Pancharama Kshetras
पंचराम क्षेत्र भगवान शिव के प्राचीन हिन्दू मंदिरों में से एक है, जो भारत के आंध्रप्रदेश में स्थापित है। पंचराम क्षेत्र मंदिर में स्थापित शिवलिंग को एकल शिवलिंग से बनाया गया है।
भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में से एक पंचराम क्षेत्र – Pancharama Kshetras
पंचराम क्षेत्रो को पंचराम के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। आंध्र प्रदेश में भगवान शिव को समर्पित ऐसे पाँच मंदिर है। पंचराम क्षेत्र शक्तिशाली असुर तारकासुर से जुड़े हुए है।
कहा जाता है की जबतक स्वर्ग टूटने की कगार पर था तबतक तारकासुर ने बहुत से देवो को पराजीत किया था।
किंवदंतियों के अनुसार शिवलिंग पर राक्षस राजा तारकासुर का स्वामित्व था। उसके शिवलिंग की ताकत की वजह से कोई भी उसे पराजित नही कर सकता था। तारकासुर के नेतृत्व में असुरो और देवो के बीच हुए युद्ध में कार्तिकेय और तारकासुर आमने-सामने आ गये। कार्तिकेय ने तारकासुर का वध करने के लिए अपने शक्ति आयुध का उपयोग किया।
शक्ति आयुध की ताकत से तारकासुर का शरीर टुकडो में बट चूका था। लेकिन कार्तिकेय के विस्मय से सभी टुकडो तारका को जन्म देने के लिए एकत्रित हो चुके थे। कई बार उन्होंने तारका के शरीर को टुकडो में बाटा और सारे टुकड़े तारका को जन्म देने के लिए फिर एक हो जाते थे।
यह सब देखकर भगवान कुमार स्वामी परेशान हो गये और शर्मिंदगी की अवस्था में जा चुके थे, तभी भगवान श्रीमन नारायण उनके सामने प्रकट हुए और कहा, “कुमार! परेशान मत हो, असुर द्वारा धारण किये गये शिवलिंग को तोड़े बिना तुम उनका वध नहि कर सकते” तुम्हे सबसे पहले शिवलिंग को टुकडो में तोडना होंगा और तभी तुम तारकासुर का वध कर सकते हो।
भगवान विष्णु ने यह भी कहा की शिवलिंग को तोड़ने के बाद भी वे आपस में जुड़ जाएंगे। इससे बचने के लिए तुम्हे उसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना करनी होंगी जहाँ शिवलिंग के टुकड़े गिरेंगे।
भगवान विष्णु के शब्द सुनकर भगवान कुमार स्वामी ने तारका द्वारा धारण किए गये शिवलिंग को तोड़ने के लिए आग्नेयशस्त्र का प्रयोग किया। इसके तुरंत बाद शिवलिंग पांच टुकडो में बट गया और असुर ओमकार मंत्र का जाप कर उन्हें एक करने की कोशिश कर रहा था।
इसके तुरंत बाद भगवान विष्णु के आदेश पर सूर्यदेव ने उन सभी टुकडो को स्थापित कर दिया और उनके उपर मंदिर बनवाकर उसी पूजा करने लगे।
पंचराम क्षेत्र मंदिर का निर्माण होते है शिवलिंग के टुकडो ने हिलना बंद कर दिया और पांच जगहों पर स्थापित यही शिवलिंग पंचराम क्षेत्र के नाम से जाने जाते है।
किंवदंतियों के अनुसार शिवलिंग के इन पांच टुकडो को इंद्र, सूर्य, चन्द्र, विष्णु और कुमार स्वामी ने अलग-अलग जगहों पर स्थापित किये थे।
पंचराम क्षेत्रो में शामिल स्थल :
1. अमरावती मंदिर (अमरराम ) – Amaravati Temple: अमरावती गुंटूर जिले में कृष्णा नदी के तट पर आता है। जबकि बाकी चार गोदावरी जिले में स्थापित किये गये है। यहाँ पहुचने के लिय बस की सुविधा भी उपलब्ध है, जो मंदिर तक जाती है।
अमर लिंगेश्वर की पूजा यहाँ भगवान इंद्र द्वारा की जाती थी। यह मंदिर काफी पुराना है और परिसर में बने दुसरे मंदिरों से घिरा हुआ है। मंदिर की मुख्य देवियों में बाला चामुंडेश्वरी माता शामिल है। मुख्य मंदिर परिसर में वेणु गोपाल स्वामी मंदिर भी शामिल है।
2. द्राक्षराम मंदिर – Draksharamam Temple: यह मंदिर रामचंद्रपुरम के पास है। यह मंदिर काफी विशाल है और मंदिर का परिसर गोलाकार है। यहाँ भगवान श्री राम ने भगवान शिव की पूजा की थी। इसके बाद भगवान सूर्य और इंद्र ने भी यहाँ पूजा की थी।
यह भगवान शिव के 18 शक्तिपीठो में से भी एक है। प्रसिद्ध तेलगु कवी वेमुलवादा भिमकवि का जन्म भी आंध्रप्रदेश के पूर्वी गोदावरी के कृपा मंडल के वेमुलवाडा में हुआ था।
3. सोमेश्वर मंदिर (भीमावरम) – Someswara Temple: सोमेश्वर स्वामी मंदिर गुनुपुड़ी में स्थापित है। बस स्टैंड से यह तक़रीबन 3 से 4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।
यह मंदिर एकदम नया प्रतीत होता है और मंदिर के सामने पवित्र तालाब भी है। माह के अनुरूप यहाँ शिवलिंग का रंग (अमावस्या के समय काला और पूर्णिमा के समय सफ़ेद) भी बदलते रहता है। मंदिर परिसर में दूसरी मंजिल पर अन्नपूर्णा माता मंदिर भी है।
4. पलाकोल मंदिर (क्षीररामा) – Palakollu Temple: क्षीर राम लिंगेश्वर ने यही भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। साथ ही यही उपमान्य महर्षि को भगवान शिव से दूध और वरदान मिला था। इसीलिए इसका नाम क्षीर (दूध) रामेश्वर स्वामी मंदिर रखा गया है।
यह मंदिर बस स्टैंड के नजदीक ही है। गोपुरम मंदिर काफी ऊंचाई पर है और इसे हम बस स्टैंड से भी देख सकते है, जहाँ देवी पार्वती को पूजा जाता है।
5. समालकोट मंदिर (कुमाररामा) – Samalkot Temple: कुमार भीमेश्वर स्वामी मंदिर समालकोट में स्थापित है। यह मंदिर काकीनाडा से 20 किलोमीटर और समर्लाकोट रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।
आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के नियंत्रण में चल रहा यह मंदिर भी काफी सुंदर है। यहाँ भगवान शिव का एक विशालकाय लिंग है और इस लिंग को है दूसरी मंजिल से भी देख सकते है। कुमार स्वामी ने यहाँ शिवलिंग को निर्धारित किया था और इसीलिए इसका नाम कुमाररामा रखा गया। यहाँ बाला त्रिपुरा सुंदरी देवी की भी पूजा की जाती है।
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