Nellie Sengupta
जब किसी का देश गुलामी में जी रहा हो तो उस देश के लोग आजादी से कैसे जीवन बिता सकते है। किसी भी इन्सान को किसी दुसरे की गुलामी करना कभी भी पसंद नहीं आता। इसीलिए कोई भी अपनी जमीन अपनी मातृभूमि को स्वतन्त्र करने के लिए पूरी ताकत लगा देता है। जब उसका देश आजाद हो जाता है तो उसे बहुत बड़ी कामयाबी मिलने का अहसाह होता है। लेकिन इसमें बड़े आश्चर्य की कोई बात नहीं की किसी इन्सान ने खुद के देश को आजाद किया।
लेकिन अगर कोई इन्सान किसी दुसरे के देश को आजाद करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी भर काम करे तो यह बहुत बड़ी बात बन जाती है। और यह बात और भी खास हो जाती है जब हुकूमत करने वाले देश का व्यक्ति ही गुलाम देश को आजाद करने के लिए अपने ही मातृभूमि के खिलाफ आवाज उठाये।
एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में हम आपको बताने वाले है जिसने भारत जैसे गुलाम देश को आजाद करने के लिए अपने खुद के वतन के खिलाफ आवाज उठाई। वे ऐसी व्यक्ति थी जिन्होंने अपने ही ब्रिटन देश के खिलाफ लड़ाई की और भारत को स्वतन्त्र करने के लिए सच्चे मन से सेवा की। ऐसी खास व्यक्ति का नाम नेल्ली सेनगुप्त – Nellie Sengupta था। इसी महान नेल्ली सेनगुप्त की पूरी जानकारी निचे दी गयी है।
भारत की आजादी के लिए अपनी मातृभूमि के खिलाफ आवाज उठानेवाली नेल्ली सेनगुप्त – Nellie Sengupta Biography
Nellie Sengupta – नेल्ली सेनगुप्त एक अंग्रेजी महिला होने के बाद भी भारत में आयी थी और उन्होंने यहाँ के लोगो की अपनी पूरी जिंदगी भर सेवा की। दुसरे देश की नागरिक होने के बाद भी उन्होंने खुद को एक सच्चा भारतीय देशभक्त साबित किया।
वे एक अद्भुत महिला थी जिनमे एक अच्छी व्यक्ति होने के सारे गुण मौजूद थे। एक अंग्रेजी महिला होने के बाद भी उन्होंने भारत में आकर त्याग, बलिदान जैसे महान गुणों को अपने अन्दर ढाल लिया था। उन्नीसवी सदी में जिस नवयुग की शुरुवात हुई थी उसका सही मायने में इन्होनेही प्रतिनिधित्व किया था।
नेल्ली सेनगुप्त का जीवन परिचय – Nellie Sengupta Jeevan Parichay
नेल्ली सेनगुप्त का जन्म 12 जनवरी 1886 को हुआ था। फ्रेडरिक विलियम ग्रे और एडिथ हेनेरिअता ग्रे उनके माता पिता थे। जब वे इंग्लैंड में पढाई कर रही थी तो उस वक्त उनकी मुलाकात देशभक्त जतिंद्र मोहन सेनगुप्त से हुई थी।
दोनों एक दुसरे से प्यार करते थे और बाद में उन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद उन्होंने पति के देश को अपना ही देश समझकर भारत की सेवा की। वे पति के साथ में मिलकर देश को आजाद करने के लिए हमेशा प्रयास करत रहती थी। वे चाहती थी की भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद किया जाए।
भारत को स्वतन्त्र करने के लिए उन्होंने आखिर तक अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई और अपनी जन्मभूमि को हमेशा के लिए छोड़ दिया। वे हर मुश्किल में अपने पति का साथ निभाती थी और उन्हें देश को आजादी दिलाने के उद्देश्य में हमेशा सहायता करती थी।
लेकिन जब शादी करके वे भारत में आयी तो उनके परिवार के लोगो को इस बात पर संदेह था की क्या वे संयुक्त भारतीय परिवार में मिलजुल पाएंगी। लेकिन बहुत ही कम समय में उनका यह शक भी ख़तम हो गया क्यों की बहुत ही कम समय में उन्होंने संयुक्त परिवार में अच्छे से रहना सिख लिया था।
पारिवारिक जीवन में तो वे एक आदर्श दम्पति थे ही लेकिन राजनितिक स्थर पर भी उन्होंने खुद को एक आदर्श दम्पति साबित किया था। नेल्ली सेनगुप्त का स्वभाव इतना अच्छा था की उनके ससुर उनसे काफी प्रभावित हुए थे और इस बात को लेकर उन्होंने नेल्ली सेनगुप्त की माँ को पत्र लिखकर कहा था की नेल्ली बहुत ही अच्छे तरह से अपने परिवार और पति को संभालती है।
नेल्ली की मदत और सहायता के बिना जतिंद्र मोहन अपने उद्देश्य में सफल हो ही नहीं सकते थे। राजनीती के क्षेत्र में जतिंद्र मोहन को उनके पत्नी से काम करने की प्रेरणा मिलती थी। नेल्ली सेनगुप्त को महात्मा गांधी और सरोजिनी नायडू से देश के लिए काम करने की प्रेरणा मिलती थी।
असहकार आन्दोलन (Non-cooperation movement)के दौरान जब वे चिट्टागोंग में खादी के कपडे बेच रही थी उस वक्त उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इस तरह से उन्हें अपने पति के उद्देश्य को पुरा करने के लिए कैद में भी रहना पड़ा।
जब उनके पति बंगाल आसाम रेलवे के कर्मचारी और चाय की खेती पर काम करने वाले मजदूरो के लिए धरने दे रहे थे उस वक्त उनकी पत्नी ने उनकी सहायता की थी। उनके पति धरने पर इसीलिए बैठे थे क्यों की उस वक्त चाय खेती के मजदुर चंद्रपुर में फसे हुए थे और अंग्रेज पुलिस उनपर बहुत जुल्म कर रहे थे।
जब जतिंद्र मोहन की तबियत काफी ख़राब हो गयी थी उस वक्त नेल्ली ने पति के राजनितिक काम को जारी रखने का काम किया। जब देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन (Savinay Avagya Andolan)चल रहा था उस वक्त नेल्ली राजनितिक कार्यो के पूरा करने के लिए पति के साथ में दिल्ली और अमृतसर चली गयी थी। वहापर जतिंद्र मोहन ने राजनितिक भाषण दिया था जिसके लिए बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया।
दिल्ली में जिस जगह पर पाबन्दी लगाई गयी थी वहापर नेल्ली ने भाषण दिया था जिसके लिए उन्हें भी गिरफ्तार किया गया था और उन्हें चार महीनो तक कैद में रहना पड़ा। सन 1933 में नेल्ली को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था।
देश को आजादी दिलाने में उन्होंने बहुमूल्य योगदान दिया था। उन्हें कलकत्ता निगम का एल्डरमैन भी बनाया गया था।
जब देश का विभाजन हुआ उसके बाद में नेल्ली अपने पति के पैतृक घर में रहती थी। वे पुरे समर्पण के साथ समाजकार्य करती थी। वे चिट्टागोंग से पूर्व पाकिस्तान विधानसभा के लिए बिना किसी विरोध के चुनी गयी थी।
नेल्ली सेनगुप्त एक बहुत ही शुर क्रांतिकारी थी। उन्होंने भारत में आकर यहाँ के लोगो की बहुत सेवा की।
उनका केवल एक ही उद्देश्य था की किसी भी तरह से भारत को अंग्रजो की गुलामी से मुक्त करना। उसके लिए उन्होंने कई तरह के आन्दोलन किये। जब वे आन्दोलन करती थी उसके लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार भी होना पड़ा। वे कई बार कैद में रही। उन्हें महात्मा गांधी और सरोजिनी नायडू से देश के लिए सेवा करने की प्रेरणा मिलती थी। वे राजनीति में भी पूरा सहयोग देती थी। उन्होंने एक बार कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी काम किया। इनके जैसे महान व्यक्ति बहुत ही कम देखने को मिलते है। इनके जैसे महान व्यक्ति बार बार नहीं हो पाते।
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आपका लेख पढ़कर अच्छा लगा , आप हमारे स्वतंत्रता सेनानी महिलाओ के बारे में लिख रहे है यह अपने आप में एक प्रेरणादायी काम है.
इस पोस्ट को पढ़ने के लिए शुक्रिया, नेल्ली सेनगुप्त जी की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। एक विदेशी महिला होने के बाद भी वे भारत की आजादी के लिए एक सच्चे देशभक्त की तरह लड़ीं जो कि वाकई सराहनीय है। हम आगे भी इस तरह के पोस्ट अपलोड करते रहेंगे। कृपया आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहिए।