आख़िर क्या हैं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी ) | National Green Tribunal NGT

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पर्यावरण को लेकर पिछले कई वर्षों में काफी लापरवाही देखने को मिली है जिस कारण आज पूरी दुनिया प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से गुजर रही है। हालांकि अब आम लोग और सरकार दोनों ही पर्यावरण को लेकर जागरुक हुई है और पर्यावरण को लेकर अहम कदम भी उठा रही है। जिसके लिए भारत सरकार दारा एनजीटी का गठन किया गया है NGT – एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल – National Green Tribunal है एनजीटी का गठन 18 अक्टूबर 2010 में किया गया था।

साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट की कोशिशों के बाद एनजीटी एक्ट – National Green Tribunal Act को संसद में पेश किया गया था। संसद में इसे लेकर पर्यायवरण को ही रही हानि की बात कही गई थी। जिस वजह से एनजीटी एक्ट को संसद में पास कराया लिया गया और लागू किया गया। हालांकि बहुत सारे लोगों को आज भी एनजीटी के बारे में नहीं पता है।

National Green Tribunal NGT
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आख़िर क्या हैं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी ) – National Green Tribunal NGT

एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल – National Green Tribunal एक सरकारी संगठन है जो देशभर में पर्यायवरण संबधी निर्णय लेता है साथ ही पर्यायवरण के बचाव के लिए सभी मुनकिन कोशिश करता है। आपको बता दें न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है जिसके पास पर्यावरण से संबंधित एक विशेष संगठन है।

दरअसल कई वर्षों से लोगों की लापरवाही के कारण दुनिया भर के देश ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण की चपेट में है। प्रदूषण के कारण हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते है वहीं करोड़ो लोग प्रदूषण के कारण अस्थमा, फेफड़ो संबंधित रोग, त्वचा संबंधी रोग से ग्रस्त हो जाते है।

साल 1972 में रियो डि जिनेरियो में पर्यावरण और विकास को लेकर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में निर्णय लिया गया था कि देश पर्यायवरण को बचाने के लिए न्यायिक और प्रशासनिक कार्यवाहियों पर जोर देंगे अगर उनके देश में पर्यायवरण को नुकसान पहुंच रहा है तो, इस सम्मेलन में भारत ने भी भाग लिया था।

हालांकि पर्यावरण के लिए एनजीटी – NGT का गठन लंबे समय बाद 2010 में किया गया। लेकिन इसे सरकार का एक अहम कदम माना जाता है। इसके अलावा भारतीय संविधान में भी पर्यायवरण के लिए अनुच्छेद 21 में स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को शामिल किया गया है।

आपको बता दें जहां पर्यायवरण संबंधी मामले साल 2010 से पहले हाईकोर्ट करती थी। उन सब मामलों की जांच अब एनजीटी करती है। एनजीटी – NGT पर्यायवरण को नुकसान पहुंचाने वाले के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर सकती है साथ ही अरोपी पर जुर्माने भी लगा सकते है। रिपोर्टस के अनुसार एनजीटी अब तक 200 से ज्यादा पर्यावरण संबधिंत केसस की सुनवाई कर चुकी है।

एनजीटी की बेंच भी चेन्नई, भोपाल, पुणे और कोलकाता में है साथ ही इसका मुख्यालाय दिल्ली में है।

एनजीटी के अधिकार – NGT Rights

  • एनजीटी के पास जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार है।
  • पर्यायवरण संबंधित कानूनी अधिकारों की रक्षा करना।
  • साथ ही नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और नुकसान होने पर उन्हें आर्थिक सहायता दिलाना।
  • NGT – एनजीटी में किसी भी मामले को 6 महीने के अंतर्गत निपटाने का प्रवाधान है।
  • एनजीटी का अध्यक्ष सुपीम कोर्ट में सेवानिवृत्त न्यायधीस या हाकोर्ट के चीफ जस्टिस स्तर का व्यक्ति ही हो सकता है।
  • साथ ही एनजीटी में अधिकतम 20 न्यायिक विशेषज्ञ होते है।
  • एनजीटी – NGT के नियमों का पालन न करने पर तीन साल की सजा और 10 करोड़ तक जुर्माने का प्रवाधान है।
  • किसी कंपनी दारा एनजीटी के नियमों का उल्लधंन करने पर 25 करोड़ के जुर्माने का प्रावधान है साथ ही कंपनी के मालिक को सजा का भी प्रवाधान है।
  • हालाकि अगर कोई व्यक्ति एनजजीटी के फैसले से खुश नहीं है तो वो 90 दिन के अंदर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज कर सकता है।
  • हालांकि कुछ खास मुद्दों पर एनजीटी के फैसलों को हाइकोर्ट भी पलट सकती है।

एनजीटी के गठन के बाद पर्यायवरण को लेकर एक न्यायिक व्यवस्था देखने को मिली है जिसे लोगों में पर्यायवरण को लेकर जागरुकता भी आई है।

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