हैं।

आज़ादी अभी अधूरी है।

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता – आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥

हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥

– अटल बिहारी वाजपेयी – Atal Bihari Vajpayee

Desh Bhakti Poem

तिरंगा

हमारी शान है ये तिरंगा
ये विश्व भर में भारती की ये अमिट पहचान है।
ये तिरंगा हाथ में ले पग निरंतर ही बढ़े
ये तिरंगा हाथ में ले दुश्मनों से हम लड़े
ये तिरंगा दिल की धड़कन ये हमारी जान है

ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है
ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है
ये तिरंगा इस धरा पर शांति का संधान है

ये तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है
ये तिरंगा वीरता का गूँजता इक मंत्र है
ये तिरंगा वंदना है भारती का मान है

इसके रेषों में बुना बलिदानियों का नाम है
ये बनारस की सुबह है, ये अवध की शाम है
ये तिरंगा ही हमारे भाग्य का भगवान है

ये कभी मंदिर कभी ये गुरुओं का द्वारा लगे
चर्च का गुंबद कभी मस्जिद का मिनारा लगे
ये तिरंगा धर्म की हर राह का सम्मान है
ये तिरंगा स्वर्ग से सुंदर धरा कश्मीर है
ये तिरंगा झूमता कन्याकुमारी नीर है
ये तिरंगा माँ के होठों की मधुर मुस्कान है

ये तिरंगा बाईबल है भागवत का श्लोक है
ये तिरंगा आयत-ए-कुरआन का आलोक है
ये तिरंगा वेद की पावन ऋचा का ज्ञान है

ये तिरंगा देव नदियों का त्रिवेणी रूप है
ये तिरंगा सूर्य की पहली किरण की धूप है
ये तिरंगा भव्य हिमगिरि का अमर वरदान है

शीत की ठंडी हवा, ये ग्रीष्म का अंगार है
सावनी मौसम में मेघों का छलकता प्यार है
झंझावातों में लहरता ये गुणों की खान है

ये तिरंगा लता की इक कुहुकती आवाज़ है
ये रवि शंकर के हाथों में थिरकता साज़ है
टैगोर के जनगीत जन गण मन का ये गुणगान है

ये तिंरगा गांधी जी की शांति वाली खोज है
ये तिरंगा नेता जी के दिल से निकला ओज है
ये विवेकानंद जी का जगजयी अभियान है

रंग होली के हैं इसमें ईद जैसा प्यार है
चमक क्रिसमस की लिए यह दीप-सा त्यौहार है
ये तिरंगा कह रहा- ये संस्कृति महान है

ये तिरंगा अंदमानी काला पानी जेल है
ये तिरंगा शांति औ’ क्रांति का अनुपम मेल है
वीर सावरकर का ये इक साधना संगान है

ये तिरंगा शहीदों का जलियाँवाला बाग़ है
ये तिरंगा क्रांति वाली पुण्य पावन आग है
क्रांतिकारी चंद्रशेखर का ये स्वाभिमान है

रंग केसरिया बताता वीरता ही कर्म है
श्वेत रंग यह कह रहा है, शांति ही धर्म है
हरे रंग के स्नेह से ये मिट्टी ही धनवान है

ऋषि दयानंद के ये सत्य का प्रकाश है
महाकवि तुलसी के पूज्य राम का विश्वास है
ये तिरंगा वीर अर्जुन और ये हनुमान है

– राजेश चेतन

Desh Bhakti Poem in Hindi

हमारा भारत देश न सिर्फ धार्मिक, अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वोत्तम है, बल्कि यहां की ऐतिहासिक धरोहर एवं उत्कृष्ट वास्तुकला भी दुनिया भर के लोगों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करते हैं। हमारे देश में फतेहपुर सीकरी, ताजमहल, कुतुबमीनार, लाल किला समेत कई प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है, जो कि अपनी सुंदरता एवं भव्यता के लिए पूरे विश्व भर में जानी जाती हैं।

इसके अलावा हमारे देश में गंगायमुना जैसी पवित्र नदियां बहती हैं। यही नहीं तमाम भाषाएं एवं बोली होने के बाद भी हमारा देश अपनी एकता के लिए पहचाना जाता है। इसलिए हम सभी को अपने देश का सम्मान करना चाहिए। वहीं देशभक्ति पर लिखी गईं इन कविताओं के माध्यम से देश के प्रति अपनी भावनाओं को भी प्रकट किया जा सकता है।

तिरंगा लहराता है शान से

तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी।
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी।।

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया।
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी।।

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है।।

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर।
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है।।

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है।
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है।।

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे।
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है।।

विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।

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16 COMMENTS

  1. thankyou sir for 2 poem because i have function in my society so that i want a beautiful and easy poem now i will learn this poem and present this poem in front of them with my friend once again thanks…..

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