पशुपतिनाथ मंदिर – Pashupatinath Temple
भगवान शिव का पवित्र और प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल में काठमांडू में स्थित है। भगवान शिव का यह मंदिर बागमती नदी के किनारे पर स्थित है। पशुपतिपनाथ मंदिर का निर्माण कई साल पहले हुआ था और इस मंदिर का निर्माण कैसा हुआ इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है।
भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर पशुपतिपनाथ – Pashupatinath Temple
भगवान शिव का यह पशुपतिपनाथ मंदिर बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण मंदिर है। पशुपतिपनाथ के दर्शन करने के लिए हर साल हजारों लोग इस मंदिर में आते है।
जब कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर आकर पहुचता है तो उस वक्त वो पशुपतिनाथ के दर्शन करने के लिए आता है और अपने आखिरी समय में भगवान के दर्शन करने के बाद यहाँ की पवित्र नदी बागमती के दर्शन करता है और अपने साथ में इस पवित्र नदी का जल तीर्थ समझकर अपने साथ में ले जाता है।
लोगो का ऐसा मानना है की किसी इन्सान ने अपने जिंदगी में कितने भी बुरे कर्म किये हो मगर वो जब इस मंदिर में भगवान के दर्शन के दौरान मर जाता है तो उसे दुबारा मनुष्य का ही जन्म मिलता है।
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास – History of Pashupatinath Temple
इस मंदिर का निर्माण 15 वी शताब्दी में लिच्छवी राजा शुपुस्पा ने करवाया था क्यों की इससे पहले यहाँ की सभी इमारते ख़राब हो चुकी थी। इस मंदिर के निर्माण के बाद यहाँ पर बहुत सारे मंदिर बनवाये गए।
14 वी शताब्दी में यहापर राम मंदिर के साथ में वैष्णव मंदिर भी बनवाया गया था और 11 वी शताब्दी में गुह्येश्वरी मंदिर का भी निर्माण करवाया गया था।
पशुपतिनाथ मंदिर की कहानी – Story of Pashupatinath Temple
इस पशुपतिनाथ मंदिर के उद्गम के बारे में कई सारी कहानिया है। एक कहानी के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती काठमांडू घाटी में आये थे और उनके इस सफ़र के दौरान दोनों ने भी कुछ समय के लिए बागमती नदी के किनारे विश्राम किया।
उस जगह की सुन्दरता को देखकर भगवान शिव काफी प्रभावित हुए और उन्होंने और देवी पार्वती ने हिरन का रूप ले लिया और दोनों जंगल में घुमने लगे। काठमांडू की घाटी में ऐसे बहुत जगह है जहापर भगवान शिव हिरन के रूप में घुमे थे।
कुछ समय गुजरने के बाद लोगो ने और देवताओ भगवान शिव को ढूँढना शुरू कर दिया। उन्होंने भगवान को कई सारी जगह पर ढूंढने की कोशिश की और आखिरी में भगवान उन्हें जंगल में मिले लेकिन भगवान शिव ने जंगल छोड़ने से मना कर दिया।
थोड़ी देर सोचने के बाद भगवान शिव ने एक बात घोषित कर दी की वो इस बागमती नदी के किनारे हिरन के रूप में बहुत समय तक रहे, इसीलिए वो अब सभी प्राणियों के देवता पशुपतिनाथ नाम से पहचाने जायेंगे। ऐसा भी कहा जाता है की इस मंदिर में आकर जो कोई भी भगवान के शिवलिंग के दर्शन करता है उसे कभी भी प्राणी का जन्म नहीं मिलता।
पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग कैसे प्राप्त हुआ? – How did the Pashupatinath temple get Shivling?
ऐसा कहा जाता है की सभी की इच्छा पूरी करने वाली कामधेनु गैया चंद्रवन पर्वत पर रहती थी। हररोज कामधेनु पर्वत से निचे आती थी और जिस जगह पर भगवान शिव का शिवलिंग था उस जगह पर अपने दूध से भगवान को दुग्ध अभिषेक करती थी।
हजारों सालों तक कामधेनु हर रोज यही काम करती थी, कुछ लोगो ने कामधेनु को इस तरह से दुग्ध अभिषेक करते देखा तो उन्होंने उस जगह की खुदाई शुरू कर दी और उन्हें उस जगह पर भगवान शिव का शिवलिंग मिला।
पशुपतिनाथ मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Pashupatinath Temple
इस पशुपतिनाथ मंदिर को नेपाल की पैगोडा शैली में बनाया गया। इस पैगोडा शैली में सभी संरचानाये घन के आकार में बनायीं जाती थी और इसमें लकड़ी से बनाये हुए छत का इस्तेमाल किया जाता था।
कुछ छतो को ताम्बा से बनाया जाता था और उनको ऊपर से सोने से सजाया जाता था। इस मंदिर को एक चौड़ी जगह पर बनाया गया है और इसे 23 मीटर और 7 सेमी की उचाई में बनाया गया। इस मंदिर को कुल चार दरवाजे है और वो सभी चांदी से बनाये हुए है।
इस मंदिर का कलश सोने से बना हुआ है। मंदिर के भीतर में दो गर्भगृह है। अन्दर केगर्भगृह में भगवान की मूर्ति है और बाहर का गर्भगृह की पूरी तरह से खुली
जब कोई इस मंदिर को नदी के पूर्व किनारे से देखता है तो मंदिर बहुत ही सुन्दर दीखता है। बागमती नदी के पश्चिम किनारे पर पञ्च देवल (पाच मंदिर) नाम का मंदिर भी है लेकिन अब इस मंदिर में केवल गरीब और अकेले बुजुर्ग लोगो के रहने की जगह है।
बागमती नदी के दाहिने बाजु में अंतिम संस्कार करने के लिए पूरी व्यवस्था की गयी है। इस जगह पर अंतिम संस्कार करना एक आम बात मानी जाती है।
किसी भी पर्यटक को यहाँ पर एक ना एक अंतिम संस्कार देखने को मिलता है। जो पर्यटक बाहर देश से आते है उनके लिए यह एक नया अनुभव होता है।
यहाँ के सभी साधू एक योगी की तरह ही हमेशा घुमते रहते है और वो हमेशा ध्यान करते हुए दिखाई देते है क्यों की उन्हें इस जन्म मरण के चक्र से मुक्ति चाहिए।
सभी साधू पशुपतिनाथ के गुफा में ही रहते है। यहाँ के सभी साधू अपना जीवन बड़ी सरलता से बिताते है, लेकिन बाहरी देश के आये लोगो को उनका यह जीने का तरीका काफी रोचक और रहस्यमयी लगता है क्यू की सभी साधू दिखने में स्वतन्त्र दिखते है। उनपर किसी का कोई नियंत्रण नहीं रहता।
पशुपतिनाथ मंदिर में मनाने जानेवाले त्यौहार – Celebrating festival in Pashupatinath temple
इस मंदिर में साल भर त्यौहार मनाये जाते है और हर साल भक्त हजारों की संख्या से भगवान के दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर में महा शिवरात्रि, चतुर्थी और तीज का त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन त्यौहार के दौरान सभी भक्त बड़ी संख्या आते है और भगवान के दर्शन लेते है।
इस मंदिर से कई सारी अद्भुत बाते जुडी है। ऐसा कहा जाता है की जो भक्त इस मंदिर में भगवान के दर्शन के दौरान मर जाता है तो उसे फिर से मनुष्य का ही जन्म मिलता है, फिर चाहे उसने अपने जिन्दगी में कितने भी बुरे कर्म किये हो।
स मंदिर के चारो और केवल साधू ही दिखते है। यहाँ के सभी साधू में एक खास है, वो यह है की सभी साधू गुफा में रहते है। इस मंदिर की एक और खास बात यह है की मंदिर के बाजु में बागमती नदी के किनारे लोगो पर अंतिम संस्कार किया जाता है और उनकी अस्थिया इसी नदी में बहाई जाती है।
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शिवजी से कामना है मेरी की जल्दी ही मुझे भी पशुपतिनाथ के दर्शन हों .