Om Puri – ओम प्रकाश पूरी एक भारतीय अभिनेता थे, जिन्हें हम बहुत सी भारतीय हिंदी और आर्ट फिल्मो में देख चुके है। फिल्म आक्रोश (1980), आरोहन (1982) और टेलीविज़न फिल्म जैसे सद्गति (1981) और तामस (1987) और साथ ही जाने भी दो यारो (1983) और चाची 420 (1997) में उन्होंने अपने किरदार से लोगो का काफी मनोरंजन किया और तालियाँ भी बटोरी थी।
हिंदी फिल्मो के अलावा पूरी ने यूनाइटेड स्टेट, ब्रिटेन और पाकिस्तान की फिल्मे भी की है।
अपने किरदार से लोगो को दिवाना करनेवाले “ओम पूरी” – Om Puri
1990 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक अवार्ड पद्म श्री और 2004 में उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के सम्माननीय ऑफिसर से सम्मानित किया गया था। कहा जाता है की इसी वर्ष उन्हें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भी दिया जाने वाला था।
ओम पूरी का शुरुवाती जीवन – Om Puri Early Life:
ओम पूरी का जन्म अम्बाला के पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता राजेश पूरी रेल्वे और भारतीय सेना में काम करते थे। जब वे केवल छः साल के थे, तब उनके पिता पर रेल्वे अधिकारियो ने सीमेंट चोरी का आरोप लगाया था। इसके चलते उनके परिवार को बेघर होना पड़ा था। इसके बाद परिवार का गुजारा करने के लिए पूरी के भाई वेदप्रकाश पूरी कुली (रेल्वे स्टेशन पर) और पूरी स्वयं स्थानिक चाय की दूकान पर काम करने लगे थे।
इसके बाद अपने परिवार की सहायता करने के उद्देश्य से उन्होंने 7 साल की उम्र से ही साल करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बहुत से काम किये, जिनमे ढाबे पर काम करना, चाय की दुकान पर काम करना और रेल्वे डिब्बो में से कोयला उतारना इत्यादि शामिल है। बाद में उनके और उनके भाई के बेटे को उनकी नौकर शांति ने पाल-पोसकर बड़ा किया।
काम करते-करते पूरी अपनी पढाई भी कर रहते थे। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने थिएटर एक्टिंग सिखने के लिए वे पुणे के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिल हो गए। इसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के भूतपूर्व विद्यार्थी नसीरुद्दीन शाह ने पूरी को काफी प्रेरित किया और उन्हें वे पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया भी ले गए।
दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए गये इंटरव्यू में पूरी ने बताया था की, उनका परिवार बहुत गरीब था और जब वे FTII में दाखिल हुए थे तब उनके पास पहनने के लिए एक अच्छा शर्ट भी नही था। शाह के अनुसार, FTII में अपनी शिक्षा से पूरी खुश नही थे और वे वहाँ की ट्यूशन फीस देने के भी काबिल नही थे।
ओम पूरी की निजी जिंदगी – Om Puri Personal Life:
1991 में पूरी ने अन्नू कपूर की बहन सीमा कपूर से शादी कर ली थी लेकिन उनकी शादी केवल 8 महीनो तक ही टिक पाई।
1993 में उन्होंने जर्नलिस्ट नंदिता पूरी से शादी की, जिनसे उन्हें ईशान नाम का एक बेटा भी हुआ। 2009 में नंदिता ने अपने पति की जीवनी भी लिखी, जिसका नाम अनलाइकली हीरो : दी स्टोरी ऑफ़ ओम पूरी है। किताब के प्रकाशन के समय पूरी ने अपने रिश्तो और उनके गुस्से के बारे में बहुत कुछ बताया था। 2013 में नंदिता ने उनके खिलाफ घरेलु हिंसा का आरोप लगाया था और इसके कुछ समय बाद ही कोर्ट ने उन्हें अलग-अलग रहने के आदेश दे दिए थे।
कहा जाता है की पूरी जब भी मायूस या नाराज होते है तो वे खाना बनाते है या तो बागवानी करते है। पूरी अक्सर इस बात को कहते थे की उन्हें खेतो में जाना और बागवानी करना बहुत अच्छा लगता है। 2012 में राज्यसभा में दिए गये इंटरव्यू में पूरी ने कहा था की, वे दाल रोटी नाम का एक ढाबा खोलना चाहते है।
ओम पूरी का करियर – Om Puri Career:
पूरी की पहली फिल्म चोर चोर छुपजा थी, जो एक चिल्ड्रेन फिल्म है। इस समय उन्होंने बहुत से अभिनेताओ के स्टूडियो में भी काम किया, जहाँ भविष्य के सुपरस्टार गुलशन ग्रोवर और अनिल कपूर उनके विद्यार्थी थे।
ऐसा करते हुए पूरी ने बहुत सी भारतीय फिल्मो में भी काम किया और यूनाइटेड स्टेट और यूनाइटेड किंगडम में बहुत सी फिल्मे प्रोड्यूस भी की थी।
1976 की मुख्यधारा फिल्म शैली की मराठी फिल्म घाशीराम कोतवाल पूरी ने इस तरह की फिल्मो में प्रवेश किया, जो इसी नाम से विजय तेंडुलकर द्वारा रचित एक मराठी नाटक भी था। इस फिल्म को के. हरिहरण और मणि कॉल ने 16 FTII ग्रेजुएट्स के साथ मिलकर डायरेक्ट किया था। कहा जाता है की इस फिल्म में उनके बेहतरीन काम के लिए उन्हें “मूंगफली” दी गयी थी। इसके बाद आर्ट फिल्म जैसे भावनी भवाई (1980), सद्गति (1981), अर्ध सत्य (1982), मिर्च मसाला (1986) और धारावी (1992) फिल्मो में उन्होंने अमरीश पूरी, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल के साथ भी काम किया था।
इसके बाद बहुत सी फिल्मो जैसे आक्रोश (1980), जिमी मेनेजर के किरदार वाली डिस्को डांसर (1982) और पुलिस इंस्पेक्टर के भूमिका वाली अर्ध सत्य में उनके किरदार और अभिनय की आलोचकों और दर्शको दोनों ने बहुत तारीफ़ की थी। इसके लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला था। इसके बाद् फिल्म जमाना (1985) में उन्होंने विनोद के अंकल, फिल्म माचिस (1996) में उन्होंने सिक्ख उग्रवादीयो के जेल का मुख्य, कमर्शियल फिल्म गुप्त (1997) में कठोर पुलिस असफर और धुप (2003) में शहीद सैनिक के हिम्मती पिता का किरदार बड़े खुबसूरत तरीके से निभाया था।
1999 में पूरी ने कन्नड़ फिल्म ए.के. 47 में एक सख्त पुलिस अधिकारी के रूप में काम किया था, जो अंडरवर्ल्ड से शहर को सुरक्षित रहना चाहता हो – उनकी इस फिल्म को व्यावसायिक रूप से काफी सफलता मिली थी। फिल्मो में पूरी के अनिभय की लोग शुरू से ही सराहना करते थे। कन्नड़ डायलॉग के लिए उन्होंने उन्होंने बहुत सी फिल्मो में अपनी आवाज़ भी दी है। उसी साल उन्होंने एक सफल ब्रिटिश कॉमेडी फिल्म ईस्ट इज ईस्ट भी की, जिसमे उन्होंने पहली पीढ़ी के पाकिस्तानी आप्रवासी का किरदार निभाया था।
अत्यधिक प्रशंसित फिल्म गाँधी (1982, डायरेक्टर – रिचर्ड एटिनबोरौ) में पूरी महेमान भूमिका में भी दिखे थे। 1990 में उन्होंने बहुत सी हिंदी धारा की फिल्मो में काम किया और फिल्मो में उनके अभिनय की आलोचकों ने काफी प्रशंका की थी। इसके बाद ब्रिटिश फिल्म माय सन दी फनाटिक (1997), ईस्ट इस ईस्ट (1999) और दी पैरोल ऑफिसर में काम करने के बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली थी। इसके बाद वे हॉलीवुड फिल्मो में भी दिखे, जिनमे मुख्य रूप से सिटी ऑफ़ जॉय (1992), वुल्फ (1994), दी घोस्ट एंड दी डार्कनेस (1996) शामिल है। इन फिल्मो में उन्होंने पैट्रिक स्वाय्ज़े, जैक निकोल्सन और वॉल कील्मेर के साथ काम किया था। 2007 में वे चार्ली वाल्सन की फिल्म वॉर में वे जनरल जिया-उल-हक के रूप में दिखे थे, इस फिल्म में उन्होंने टॉम हंक्स और जूलिया रोबर्ट्स के साथ काम किया था।
फिल्मो के साथ-साथ पूरी ने बहुत से टेलीविज़न सीरियल भी की है, जिनमे काकाजी कहीन (1988) और मी. योगी (1989) शामिल है। इन दो फिल्मो ने पूरी के भीतर के कॉमेडियन को उजागर किया था। इसके बाद गोविंद निहलानी की टेलीविज़न फिल्म तामस (1988) में उनके अभिनय की आलोचकों ने बहुत तारीफ की थी, यह फिल्म इसी नाम के हिंदी उपन्यास पर आधारित थी। इसके बाद हिंदी फिल्म जाने भी दो यारो में उन्होंने एक हास्य कलाकार की भूमिका निभाई थी। फिर चाची 420 (1997), हेरा फेरी (2000), चोर मचाये शोर (2002), दीवाने हुए पागल, चुप चुप के, किस्मत कनेक्शन और मालामाल वीकली (2006) और ओह माय गॉड में वे कॉमेडी करते हुए नजर आए। कहा जाता है की प्रियदर्शन और कमल हसन द्वारा निर्देशित गयी लगभग सभी फिल्मो में उन्होंने काम किया है।
फिल्म द्रोहकाल, नरसिम्हा, घायल, मृत्युदंड, आस्था, हे राम, प्यार तो होना ही था, फ़र्ज़, ग़दर, लक्ष्य, देव, रंग दे बसंती, युवा, सिंह इस किंग, मेरे बाप पहले आप, बिल्लू, क्युकी, लक्ष्य, दबंग, भाजी इन प्रॉब्लम, खाप, बजरंगी भाईजान और घायल वन्स अगेन में उनके किरदार को लोगो और आलोचकों दोनों ने सराहा। फिल्म रोड तो संगम (2009) में पूरी ने मोहम्मद अली कसूरी का रोल निभाया था। 2010 में वे दी हैंगमैन में भी दिखे थे। 2011 में उन्होंने भारतीय एक्शन फिल्म डॉन 2 की थी।
टीवी सीरीज आहात के दुसरे सीजन के कुछ एपिसोड में भी पूरी ने कम किया है, जिसे सन 2004 और 2005 में सोनी चैनल पर प्रसारित किया गया था। उनकी दूसरी टेलीविज़न उपस्थितियो में भारत एक खोज, यात्रा, मी.योगी, काकाजी कहिन, सी हॉक्स, अन्तराल और सावधान इंडिया का दूसरा सीजन शामिल है।
2014 में वे कॉमेडी-ड्रामा दी हंड्रेड-फूट जर्नी में वे हेलेन मिरेन के साथ दिखे। जनवरी 2017 में अपनी मृत्यु के समय वे मराठी फिल्म 15 औगुस्त भागिले 26 जनवरी कर रहे थे।
ओम पूरी की मृत्यु – Om Puri Death:
6 जनवरी 2017 को 66 साल की उम्र में मुंबई के अँधेरी में अपने घरेलु मकान में ही ह्रदय विकार आने की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी थी। भारतीय फिल्म और सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 89 वे अकादमी अवार्ड से सम्मानित भी किया गया था।
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