जिसे जीत जाने का भय होता है, उसकी हार निश्चय ही होती है
दुनिया के सबसे महान और विजयी सेनापतियों में से एक नेपोलियन बोनापार्ट, फ्रांस के एक महान बादशाह थे, जिन्होंने हारना कभी सीखा ही नहीं था, उन्होंने अपने मजबूत इरादे और अटूट दृढ़संकल्पों के साथ दुनिया के एक बड़े हिस्से पर अपना दबदबा कायम कर विश्व को अपनी ताकत और बहादुरी का परिचय करवाया था।
नेपोलियन के अद्भुत साहस के सामने दुश्मन भी उनसे खौफ खाते थे। नेपोलियन बोनापार्ट के एक साधारण इंसान से लेकर के दुनिया के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर बादशाह बनने तक के दिलचस्प सफर के बारे में आइए जानते हैं –
Napoleon Bonaparte Biography – नेपोलियन बोनापार्ट जीवन परिचय
पूरा नाम (Name) | नेपोलियन बोनापार्ट |
जन्म (Birthday) | 15 August, 1769, अज़ैक्सियो, फ्रांस |
पिता (Father Name) | कार्लो बोनापार्ट |
माता (Mother Name) | लेटीजिए रमोलिनो |
विवाह (Wife Name) | जोसेफीन, मैरी लुईस |
मृत्यु (Death) | 1821 |
जन्म, परिवार, विवाह और शिक्षा –
नेपोलियन बोनापोर्ट फ्रांस के कोर्सिका द्धीप के अजैक्सियों में 15 अगस्त, साल 1769 में एक सुख-समृद्ध परिवार में जन्मे थे। उनके पिता कार्लो बोनापोर्ट, फ्रांस के राजा के दरबार में कोर्सिका द्दीप से प्रतिनिधि थे।
रईस खानदान में पैदा होने की वजह से नेपोलियन का बचपन काफी सुखद बीता था, वहीं उनको बचपन से ही काफी अच्छी शिक्षा मिली थी, यही नहीं उनके परिवार वालों ने उनकी योद्धा प्रवृत्ति को देखते हुए उन्हें फ्रांस की एक मिलिट्री एकेडमी में एक सैनिक अफसर बनने के लिए भेजा था।
इसके बाद उन्होंने पेरिस के एक कॉलेज से साल 1785 में अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की, और फिर रेजीमेंट तोपखाने में उसे सबलेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्त किया गया।
वहीं इस दौरान उनके पिता की मौत हो गई, जिसके बाद उन्होंने अपने 7 भाई-बहनों का पालन-पोषण किया। इसके बाद उन्होंने जोसेफीन से शादी कर ली, लेकिन इनसे कोई संतान नहीं होने के चलते, उन्होंने मैरी लुईस के साथ अपनी दूसरी शादी की और फिर नेपोलियन के पिता बनने की चाहत भी पूरी हुई।
फ्रांस में लोकतांत्रिक क्रांति के दौरान:
इसके बाद नेपोलियन बोनापार्ट साल 1786 में कोर्सिका आ गए, इसके 3 साल बाद साल 1789 में फ्रांस की लोकतांत्रिक क्रांति हो गई, इस विद्रोह का मकसद फ्रांस की राजशाही को पूरी तरह खत्म कर लोकतंत्र की स्थापना करना था, वहीं फ्रांस के विद्रोह 1799 तक चला। फ्रांस के विद्रोह के समय वे फिर से फ्रांस आ गए जहां उनकी सैन्य प्रतिभा को देखते हुए उन्हें विद्रोही सेना की एक टुकड़ी का कमांडर बना दिया।
इसके बाद साल 1793 में जब इंग्लैंड की सेना से फ्रांस के टाउलुन शहर पर कब्जा कर लिया तो नेपोलियन को अंग्रेजों को बाहर निकालकर जीतने की जिम्मेदारी दी गई, जिसके बाद उन्होंने अपने अद्भुत युद्द कौशल और अदम्य सैन्य प्रतिभा का प्रदर्शन कर वहां से अंग्रेजों को खदेड़ दिया और जीत हासिल की।
उनकी इस अद्भुत जीत से फ्रांस के कई बड़े राजा बेहद प्रभावित हुए और महज 24 साल के नेपोलियन को बिग्रेडियर जनरल बना दिया गया। वहीं इसके बाद नेपोलियन साल 1796 में इटली में विजय हासिल कर वहां के बादशाह बन गए, जिससे उनके शौहरत और प्रसिद्दि और भी अधिक बढ़ गई।
फ्रांस के महान बदाशाह के तौर पर:
इसके बाद साल 1799 में जब फ्रांस की राजधानी पेरिस के हालात बेहद बिगड़ गए थे, जिससे वहां की सरकार जिसे डायरेक्ट्री कहा जाता था, असहाय और कमजोर प़ड़ने लगी थी, ऐसे वक्त में नेपोलियन बोनापार्ट ने अपनी रणनीतिक कौशल से वहां एक नई सरकार की स्थापना की।
इसके बाद उन्होंने फ्रांस की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के साथ वहां कई बड़े परिवर्तन किए साथ ही शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को उनके अधिकार दिलवाए यहीं नहीं उन्होंने फ्रांस की एक ताकतवर सेना भी तैयार की। जिससे उनकी लोकप्रियता लोगों की बीच और अधिक बढ़ गई। वहीं साल 1804 में उन्होंने फ्रांस में अमन कायम करने के लिए खुद को वहां का सम्राट घोषित किया।
फ्रांसासी सम्राज्य का विस्तार:
फ्रांस के इस महान बादशाह नेपोलियन ने साल 1805 में अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई जीती, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और रुस की विशाल सेनाओं को अपने रणनीतिक कौशल से पराजित कर दिया। इस विद्रोह में नेपोलियन ने दुश्मन के करीब 26 हजार सैनिकों को मार गिराकर अपनी बहादुरी का परिचय दिया था।
साल 1805 से लेकर साल 1811 तक इस बेताज बादशाह ने हॉलेंड, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रेलिया जैसे तमाम बड़े देशों में फ्रांसीसी सम्राज्य का विस्तार कर यूरोप में अपना दबदबा कायम किया।
रुस की तरफ कूच करना सबसे बड़ी भूल:
ब्रिटेन के शांति समझौता नहीं होने पर नेपोलियन ने साल 1812 में ब्रिटेन के व्यापार को पूरी तरह से रोक लगाने का फैसला लिया और इसकी आर्थिक नाकेबंदी के लिए रुस को राजी करने के लिए रुस की सीमा पर फ्रांस के करीब 6 लाख सैनिक तैनात कर दिए।
लेकिन रुस के मोर्च पर नेपोलियन को कोई खास कामयाबी नहीं मिली बल्कि भयानक सर्दी होने की वजह से नेपोलियन को पीछे हटना पड़ा, यही नहीं इस दौरान नेपोलियन की भारी सेना भुखमरी का शिकार हो गई, और यहीं से नेपोलियन की बादशाहत बिखरने लगी।
वाटरलू का युद्द –
हम सभी ने स्कूल के दिनों में इतिहास की किताबों में कई महान युद्धों की तारीखें याद की और कइयों के बारे में विस्तार से भी पड़ा।लेकिन समय के साथ हम स्कूल में पढ़ी कई बातें भूल जातें है। स्कूल के दिनों में हम सभी ने फ्रांस सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट और वाटरलू की लड़ाई के बारे में भी पढ़ा है।
वाटरलू की लड़ाई एक ऐसी लड़ाई थी जिसने अधिकांश यूरोप को जीतने वाले नेपोलियन की कहानी का अंत कर दिया था। पर क्या आप जानते है इसी यूरोप के सम्राट की हार कारण बारिश बनी थी ? सुने में थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नेपोलियन की हार की बड़ी वजह बारी बारिश भी है। जो हाल ही में लंदन के एक भूवैज्ञानी मैथ्यू येंज की रिसर्च में साबित हुआ है।
19वीं शताब्दी के शुरुआत में यूरोप के आधे से ज्यादा हिस्सों में राज करने वाला फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट को उसके देश से ही देश निकाला कर दिया गया था और एल्बा द्वीप भेज दिया गया था। दरअसल साल 1815 मे नेपोलियन ने 70 हजार सैनिकों के साथ नीदरलैंड्स पर हमला करने का निर्णय़ लिया था।
लेकिन इस बीच नेपोलियन के खिलाफ विद्रोह की हवा चलने लगी थी। नेपोलियन के सपनों को चंकना चूर करने वाला एक गठबंधन तैयार हो रहा था। ये गठबंधन बेल्जियम, ब्रिटिश, जर्मन और डच सेनाओं के गठबंधन से हुआ था। जिसका सामना नेपोलियन की सेना को करना था। बेल्जियम, ब्रिटिश, जर्मन और डच सेनाओं की इस गठबंधन वाली सेना का नेतृत्व उस समय वेलिंग्टन के ड्यूक और मार्शल गेभार्ड वॉन ब्लूचर ने किया था।
माना जाता है कि गठंबधन वाली सेना और नेपोलियन की सेना के बीच वाटरलू की लड़ाई करीब दस घंटे चली। कई इतिहासिक विशेषज्ञों का मानना है कि जब वाटरलू की लड़ाई हुई तो उस भारी बारिश हो रही थी। जिस वजह से नेपोलियन की सेना को लड़ने में दिक्कत हो रही थी।
लड़ाई के दौरान नेपोलियन की एक गलती ये भी मानी जाती है कि उसने अपने घुड़सवारों का उपयोग काफी देरी से किया जिसका फायदा विरोधी सेना के सैनिकों को मिला। जमीन गीली होने के कारण नेपोलियन के सैनिक लड़ने में कमजोर होने लगे। हालाकिं उस समय नेपोलियन की हार वजह मौसम को नहीं ठहराया गया था।
वाटरलू की लड़ाई के 200 साल बाद एक रिसर्च में सामने आया है कि नेपोलियन की हार की वजह कहीं ना कहीं तेज बारिश भी थी। रिसर्चस के मुताबिक साल 1815 में गर्मी के महीने में बारिश हुई थी जो शायद किसी ने उम्मीद नहीं की थी। लेकिन गर्मी के मौसम में बारिश होने की भी एक वजह थी।
रिपोर्टस के अनुसार उसी साल वाटरलू की लड़ाई से कई महीनों पहले इंडोनेशिया के माउंट तंबोरा ज्वालमुखी में एक विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट के कारण इंडोनेशिया के 1 लाख लोगों मारे गए थे। इसी विस्फोट में ज्वालामुखी से आयनोस्फेयर नाम की राख भी उत्पन्न हुई थी।
वैज्ञानिकों के अनुसार ये राख वायुमंडल में बादल बना के लिए जिम्मेदार होती है। और यही वजह थी कि गर्मी के महीने में इंडोनेशिया के ज्वालमुखी की राख से बने बादलों के कारण तेज भारी बारिश हुई। जिसकी उम्मीद शायद नेपोलियन को भी नहीं थी।
हालांकि इसे परमाणिक तौर पर नहीं कहा जा सकता कि नेपोलियन की हार की एक लौती वजह मौसम में बदलाव था लेकिन इसे नेपोलियन की हार की अनगिनत वजहों में से एक जरुर माना जा सकता है। और अगर आने वाले समय में ये रिसर्च पूर्ण रुप से साबित हो जाती है तो वाटर लू और नेपोलियन की हार को मौसम बदलाव के परिणामों की मिसाल के तौर पर पेश किया जाएगा। कि एक मौसम की किसी की हार और जीत में कितना बड़ा योगगदान निभा सकता है।
मृत्यु –
वाटरलू की लड़ाई हारने के बाद, ब्रिटेन ने नेपोलियन को करीब 6 साल तक दक्षिण अटलांटिक के सेंट हेलेना नाम के द्दीप में कैद करके रखा। और फिर साल 1821 में पेट के कैंसर होने की वजह से इस महान बादशाह की मौत हो गई।
इस तरह नेपोलियन ने अपने जीवन काल में अपनी अदभुत शक्ति और अदम्य शक्ति का परिचय देकर यूरोप के कई हिस्सों पर अपना सिक्का जमाया और वे इतिहास के सबसे महान बादशाह भी बने। नेपोलियन बोनापार्ट के जीवन से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है।
Australia should replaced by Austria
Napoleon ka death jahar ke karan huaa tha Google site pe hi likha gaya hair
Which book is best to read character of Napoleon in detail In hindi.
Napoleon Bonaparte ne aarthik nakabandi ka prayog kis rashtra ke liye Kiya tha yeah jawab chaye mujhe.
Britain ke liye kiya tha
Detail me naiye….or detail me chaiye ta mujko