Nitish Kumar – नितीश कुमार जनता दल राजनितिक पार्टी से जुड़े एक भारतीय राजनेता है। जो उत्तरी भारत के बिहार राज्य के मुख्यमंत्री बने हुए है। इससे पहले 2005 से 2014 तक नितीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे।
राजनेता नितीश कुमार – Nitish Kumar Biography
नितीश कुमार का जन्म बिहार के नालंदा जिले के हरनौट के कुर्मी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कबिराज राम लखन सिंह और माँ का का नाम परमेश्वरी देवी था। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी और बिहार विभूति अनुगढ़ नारायण सिंह से भी जुड़े हुए थे। और एक आयुर्वेदिक वैद्यराज भी थे।
1972 में बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से उन्होंने इलेक्ट्रिक इंजिनियर की डिग्री हासिल की। इसके बाद में बिहार राज्य इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में काम करने लगे और फिर कुछ समय बाद उन्होंने राजनीती में प्रवेश किया।
करियर – Career:
नितीश कुमार राजनीतिज्ञों के समाजवादी वर्ग से जुड़े हुए है। जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, एस.एन. सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर और व्ही.पी. सिंह जैसे दिग्गजों की छत्र-छाया में उन्होंने राजनीती का पाठ पढ़ा।
1974 और 1977 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण अभियान में भी भाग लिया और साथ ही वे उस समय के मुख्य तथा प्रभावशाली नेता सत्येन्द्र नारायण सिंह से भी जुड़े हुए थे।
केन्द्रीय मंत्री:
नितीश कुमार रेल्वे के केन्द्रीय मंत्री और सतह परिवहन के मिनिस्टर और बाद 1998-99 में अटल बिहारी वाजपेयी की NDA सरकार में कृषि मंत्री बने। अगस्त 1999 में गैसल ट्रेन दुर्घटना के बाद रेल्वे मंत्री के रूप में हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए, इस्तीफा दे दिया। रेल्वे मिनिस्टर के पद पर अपने लघु कार्यकाल में सन 2002 में उन्होंने इंटरनेट बुकिंग सुविधा की शुरुवात भी की। जिसमे लाखो लोगो ने रेल्वे टिकट बुक की और साथ ही उन्होंने अपने कार्यकाल में तत्काल टिकट सुविधा भी शुरू की।
बाद में उसी साल, कृषि मंत्री के रूप में वे दोबारा यूनियन कैबिनेट में दाखिल हो गए। 2001 से मई 2004 तक वे फिर से रेल्वे के केन्द्रीय मंत्री बने। 2004 में लोकसभा चुनाव में उन्होंने 2 जगहों से चुनाव लढा, जिसमे नालंदा निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें जीत मिली लेकिन पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बिहार के मुख्यमंत्री:
नितीश कुमार की सरकार ने साइकिल और भोजन कार्यक्रम की भी शुरुवात की – नितीश सरकार स्कूल पढने वाली बच्चो को साइकिल देती थी। जिससे बिहार में स्कूल जाने वाली लडकियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी और लोग ख़ुशी से अपने बच्चो को स्कूल भेजने लगे थे।
2010 में नितीश की पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन कर लिया और पुनः राजनितिक ताकत हासिल कर ली। 26 नवम्बर 2010 को नितीश ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका लगातार दूसरा कार्यकाल था। जोरदार चुनाव में नितीश कुमार की JDU-बीजेपी पार्टी चार-पाँच के अंतर से जीती।
इस चुनाव में NDA के नाम 206 सीटे और RJD के नाम 22 सीटे रही। राज्य में किसी भी दुसरे पार्टी ने इतनी सीटे नही जीती थी के वह असेंबली में नितीश सरकार का विरोध कर सके, क्योकि विरोध करने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम 25 सीटे जीतना अनिवार्य था। उस चुनाव में पहली बार भारी मात्रा में युवा बिहारियों ने मतदान किया था और इसी चुनाव में बिहार में सबसे उत्कृष्ट चुनाव का दर्जा भी दिया गया था, जिसमे किसी का खून नही बहा और ना ही कोई दंगे हुए।
इस्तीफा:
17 मई 2014 को उन्होंने बिहार सरकार को इस्तीफे की याचिका दाखिल की। यह सब उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी से ख़राब प्रदर्शन को देखते हुए किया, जिसमे उनकी पार्टी 20 सीटे में से केवल 2 सीटे जीतने में ही सफल रही। कुमार ने अपनी पार्टी के ख़राब प्रदर्शन की जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेते हुए इस्तीफा दे दिया और जितन राम मांझी ने पार्टी को संभाला।
22 फरवरी 2015 को नितीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री कार्यालय में दाखिल हुए। 2015 के बिहार चुनाव को आज भी अब तक का सबसे मुश्किल चुनाव माना जाता है। इस चुनाव में नितीश कुमार ने RJD और कांग्रेस के बीच गठबंधन कर महागठबंधन की स्थापना की और बीजेपी पर पलटवार किया।
महागठबंधन के दौरान नितीश ने चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लिया और नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी पर कयी शाब्दिक प्रहार भी किए। अंततः चुनावी नतीजो में महागठबंधन 178 सीटो के अंतर से जीती, जिसमे बीजेपी को सिर्फ 58 सीटे ही मिली।
चुनावी नतीजो में RJD पार्टी 80 सीटे और JDU 71 सीटे जीतने में सफल रही। इसके बाद पांचवी बार 20 नवम्बर 2015 को उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री पद का ताज पहना और लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार के चौथे उप-मुख्यमंत्री बने। 26 जुलाई 2017 को नितीश ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उप-मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद नितीश ने यादव को कैबिनेट से इस्तीफा देने के लिए कहा, लेकिन उनकी इस बात को मानने से RJD ने साफ़-साफ़ मना कर दिया। अपनी स्वच्छ और भ्रष्टाचार विरोधी छवि को बरक़रार रखते हुए नितीश ने 26 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके चलते महागठबंधन टूट गया।
निजी जिंदगी:
22 फरवरी 1973 को नितीश कुमार ने मंजू कुमारी सिन्हा से शादी की, जो एक शिक्षिका है। उन्हें निशांत (जन्म- 20 जुलाई 1975) नाम का एक बेटा है, जिसने BIT-मेसरा से इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की है। 2007 में 53 साल की उम्र में ही उनकी पत्नी मंजू सिन्हा की मृत्यु हो गयी थी।
जीवन पर आधारित एक किताब:
• अरुण सिन्हा ने भी उनके जीवन पर आधारित एक किताब प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक ‘दी राइज ऑफ़ बिहार’ है।
• संकर्षण ठाकुर ने उनके जीवन पर आधारित एक किताब प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक सिंगल मैन : दी लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ नितीश कुमार ऑफ़ बिहार है।
सम्मान – Awards:
- CNN-IBN और हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा आयोजित किये गए राष्ट्रिय राज्य पोल 2007 में, उन्हें सर्वश्रेष्ट मुख्यमंत्री बनाया गया।
- CNN-IBN ग्रेट इंडियन ऑफ़ दी इयर – राजनीती, 2008
- इकॉनोमिक टाइम्स “बिज़नस रिफॉर्मर ऑफ़ दी इयर 2009”
- NDTV इंडियन ऑफ़ दी इयर – राजनीती, 2009
- “पोलियो इरेडीकेशन चैंपियनशिप अवार्ड” 2009, रोटरी क्लब ऑफ़ इंटरनेशनल
- फ़ोर्ब्स “इंडियन पर्सन ऑफ़ दी इयर”, 2010
- “MSN इंडियन ऑफ़ दी इयर 2010”
- NDTV इंडियन ऑफ़ दी इयर – राजनीती, 2010
- CNN-IBN “इंडियन ऑफ़ दी इयर अवार्ड” – राजनीती, 2010
- 2011 में औद्योगिक और सामाजिक शांति के लिए उन्हें XLRI, जमशेदपुर द्वारा “सर जहाँगीर गांदी मैडल” दिया गया।
- 2012 के टॉप 100 वैश्विक विचारको में प्रसिद्ध विदेशी मैगज़ीन में उन्हें 77 वा स्थान दिया गया।
- जे.पी. मेमोरियल अवार्ड, नागपुर मानव मंदिर, 2013
- श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा (जैन संस्था) द्वारा बिहार में शराब बंदी करवाने के लिए नितीश को अनुव्रत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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magar is kadam se nitish ji ki vishvashniyta par question mark jarur lag gya hai apki kya rai hai gyani pandit ji?
Sushil Pandey sir,
Rajaniti ke vishay par main koi bi tipani nahi karana chahta.
नितीश कुमार के जीवन , राजनैतिक उतर चढाव पर अच्छी जानकारी युक्त पोस्ट
धन्यवाद, आपने हमारा यह पोस्ट पढ़ा। नितीश कुमार के जीवन में कई राजनैतिक उतार-चढ़ाव आए हैं लेकिन वे निरंतर आगे बढ़ते गए। उन्होनें भारतीय राजनीति में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है।