श्री पल्लीकोन्देश्वर मंदिर – Pallikondeswara Temple
प्रसिद्ध श्री पल्लीकोन्देश्वर मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में आता है। यह शिव मंदिर वहा के एक छोटेसे गाव सुरुतापल्ली में स्थित है। दुनिया में भगवान शिव के जितने भी मंदिर होंगे उन सब में यह मंदिर बिलकुल अलग है।
इस मंदिर के भगवान शिव माता पार्वती के गोद में अपना सर रखकर आराम करते हुए नजर आते है। इसीलिए इस मंदिर की देवता को भोगशयण शिव भी कहा जाता है।
पल्लीकोन्देश्वर मंदिर का इतिहास – Pallikondeswara Temple, Surutapalli History
इस मंदिर के निर्माण में बड़ी कहानी जुडी है। हजारों वर्ष पहले देवता और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन करने का फैसला लिया था। जब सब देवता और राक्षस एक साथ समुद्र मंथन करने लगे तो उसमे से अमृत बाहर आया।
लेकिन उसके बाद में मंथन से बहुत ही जहरीला हलाहल भी बाहर निकल आया। उस हलाहल को देखकर सभी देवता और राक्षस घबरा गए क्यों की उस जहर से सारा संसार संकट में पड़ गया था।
मगर उस संकट से सारे विश्व को बाहर निकालने के लिए भगवान शिव वहा पहुचे और उन्होंने सारा हलाहल अपने कंठ में धारण कर लिया।
मगर ऐसा करने से भगवान शिव खुद अस्वस्थ हो गये थे और काफी थकावट उन्हें महसूस हो रही थी। उनके साथ में माता पार्वती भी थी। वो चलते चलते आंध्रप्रदेश प्रदेश पहुच चुके थे। बहुत थकावट होने के कारण उन्होंने वहीपर ही माता पार्वती के गोद में सिर रखकर विश्राम किया।
जिस जगह पर यह सब हुआ उसी स्थान पर यह श्री पल्लिकोंदेस्वरार मंदिर का निर्माण किया गया। तभी से इस स्थान को सुरुतापल्ली कहा जाता है। ‘सुरुत’ का अर्थ होता है थक जाना और ‘पल्ली’ का अर्थ होता है आराम करना या विश्राम करना।
पल्लीकोन्देश्वर मंदिर की वास्तुकला – Architecture of Pallikondevar Temple
आंध्र प्रदेश के चित्तोर जिले का सुरुतापल्ली पल्लिकोंदेस्वरार मंदिर को द्रविड़ शैली में बनवाया गया है। इस मंदिर का निर्माण विजयनगर के समय में किया गया था। अधिकतर भगवान शिव के मंदिर में उनकी मूर्ति की जगह उनके शिव लिंग को स्थापित किया जाता है।
मगर इस मंदिर में भगवान शिव अलग ही रूप मे देखने को मिलते है, वो अपनी पत्नी पार्वती जो सर्वमंगलाम्बिका का रूप है उनके गोद में आराम करते हुए नजर आते है। जिस तरह का भगवान विष्णु का रंगनाथ मंदिर है उसी तरह का यह शिव मंदिर भी है।
इस तरह का शिव मंदिर बड़ी मुश्किल से देखने को मिलता है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ में अन्य देवता की भी मुर्तिया, ऋषि, नवग्रह देवता की मुर्तिया और साथ ही माता पार्वती के साथ में संगनिधि और पदुमनिधि की मुर्तिया और देवी वसुन्दरा और वसुमधि की भी मुर्तिया है।
विशेषरूपसे भगवान शिव के नजदीक में गणेश, कार्तिकेय, सूर्यदेव, चंद्रदेव और इन्द्रदेव की मुर्तिया है। इस मंदिर मे भृगु, मार्कंडेय, नारद, अगस्त्य, पुलस्त्य और गौतम ऋषि की भी मुर्तिया है। इस मंदिर के एक कोने में भगवान शिव के अवतार आदिशंकर की भी मूर्ति है।
पल्लीकोन्देश्वर मंदिर के त्यौहार – Festivals of Pallikondevar temple
इस पल्लिकोंदेस्वरार मंदिर में प्रदोष नाम का उत्सव बड़े आनंद से मनाया जाता है। इस त्यौहार को कुछ लोग प्रदोषम नाम से भी जानते है। यह त्यौहार महीने में दो बार आता है। हिन्दू धर्म के अनुसार हर महीने के पंधरा दिन में एक बार इस उत्सव को मनाया जाता है।
इस त्यौहार को हर पंधरा दिन में के तेरावे दिन पर मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को मनाने के लिए पुरे तीन घंटे का वक्त शुभ माना जाता है। इस तीन घंटे में सूर्यास्त से पहले का डेढ़ घंटा और सूर्यास्त के बाद का डेढ़ घंटे का समय शुभ माना जाता है।
इस मंदिर में प्रदोष के अलावा भी शिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। जब प्रदोष के त्यौहार और शिवरात्रि के पर्व पर करीब हजारों भक्त भगवान के दर्शन के लिए आते है।
पल्लीकोन्देश्वर मंदिर कहा स्थित है? – Pallikondeshwar Temple is located
यह मंदिर चेन्नई तिरुपति के मार्ग में बिलकुल बिच में ही लगता है। यह मंदिर चेन्नई से 66 किमी और तिरुपति से 70 किमी की दुरी पर है। इसी वजह से तिरुपति जानेवाले भक्तों के लिए यह एक अच्छा स्थान है क्यों की वो इसी स्थान पर रहने से तिरुपति बड़ी जल्दी पहुच सकते है।
भगवान शिव का यह मंदिर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बॉर्डर पर लगता है। भगवान शिव के मंदिर सामान्य रूप से शिव लिंग के रूप में स्थापित किये जाते है।
मगर आंध्रप्रदेश प्रदेश का यह मंदिर अन्य मंदिरों से बिलकुल अलग है। इस मंदिर में भगवान शिव का कोई भी शिवलिंग देखने को नहीं मिलता और नाही भगवान शिव की कोई बैठी अवस्था की कोई मूर्ति। इस मंदिर में भगवान शिव के अलग रूप में दर्शन होते है।
इस मंदिर में भगवान शिव माता पार्वती के गोद में विश्राम करते हुए दिखाई देते है। इस तरह का भगवान शिव का मंदिर बड़ी मुश्किल से देखने को मिलता है। इसी वजह से इस मंदिर ने अपनी अलग पहचान बनाई हुई है।
Read More:
Hope you find this post about ”Pallikondeswara Temple History” useful. if you like this article please share on Facebook & Whatsapp. and for latest update Download: Gyani Pandit free Android app.
Main bhi is Mandir mein Darshan kare hue hain
Hi Gyani Pandit ji
very nice post i like , ap bhut accha jankari dete haa