What is Nota (None of the above)
हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। जहां पर हमें अपनी सरकार अपने मनमुताबिक चुने का पूरा अधिकार है। जिस वजह से चुनावों में कई छोटे बड़े दल हिस्सा लेते है और जनता के मत के अनुसार सरकार बनाने के लिए चुने जाते है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब आम जनता को अपने क्षेत्र में खड़े अलग – अलग राजनीतिक पार्टियों का कोई भी उम्मीदवार पंसद नहीं आता है।
कई बार ऐसा लोगों में पार्टियों के प्रति आक्रोश के कारण भी होता है जब आम जनता को लगता है कि राजनीति में उनके हितों का नेतृत्व करने के लिए भी कोई सही उम्मीदवार या पार्टी नहीं है। पर ज्यादातर लोगों को ऐसे समय में समझ नहीं आता कि वो क्या करें? जिस वजह से जागरुकता के अभाव के कारण लोग या तो चुनाव में वोट डालने ही नहीं जाते या फिर अपने अधिकारों के साथ समझौता कर किसी भी पार्टी को वोट दें देते है। और ऐसे में कई बार अयोग्य उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है। लेकिन ऐसे समय आम जनता के पास नोटा – Nota ऑप्शन होता है।
जिसके बारे में बहुत से लोग आज भी नहीं जानते है। चलिए आपको बताते है नोटा – Nota के बारे में।
क्या है नोटा? – What is Nota (None of the above)
नोटा का अर्थ (Nota Full Form) होता है इनमें से कोई नहीं इंग्लिश में None of the above को शॉर्ट में नोटा कहा जाता है। जब किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद न होने पर लोग नोटा का विकल्प चुन सकरते है। जिसके बाद निर्वाचन आयोग वोटों की गिनती के दौरान नोटा की भी गिनती करता है कि कितने प्रतिशत लोगों ने नोटा को चुना है।
जिसके बाद निर्वाचन आयोग देखती है किसे सबसे ज्यादा वोट मिले है और यदि नोटा के हक में ज्यादा लोग होते है तो इसका अर्थ है कि उस क्षेत्र के लोग किसी भी उम्मीदवार को नहीं चुनना नहीं चाहते है इसके पीछे उम्मीदवारों के व्यक्तित्व, अपराध या पार्टी के प्रति आक्रोश या अन्य कोई कारण भी हो सकता है।
हालांकि इसका चुनावों की गणना पर कोई असर नहीं पड़ता है लेकिन नोटा के उपयोग से राजनीतिक पार्टियां अपनी पार्टी से सही और साफ छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देने पर ध्यान देती है।
कब आया नोटा
साल 2013 से पहले जब भी आम जनता को उम्मीदवार पंसद नहीं आता था तो वो वोट देने ही नहीं जाते थे। जिस वजह से उनका वोट बर्बाद हो जाता था। साल 2013 में इस व्यवस्था को ठीक करने के लिए निर्वाचन आयोग ने साल 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम मशीन में नोटा का बटन विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
ताकि लोगों की उम्मीदवार के प्रति सहमति जाहिर की जा सकें। आपको बता दें भारत के अलावा रुस, स्पेन, कोलंबिया, स्पेन, ग्रीस और यूक्रेन में भी नोटा की सुविधा उपलब्ध है।
रिपोर्टस के अनुसार नोटा का सबसे पहले उपयोग साल 1976 में अमेरिका के कैलोफोर्निया में हुआ था।
चुनाव में नोटा के उद्देश्य – Aims and Objectives of Nota in Election
नोटा के इस्तेमाल से राजनीति में पार्दशिता और साफ सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों के उतरने की संभवानाएं बढ़ जाती है हालांकि अभी तक ऐसा कुछ ध्यान देखने को नहीं मिला है। लेकिन इतना जरुर कहा जा सकता है कि नोटा के माध्यम से राजनीतिक पार्टियां के प्रति जनता के रुख को साफ कर देती है।
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