National Festivals of India in Hindi
भारत एक ऐसा देश है, जहां अलग-अलग जाति, धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं। यहां के लोगों के रहन-सहन, भाषा, संस्कृति और परंपरा में काफी अंतर है, इतनी विविधता होने के बाद भी हम सभी भारतीय एक है।
भारत में सभी धर्म के लोग अपने-अपने अंदाज में और अपने-अपने तरीके से त्योहारों को मनाते हैं, लेकिन सभी त्योहारों का मकसद प्रेम, परोपकार, आपसी भाईचारा, सोहार्द, उपकार, सामाजिकता ही है।
इन धार्मिक त्योहारों के अलावा भी भारत में कुछ ऐसे त्योहार भी हैं, जो किसी विशेष जाति या समुदाय के द्धारा नहीं मनाया जाता हैं, बल्कि इन त्योहारों को राष्ट्र के सभी लोग मिलजुल कर मनाते हैं। इन त्योहारों को हम राष्ट्रीय पर्व का नाम देते हैं।
भारत के राष्ट्रीय पर्व – National Festivals of India
गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस को हमारे देश में राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता है। यह राष्ट्रीय पर्व हम सभी भारतीय को एकता के सूत्र में बांधे रखते हैं और हमारे अंदर नई ऊर्जा भरते हैं और देशभक्ति की भावना पैदा करते हैं।
इन राष्ट्रीय पर्वों पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया है। इन पर्वों पर स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर और बाजार बंद रहते हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय पर्वों पर हम सभी भारतीय देश के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों और देश के वीर सपूतों को याद करते हैं, जो देश को आजाद करवाने के लिए अपने पूरे जीवन भर संघर्ष करते रहे और जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इसके साथ ही राष्ट्रीय पर्वों पर उनकी वीरता के किस्से सुनाए जाते हैं और श्रद्धांजली अर्पित की जाती है। 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले में झंडा फहराते हैं।
इसके अलावा स्कूल, कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों, राजनीतिक कार्यालयों में सभी जगह तिरंगा झंडा फहराया जाता है। इस दौरान स्कूल, कॉलेजों में देशभक्ति के कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। खेल-कूद, निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं।
वहीं इन राष्ट्रीय पर्व के दौरान होने वाली परेड की रिर्हसल कई महीनों पहले से ही शुरु हो जाती है। इसके साथ ही इन राष्ट्रीय पर्वों के दौरान उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया जाता है।
वहीं राष्ट्रीय पर्वों को आजकल सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी विशेष तरीके से मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे को इस पर्व की बधाई देते हैं। इस दिन पूरा राष्ट्र देशभक्ति में डूबा नजर आता है।
इन राष्ट्रीय पर्वों का हमारे देश में अपना एक अलग महत्व है, इन पर्वों को हमारे देश में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन पर्वों के माध्यम से लोगों में देशभक्ति की भावना जाग्रत होती है। हम अपने इस लेख में आपको भारत के राष्ट्रीय पर्वों – National Festivals of India के बारे में बता रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं –
स्वतंत्रता दिवस – Independence Day
स्वतंत्रता दिवस, भारत के राष्ट्रीय पर्वों में से एक है। स्वतंत्रता दिवस को हमारे देश में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 15 अगस्त को हर साल हमारे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है क्योंकि, इसी दिन साल 1947 में कई सालों तक अंग्रेजों की गुलामी करने के बाद और उनके अत्याचारों के सहने के बाद हमारा भारत देश, ब्रिटिश राज से आजाद हुआ था।
भारत देश को आजाद करवाने के लिए सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चन्द्र शेखर आजाद, सरदार बल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, बालगंगाधऱ तिलक और पंडित जवाहर लाल नेहरू समेत तमाम महान स्वतंत्रता सेनानी और देश के कई महान सपूतों ने अपना पूरे जीवन भर संघर्ष किया और आजादी के लिए कई लड़ाईयां लड़ी, यही नहीं इन्होंने देश की खातिर अपने प्राणों को आहुति दे दी।
भारत के इन वीर सपूतों की वजह से ही आज हम आजाद भारत में चैन की सांस ले पा रहे हैं। इसलिए इनके सम्मान में और इनके त्याग, बलिदान और आत्मसमर्पण को याद करने के लिए स्वतंत्रता दिवस को हर साल 15 अगस्त को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता हैं।
15 अगस्त, 1947 की पूर्व संध्या पर, आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा को लाल किले पर गर्व के साथ फहराया था, तभी से लेकर अब तक स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराते हैं और इस मौके पर देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सपूतों के द्धारा देश के लिए दिए गए त्याग, बलिदान और याद करते हैं और शहीदों की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांली देते हैं।
देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय पर्व के मौके पर भाषण देते हैं, इसके अलावा इस दौरान उत्कृष्ठ काम करने वालों को सम्मानित किया जाता है। इस मौके पर स्कूल, कॉलेजों, सरकारी दफ्तरों में भी झंडा फहराया जाता हैं।
कई दौरान कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, निबंध लेखन, भाषण, खेल-कूद प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। इसके अलावा लोग देशभक्ति के गीत गाते हैं, खास नृत्य करते हैं और अपने-अपने तरीके से लोग देश के वीर जवानों को याद कर उन्हें नमन करते हैं और उनके पथ पर चलने का संकल्प लेते हैं।
देश के हर राज्यों, जिलों, गांवों समेत देश के कोने-कोने में लोग अपने-अपने स्तर पर आजादी के इस पर्व को मनाते हैं, इस दिन हर कोई देशप्रेम और देशभक्ति की भावना में डूबा रहता है। काफी संघर्ष और लड़ाई लड़ने के बाद इस दिन भारत के महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी ने आजादी हासिल की थी।
इसके लिए कई आंदोलन लड़े, जिसमें देश के वीर जवानों की जान भी चली गई। इस दौरान देश के क्रांतिकारी नेताओं ने गुलामी का दंश झेल रही जनता में आजाद भारत में रहने की इच्छा प्रकट की और स्वतंत्रता आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल किया, आजादी की लड़ाई में कई भारतीय लोगों ने भी बढचढ़ कर हिस्सा लिया तो वहीं कई भारतीयों को इसमें अपनी जान से भी हाथ धोना पडा।
वहीं अगर देश की आजादी के इतिहास पर गौर करें तो 17 वीं सदी से ही आजादी की लड़ाई शुरु हो गई थी। दरअसल, यूरोपीय व्यापारियों ने 17वीं सदी से ही भारतीय उपमहाद्धीप में खुद को स्थापित करने में लग गए थे।
1757 में प्लासी की लड़ाई और 1764 में हुए बक्सर का युद्ध में भारत अपनी क्षमता का भलीभांति प्रदर्शन करने में नाकामयाब रहा और यह लड़ाईयां हार गया, जिसके बाद अंग्रेजों ने बंगाल पर ब्रिटिश ईस्ट कंपनी द्धारा शिकंजा कसा और अपने शासन को और ज्यादा शक्तिशाली और मजबूत बनाने के लिए कई नई नियम बनाए।
वहीं 18वीं सदी के आखिरी तक ब्रिटिश की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के कई स्थानीय राज्यों में अपना कब्जा कर लिया था। कंपनी के कड़क नियम – कानून से भारतीय जनता में भारी असंतोष पैदा हो गया था और तभी से विदेशी शासन के प्रति नफरत पैदा गई थी।
इसी के चलते 1857 के विद्रोह ने जन्म लिया। इस महान क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 में मेरठ से हुई थी। 1857 की क्रांति को भारत की आजादी की पहली लड़ाई माना जाता है, इस विद्रोह में नाना साहब, तात्या टोपे, महारानी लक्ष्मी बाई, बाबू कुंवर सिंह, रानी अवंति बाई,बेगम हजरत महल जैसे महान क्रांतिकारियों ने अहम भूमिका निभाई, इससे आजादी तो हासिल नहीं हो सकी, लेकिन अंग्रेजों को भारतीयों की ताकत का अंदाजा लग गया था, तभी से भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की दमनकारी नीतियां कमजोर पड़ने लगी थीं।
1857 के विद्रोह की खास बात यह रही कि यहीं से भारतीयों के दिल में अंग्रेजों के प्रति और अधिक घृणा पैदा हो गई थी। वहीं 1857 के विद्रोह के बाद 1858 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से भारत का शासन छीन लिया गया था और इसे ब्रिटिश क्राउन अर्थात ब्रिटेन की राजशाही के हाथों को सौंप दिया गया था।
इस विद्रोह की लहर काफी भड़क उठी थी, जिसके बाद 1885 से 1905 तक राष्ट्रवाद की लड़ाई का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी और मदन मोहन मालवीय जैसे महान क्रांतिकारियों ने किया, जो कि उदारवादी राजनीतिक विचारधारा के थे।
वहीं 19वीं शताब्दी के आखिरी में बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राज, बिपिन चन्द्र पाल ने भारतीय जनता में अंग्रेजों के खिलाफ रोष पैदा किया और एकजुट होकर स्वराज्य की मांग की। इस दौरान महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन, अहसहयोग आंदोलन ने राष्ट्र में जन आंदोलनों को नई दिशा दी और भारत में ब्रिटिश शासन की नींव को हिला कर रख दिया।
1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का गठन हुआ। 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्धारा पूर्ण स्वराज की मांग की गई, जिसके बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया गया।
इस तरह भारत देश की आजादी की लड़ाई में कई महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों में अपना बलिदान दिया, जिन्हें याद करने के लिए और देश के वीर सपूतों को याद करने के लिए 15 अगस्त को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाते हैं।
15 अगस्त का पर्व मुख्य रुप से स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्दांजली अर्पित करने के लिए, आज की युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता संघर्ष का महत्व समझाने के लिए और देश भक्ति की भावना जागृत करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश देशभक्ति में सराबोर रहता है।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटनेवालों का बाकी यही निशाँ होगा !!
गणतंत्र दिवस – Republic Day
भारत में गणतंत्र दिवस को भी राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाते हैं। यह हमारे राष्ट्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण और गौरवशाली दिन हैं। राष्ट्रीयता के इस पर्व को हर धर्म, जाति और समुदाय के लोग मिलजुल कर मनाते हैं। सभी देशवासी पूरे जोश, उत्साह, सम्मान और देश प्रेम की भावना के साथ गणतंत्र दिवस के पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।
आपको बता दें कि 26 जनवरी, 1950 के दिन ही हमारा देश का संविधान लागू हुआ था और उसी दिन से हमारा देश भारत एक संप्रभु, समाजवादी, लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बन गया था। इसी के उपलक्ष्य में हर साल 26 जनवरी को इसे गणतंत्र दिवस के रुप में मनाते हैं।
भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारियों के काफी संघर्ष और लड़ाई के बाद, हमारा देश भारत 15, 1947 को आजाद तो हो गया, लेकिन आजादी के बाद भी भारत एक स्वशासित देश नहीं था, इसके करीब ढ़ाई साल बाद 26 जनवरी, 1950 को भारत सरकार ने खुद का संविधान लागू किया और भारत को एक लोकतंत्रात्मक, प्रजातांत्रिक गणतंत्र घोषित किया।
आपको बता दें कि लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन बाद 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को भारत की संविधान सभा में पास किया गया और तभी से 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाने लगा।
आपको बता दें कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान है, जिसमें 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 हिस्सों में बांटा गया है। हमारे संविधान में भारत के सभी नागरिक को 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं।
संविधान के आधार पर सभी भारतीय नागरिकों को समानता का अधिकार प्राप्त है, स्वतंत्रता का अधिकार है, शोषण के खिलाफ अधिकार प्राप्त है, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, शिक्षा और संस्कृति संबंधी अधिकार प्राप्त है और संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्राप्त है।
आपको बता दें कि भारत के मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन के तहत संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे संविधान के अनुच्छेद 300 (a) के तहत कानूनी अधिकार के रुप में रखा गया है।
संविधान की वजह से ही हमारे समाज में फैली छुआछूत और भेदभाव जैसे कुरीति को जड़ से खत्म कर दिया गया, महिलाओं को उनके अधिकार दिलवाए गए और भारत के सभी नागरिकों को अपनी मर्जी से नेता चुनने का अधिकार दिया गया, जिससे भारत देश का सही दिशा में विकास हो सके।
राष्ट्रीयता के इस पर्व 26 जनवरी के दिन भारत सरकार ने राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया है।
इस दिन स्कूल, कॉलेज समेत तमाम शिक्षण संस्थान और बाजार बंद रहते हैं। वहीं इस मौके पर दिल्ली के लाल किले और स्कूल-कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों, राजनीतिक कार्यालय में तिरंगा झंडा फहराया जाता है और देश के लिए मर मिटने वाले भारत के महान क्रांतिकारियों और वीर सपूतों को याद किया जाता है और उन्हें सच्चे मन से श्रद्दासुमन अर्पित किए जाते हैं।
इस मौके पर देशभक्ति से जुड़े कई सांस्कृतिक और रंगारंग कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है।
गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के राजपथ पर खास तरीके की परेड का आयोजन होता है, जिसमें भारत की जल, थल और वायु सेना द्धारा देश के सर्वोच्च पद पर विराजे व्यक्ति राष्ट्रपति को सलामी दी जाती है।
इस दौरान भारत की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है। इसके अलावा सेना में इस्तेमाल किए जाने वाले शक्तिशाली हथियारों का भी प्रदर्शन किया जाता है। इस मौके पर हर राज्य अपनी खास झांकी भी निकालता है।
दिल्ली के राजपथ पर हर राज्य की झांकी निकाली जाती है, जिसमें उस राज्य की उसकी संस्कृति और परंपरा की अनूठी झलक दिखती है। राष्ट्रीयता के इस पर्व पर मार्च पास्ट भी किया जाता है। वहीं देश के प्रधानमंत्री देश के लिए अच्छे काम करने वाले को सम्मानित करते हैं साथ ही देश की एकता और अखंडता बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।
इस दिन पूरा देश देशभक्ति में सराबोर दिखता है, हर तरफ राष्ट्रगान, वंदे मातरम, जय हिन्द, भारत माता की जय, की गूंज सुनाई देती है। हर कोई अपने-अपने तरीके से देश के लिए जान देने वाले वीर सपूतों को नम आंखों से श्रद्धासुमन अर्पित कर श्रद्धांजली देते हैं और उनकी वीरता के किस्से सुनाते हैं।
गणतंत्र दिवस में आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी में भारतीय संविधान के महत्व को समझाया जाता है। इसके साथ ही युवाओं को भारतीय संविधान के गठन और इसमें शामिल नेताओं के द्धारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया जाता है।
आज की युवा पीढ़ी को देश के वीर सपूतों के द्धारा दी गई कुर्बानियों के बारे में भी बताया जाता है ताकि उनके मन में देशभक्ति और देशप्रेम की भावना जागृत हो सके।
गांधी जयंती – Gandhi Jayanti
देश के राष्ट्रपिता और आजादी के महानायक महात्मा गांधी की जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। गांधी जयंती को राष्ट्रीय पर्व के तौर पर पूरे देश में मनाया जाता है। महापुरुष महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था।
सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले महात्मा गांधी ने देश की आजादी की लड़ाई में अपनी महत्पूर्ण भूमिका अदा की और अपना पूरा जीवन देश के लिए कुर्बान कर दिया। उन्होंने शांति और सच्चाई के बल पर कई आंदोलन चलाए जिससे अंग्रेज, भारत छोड़कर भागने के लिए बेवस हो गए।
महात्मा गांधी, आजादी की लड़ाई के एक ऐसे महानायक थे, जिन्होंने अपने उच्च विचारों का प्रभाव न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में छोड़ा है और अपने स्वतंत्रता आंदोलन के माध्यम से अंग्रेज सरकार की नाक पर दम कर दिया था। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और बापू कहकर भी जाना जाता है। महात्मा गांधी की कुर्बानी की मिसाल आज भी दी जाती है।
2 अक्टूबर को भारत सरकार ने राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया है, हालांकि गांधी जयंती पर अन्य दो राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे भव्य उत्सवों का आयोजन नहीं होता है, लेकिन फिर भी इसने पूरे राष्ट्र की कल्पना को पकड़ लिया है क्योंकि यह दिन सभी को शांति, सद्भाव और प्रेम का संदेश देता है।
गांधी जयंती पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के गणमान्य नागरिकों द्धारा दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गांधी के समाधी स्थल पर उन्हें विशेष रुप से श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।
इसके साथ ही इस मौके पर कई जगह गांधी जी की प्रतिमा को फूलों से सजाया जाता है। और कई शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी दफ्तरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इसके अलावा महात्मा गांधी जी के जीवन और उनकी उपलब्धियों और उनके द्धारा देश के लिए दिए योगदान को बताने के लिए भाषण, निबंध लेखन प्रतियोंगिताओं का भी आयोजन किया जाता है, ताकि युवा पीढ़ी गांधी जी के बताए गए सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चल सकें और उनसे प्रेरणा ले सकें।
गांधी जयंती के मौके पर कई तरह की प्रार्थना सभाओं का भी आयोजन किया जाता है। देशभक्ति गीत गाए जाते हैं, गांधी जयंती पर मुख्य रूप से राघुपति राघव राजाराम गीत गाया जाता है।
गांधी जयंती के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को गांधी जी द्धारा बताए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग का पालन करने की प्रेरणा दी जाती है। दरअसल, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी जी ही एक ऐसे महापुरुष थे, जिनकी विचारधारा अन्य कई नेताओं से एकदम अलग थी, वे अन्त क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों की तरह हिंसात्मक गतिविधियों पर यकीन नहीं करते थे, बल्कि उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने पर भरोसा था। उनकी यह विचारधारा न केवल अपने समय के लोगों के लिए बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है।
आपको बता दें कि साल 2014 में गांधी जंयती के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की भी शुरुआत की थी, दरअसल बापू ने स्वच्छ भारत का सपना देखा था, इस अभियान के माध्यम से बापू के सपनों को पूरा करने की कोशिश की गई है।
हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाने वाली गांधी जयंती के माध्यम से लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत होती है। दरअसल, महात्मा गांधी एक सच्चे देशभक्त थे, उनके रोम-रोम में देशप्रेम की भावना थी और यही भावना आज की युवा पीढ़ी के रगों में भरने के लिए गांधी जयंती को राष्ट्रीय उत्सव के रुप में मनाया जाता है।
गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती को राष्ट्रीय उत्सव के तौर पर मनाए जाने से न सिर्फ आज की युवा पीढ़ी में देश भक्ति की भावना जागृत होती है बल्कि राष्ट्र के प्रति अपने मूल्यों को समझने में भी मद्द मिलती है। यह राष्टीय पर्व हर सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बांधते हैं और सभी को आपस में प्रेम और भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश देते हैं।
जय हिन्द!
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शिवांगी जी आपके रिसर्च से हम तक बहुत सारी ऐसी जानकारी पहुँचती है..जिससे हम पहले अनभिज्ञ रहते है..हम तक जानकारी पहुँचाने लिए बहुत बहुत आभार
विविधता मे एकता हमारी पहचान । शिवांगी अग्रवाल जी आप की हर एक post unique & complete होती है । Thanks for sharing