ओडिशा के दार्शनिक स्थल | Odisha tourist place

Odisha tourist place

प्राचीन दिनों से ही ओडिशा लोगो का पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। जिन लोगो को आध्यात्मिकता, धर्म, संस्कृति, कला और प्राकृतिक सुंदरता में रूचि हैं। यहाँ हमें प्राचीन और मध्यकालीन आर्किटेक्चर, प्राचीन समुद्री तट, ओडिसी नामक क्लासिकल डांस और दुसरे नृत्य प्रकार जैसे छौ, घुमर और संबलपुरी और ओडिशा के बहुत से उत्सव देखने मिलते है।

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ओडिशा के दार्शनिक स्थल – Odisha tourist place

दया नदी के तट पर हमें यहाँ ऊँची-ऊँची चट्टानें भी देखने मिलती है। साथ ही उदयगिरी के उदात्त त्रिकोण में हमें आज भी बौद्ध धर्म की जलती हुई मशाल, रत्नागिरी के साथ ललित्गिरी भी देखने मिलती है। यहाँ हमारे देश का समृद्ध अतीत हमें कटी हुई चट्टानों, विहारों, मठो और चैत्यो के रूप में देखने मिलता है। साथ ही अशोका के समय की चट्टानें भी हमें देखने मिलती है।

ओडिशा में और भी बहुत सी पर्यटन स्थल हैं जिसे देखने से मन प्रसन्न हो जाता हैं आईये उन जगह के बारेमें जानते हैं :

श्री खेत्रा पूरी जगन्नाथ मंदिर, ब्रह्माण्ड के देवता के निवासस्थान :

ओडिशा विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर (पूरी), वर्ल्ड हेरिटेज साईट कोणार्क सूर्य मंदिर और हुमा के शैक्षणिक मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। भारत में पाए जाने वाले 4 चौसठी योगिनी मंदिरों में से 2 ओडिशा के हीरापुर और रानीपुर झरियाल में है। गीता गोविंद को लिखने वाले प्रसिद्ध ओडिया संस्कृत कवी जयदेव का जन्म यही खुदरा के पास वाले गाँव केंदुली सासन में हुआ। उन्होंने भगवान कृष्णा और राधा के प्रेम को समर्पित बहुत से कविताओ की रचना की है।

राजारानी मंदिर, भुवनेश्वर :

राजारानी मंदिर (बलुआ पत्थरो से बना हुआ होने की वजह से इस नाम की उत्पत्ति हुई) खजुराहो मंदिर की तरह भुवनेश्वर (भारत का मंदिर शहर) में बना एक स्थापत्य चमत्कार है, जिसमे तक़रीबन 500 से भी ज्यादा प्राचीन मंदिर है। भगवान लिंगराज मंदिर (12 वी शताब्दी में बना मंदिर), केदारगौरी मंदिर, अनंता वासुदेव मंदिर, ब्रह्मेश्वर मंदिर इस शहर के कुछ बहु-प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है।

भुवनेश्वर में राज्य म्यूजियम, प्राकृतिक इतिहास का क्षेत्रीय म्यूजियम, बोटैनिकल गार्डन, उदयगिरी और खांडागिरी गुफा जैसे जैन सेंटर, पठानी सामंत और धुली सफ़ेद पगोडा भी है जहाँ चंदशोक धर्मशोक बने थे।

साथ ही ओडिशा बहुत से आदिवासी समुदायों का घर भी है, जिन्होंने ओडिशा को बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके हस्तशिल्प, विविध नृत्य प्रकार, जंगली उत्पाद और उनकी विशेष लाइफ स्टाइल दुनिया भर के लोगो को आकर्षित करते है। पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और संबलपुर में भगवान शिव का सिताल्सस्थी कार्निवल में लाखो लोग जमा होते है और इस दौरान हमें ओडिशा की संस्कृति और कला के दर्शन भी हो जाते है।

“तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आज़ादी दूंगा” कहने वाले भारत के क्रांतिकारी सेनानी नेताजी सुभास चन्द्र बोस का जन्म कटक में हुआ, जिनका घर (जानकीनाथ भवन) वर्तनाम में एक म्यूजियम है, जिनमे उनके जीवन से जुडी हुई चीजो और जानकारियों को प्रदर्शित किया गया है।

मध्यकालीन राजधानी कटक में बाराबती किला (गंगा, मराठा और ब्रिटिश), कटक चाँदी मंदिर, बाराबती स्टेडियम, क़दम-ए-रसूल और धबलेश्वर मंदिर (यहाँ लक्ष्मणझुला के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा रोप-ब्रिज है) देखने मिलता है।

इसके पूर्वी घाट में सर्वोच्च शिखर महेंद्रगिरी है, जहाँ भगवान परशुराम आज भी ध्यान रखते है। रामायण और महाभारत के अनुसार यह शिखर गजपति जिले में है।

रोचक शहर, स्थान और जगहे:

1. ढेंकनाल – कपिला, सप्तसज्य
2. बेरहमपुर – गोपालपुर, तप्तापनी, तरतारिणी।
3. बालासुर : चांदीपुर, चंदाबली, चंदनेश्वर, पंचालिंगेश्वर, अरडी (भगवान अखंदलामानी)
4. भितर्कनिका अभयारण्य

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