एक देश एक चुनाव | One Nation One Election

One Nation One Election

इन दिनों भारतीय राजनीति में एक देश एक चुनाव – One Nation One Election की बात उठ रही है जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियों मतभेद भी देखने को मिल रहा है कई राजनीतिक पार्टियां एक देश एक चुनाव के पक्ष में है तो कई राजनीतिक पार्टियां इस के विपक्ष में है। लेकिन जनता की एक देश एक चुनाव – One Nation One Election को लेकर क्या राय है ये जानना पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि अधिकतर लोगों को नहीं पता कि एक देश एक चुनाव – One Nation One Election है क्या और इसे क्या फायदे और क्या नुकसान होंगे?

चलिए आपको बताते है कि आखिर एक देश एक चुनाव का क्या अर्थ होता है ताकि आप इस पर अपना मत आसानी से रख पाएं।

One Nation One Election
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एक देश एक चुनाव – One Nation One Election

भारतीय संविधान के अनुसार चुनाव तीन स्तरीय होते है लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका या पंचायत। ऐसा माना जाता है कि समय – समय पर होने वाले चुनाव लोकतंत्र को मजबूत बनाते है। क्योंकि इसे देश पर किसी एक का वर्चस्व नहीं रहता। साथ ही प्रतिनिधियों को अपनी सत्ता खोने का डर रहता है इसलिए वह जनता की भलाई के लिए काम करने में लगे रहते है।

हालंकि अगर बात करें भारत की तो, भारत में लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव अलग – अलग समय पर होते है जिस वजह से पूरे साल देश में चुनावों का मौसम चलता रहता है। लेकिन लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अलग – अलग समय पर होने से चुनाव प्रक्रियों में काफी पैसा खर्च होता है जिसका सीधा असर देश की अर्थवस्था पर पड़ता है। जिस वजह से एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव रखा गया है।

एक देश एक चुनाव का अर्थ है देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों ही साथ – साथ होगें। जिसे चुनाव की प्रक्रियों में होने वाले खर्च में आधे से ज्यादा की कटौती हो जाएगी। एक देश एक चुनाव का प्रस्ताव पहली बार साल 1983 में चुनाव आयोग ने रखा था।

इसके बाद साल 1999 में जस्टिस बीपी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले लॉ कमीशन ने भी कहा कि देश को उस व्यवस्था में वापस जाना चाहिए जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो। इसके बाद साल 2015 में भी इस पार्लियामेंट की स्टैंडिग कमेटी ने भी चुनावों को एक साथ कराने की बात रखी थी।

जिसके बाद देश कई बड़े दलों ने इस पर सहमति जताई तो वहीं कई दलों ने इस संविधान की मूल भावना का उल्लघँन कहते हुए इसका विऱोध किया। दरअसल एक देश एक चुनाव कई फायदे और नुकसान है जिस वजह से चयन करना मुश्किल होता है कि क्या ज्यादा जरुरी है।

एक देश एक चुनाव के फायदे – One Nation One Election Advantages

एक देश एक चुनाव के जरिए सबसे बड़ा फायदा जनता को ये होता है कि जो बिल और योजनाएं चुनावों के कारण अटक जाती है। जिनसे जनता के जीवन पर असर पड़ता है उन्हें पारित करने में ज्यादा असर नहीं पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक देश एक चुनाव होने सभी चुनाव केवल एक निर्धारित समय में ही होते है जिसे केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को जनता के कार्यों के लिए अधिक समय मिल जाता है।

इसके अलावा चुनावों के दौरान मानव संसाधनों की भी बर्बादी होती है। वहीं जिन लोगों ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया है उनका कहना है कि से भारतीय राजनीति में भी स्थिरता आएगी।

एक देश एक चुनाव के नुकसान – One Nation One Election Disadvantages

दरअसल एक देश एक चुनाव की सबसे बड़ी समस्या ये है कि अगर एक देश एक चुनाव होता है तो संविधान में बदलाव करना पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा और विधानसभा दोनों की अपनी गरिमा और संचालन प्रक्रिया है और अगर किसी कारण वश लोकसभा में केंद्र सरकार गिर जाती है। तो इस स्थिति में या तो लोकसभा के चुनावों के लिए विधानसभा के कार्यकाल पूरे होने का इंतजार करना पड़ेगा।

या फिर सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव समय से पहले लोकसभा चुनावों के साथ कराने पड़ेगे। जो संभव नहीं है। और यही स्थिति राज्य में विधानसभा गिरने पर भी आ सकती है।

इसके अलावा एक देश एक चुनाव होने पर इसकी पूरी संभावना है कि देश की बड़ी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए खूब प्रचार करें जिस वजह से क्षेत्रीय पार्टियों की जीतने की संभवना कम हो जाती है साथ ही एक देश एक चुनाव होने पर लोग हो सकता है प्रधानमंत्री के चेहरे के आधार पर ही विधानसभा के वोट भी दें।

हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि अगर सहमति बन जाती है तो वो एक देश एक चुनाव कराने में सक्षम है। हालांकि इसके लिए संविधान में बदलाव करने पड़ेगे। साथ ही एक देश एक चुनाव के नुकसानों को खत्म करने का रास्ता भी ढ़ूढना पडेगा।

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